मुनेश त्यागी
हमास का यह ताजा हमला इजरायल द्वारा फिलिस्तीन की जनता को गुलाम बनाए जाने के प्रतिरोध के रूप में हुआ है। इजरायल ने 1967 के बाद फिलीस्तीन के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर अवैध कब्जा कर लिया था। फिलिस्तीनी भूमि पर इसराइल कब्जे के खिलाफ, फिलिस्तीनियों का अब यह नया हमला शुरू हो गया है। इस हमले में अभी तक 6000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। साढे पांच लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं, 120 से ज्यादा लोग हमास के कब्जे में हैं। हमास और इजरायल द्वारा किए गए हमलों में दोनों देशों में जनधन की बर्बादी हो रही है और मुख्य रूप से महिला और बच्चों की दर्दनाक मौतें हो रही हैं। इन हमलों में निर्दोष लोगों की हो रही हत्याओं को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मगर बेहद अफसोस की बात है कि दुनिया भर का कॉरपोरेट मीडिया और पश्चिमी देशों का शासक वर्ग, इस विवाद की हकीकत को सही तरीके से पेश नहीं करके, जनता को बुरी तरह से गुमराह कर रहा है। वह हमास के लड़ाकों को आतंकवादी बता रहा है। उसने इजरायल द्वारा फिलिस्तीन के 90 फ़ीसदी इलाके पर कब्जा करने का कोई हवाला नहीं दिया है, उसने पिछले 75 साल में आतंकवादी इजरायल द्वारा की गई अनगिनत आतंकवादी कार्यवाहियों का कोई विवरण नहीं दिया है।
इसी मामले को लेकर भारत के गोदी मीडिया की इमेज भी काफी खराब हो गई है। वह भी जनता को फिलिस्तीन के खिलाफ इजरायल द्वारा की गई आतंकवादी और युद्धोन्मादी एवं विस्तारवादी गतिविधियों का हवाला नहीं दे रहा है। गोदी मीडिया की रिपोर्टिंग से यह बात स्पष्ट रूप से साफ दिखाई दे रही है कि वह जैसे अमेरिका और इजराइल का पिछलग्गू बन गया है। इस तरह की रिपोर्टिंग को तुरंत ठुकराए जाने की जरूरत है।
फिलिस्तीन और इजरायली विवाद की कुछ सच्चाईयां और तथ्य इस प्रकार हैं,,,,,संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय कानून के मद्देनजर फिलीस्तीन के ये बहुत बड़े हिस्से, इजरायल द्वारा गैरकानूनी और अवैध रूप से कब्जाए गए हैं। पिछले कई वर्षों में वेस्ट बैंक में इजरायल ने अवैध रूप से यहूदी बस्तियां बसा ली हैं और वहां के अधिकांश क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है और दीवारें बनाकर, वहां पर रंगभेदी व्यवस्था कायम कर दी है।
2022 में बेंजामिन नेतन्याहू की चुनी हुई सरकार ने फिलिस्तीनियों का दमन और तेज कर दिया है। इस तरह से इस पूरी तरह से दक्षिणपंथी सरकार ने फिलिस्तीनियों का जीवन नर्क बना दिया है, उनका जीना दूभर कर दिया है। इन बस्तियों में बसे इजरायली गिरोह, फिलिस्तीनियों को उनकी जमीनों से, उनके घरों से, और उनके गांवों से खदेड़ रहे हैं, उनके रोजगार छीने जा रहे हैं और बिना किसी रोक-टोक के लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। इसी वर्ष वहां के सुरक्षा बलों और नए बसाए गए लोगों ने, 250 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की निर्मम हत्या कर दी है।
गाजा पट्टी में इजरायल ने 2007 के बाद से नाकाबंदी थोप रखी है। गाजा पट्टी पिछले 16 वर्षों से निर्मल किस्म के इजरायली घेरे में है और यहां 21 लाख फिलिस्तीन रहते हैं। इसराइल ने अपने मनमाने हमलों में डेढ़ लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया है जिनमें 30000 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। इजरायल ने इस इलाके को दुनिया की सबसे बड़ी “खुली जेल” में तब्दील कर दिया है। इसका विरोध करने पर वहां इसराइल द्वारा बमबारी की जाती है। यही वह “नरक पट्टी” है, जिससे पूरी दुनिया और इजरायल के लोग भौंचक्कै रह गए हैं, जहां से हमास ने यह अभूतपूर्व हमला किया है।
