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नींबू इतना महंगा क्‍यों है, कब कम होगी कीमत? 

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नई दिल्‍ली: दो दिन पहले दोस्‍तों के साथ एक ढाबे पर खाना खाने गया था। खाने से पहले टेबल पर जैसे ही सलाद की प्‍लेट आई तो मेरी नजर पड़ी। प्‍लेट रखकर वापस मुड़ रहे रहे साथी को मैंने टोका और प्‍लेट में सलाद की मात्र कम होने की श‍िकायत की। क्‍योंक‍ि इसमें नींबू पड़ा है, इस जवाब ने मुझे निरुत्‍तर कर दिया। सब्‍जी के ठेले पर रखा एक नींबू उठा लीजिए तो सब्‍जी वाले भाई साहब इतनी तेजी से नजर फेरते हैं क‍ि कहीं हेराफेरी ना हो जाए। आख‍िर हो भी क्‍यों ना, जब एक नींबू की खुदरा कीमत 10 से 15 रुपए होगी तो एहतियात तो बरतना ही होगा। और जब नींबू की चोरी होने लगी तो डर और बढ़ जाता है। खैर, बड़े बुजुर्ग बता रहे हैं क‍ि नींबू इतना महंगातो कभी नहीं हुआ। इस समय बाजार में नींबू की खुदरा कीमत 300 से 350 रुपए प्रति क‍िलो तक पहुंच गई है। लेकिन ऐसा क्‍यों हो रहा, आख‍िर नींबू की कीमत इतनी ज्‍यादा क्‍यों है और रेट कम कब