हालात इतने खराब है कि जेरूसलम से फिलिस्तीनी परिवारों को जोर जबरदस्ती बेदखल किया जा रहा है और उनके घरों पर हमला किया जा रहा है, उनका जातीय सफाया किया जा रहा है, अल अक्सा मस्जिद जो मुस्लिम दुनिया का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है, वहां पर लगातार उकसावेबाजी की जा रही है और इबादत करने वालों के साथ मारपीट की जाती है, जो लोग इसका विरोध करते हैं, उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लम्बे समय तक मनमाने तरीके से खींचा जाता है और वहां पर कानून अपना काम नहीं कर रहा है। वहां की सरकार जो चाह रही है, वहां की अदालत्तें भी वही काम कर रही है। वहां का कानूनी शासन भी वही काम कर रहा है जो इजरायल का सरकारी गिरोह चाहता है।
इस हमले ने इज़राइली सेना के अजय होने का भंडाफोड़ कर दिया है, आयरन डोम का सारा तामझाम धारा का धरा रह गया है। अब नित्यानाहू ने गाजा पट्टी में खुला हमला कर दिया है। इजराइल रक्षा मंत्री ने गाजा की पूर्ण घेराबंदी का ऐलान कर दिया है, यानी कि वहां पर बिजली, पानी, ईंधन, खाना, दवाइयों पर पाबंदी लगा दी गई है। उसने गाजा में “मानव पशुओं” के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। प्रधानमंत्री नेत्यानाहू का कहना है कि वहां पर वह हमास लड़ाकों की सफाई करके ही दम लगा और एक नए इजराइल को जन्म देगा।
इस इजरायली हमले में 2000 से ज्यादा फिलीस्तीनी, महिलाएं और बच्चे मार दिए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इस घेरे बंदी को एक “सामूहिक दंड” कहा है जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक गंभीर युद्ध अपराध है। इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमला कर दिया है और वहां के हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। यह युद्ध फिलीस्तीनी जनता के मुक्ति प्रतिरोध की एक नई शुरुआत करने जा रहा है।
अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने इस युद्ध में इजरायल का समर्थन किया है और अमेरिका ने अपना जंगली जहाज और लड़ाकू विमान इजरायल की मदद के लिए भूमध्य सागर में भेज दिए हैं और इस प्रकार उसने इस लड़ाई में घी डालने का अक्षम अपराध किया है। फिलिस्तीन इसराइल संघर्ष को बढ़ाने में अमेरिका की सबसे बड़ी और शर्मनाक भूमिका रही है। उसने इस युद्ध को केवल और केवल बढ़ाने का काम किया है। अमेरिका ने कभी भी इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से निपटने की कोशिश नहीं की है। उसने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करके इजराइल का समर्थन किया है। यह विवाद अमेरिका, इंग्लैंड और अब नाटो के कुछ देशों की गलत नीतियों का परिणाम है।
इस विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास के इस नये हमले को आतंकवादी कहकर निंदा करके पश्चिमी देशों की हां में हां मिलाई थी और इजरायल के साथ एकजुटता की बात कहकर बहुत सारे भारतीयों को चौंका दिया था, मगर सद्बुद्धि ने एक बार फिर से काम किया और अब भारत सरकार ने पलटी मारी और कहा है कि भारत हमेशा से ही संप्रभु फिलिस्तीन का समर्थक रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि इजरायल के साथ शांतिपूर्ण, सह अस्तित्व वाले फिलीस्तीन को मान्यता प्राप्त सीमा में संप्रभु, स्वतंत्र और सहअस्तित्व वाले फिलिस्तीन की स्थापना होनी चाहिए। इस प्रकार भारत सरकार ने हिंदुस्तानियों की कुछ हद तक इज्जत रख ली है।
यहीं पर हमारा कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने जब इजरायल की निंदा की थी, उसे विस्तारवादी और हमलावर बताया था और फिलीस्तीन को आजाद मुल्क के रूप में मान्यता और स्थान देने की वकालत की थी और अपना सार्वजनिक बयान दिया था। आज उस महत्वपूर्ण बयान को सारे अंधभक्तों को सुनाने और उनमें फैलाने की सबसे बड़ी जरूरत है।
आज यह सबसे जरूरी हो गया है कि भारत का तमाम मीडिया संस्थान अपना पक्षपाती पूर्ण रवैया त्याग कर फिलिस्तीन और इजरायल के विवाद की पूरी जानकारी जनता को मोहिया कराये, उसे सही तथ्यों से अवगत कराये, ताकि जनता सही निष्कर्ष पर पहुंच सके और भारत सरकार की आजाद और संप्रभु फिलिस्तीन की मान्यता को आगे बढ़ा सके और इस समझौते के शांतिपूर्ण और वैधानिक समाधान पर आगे बढ़ा जा सके।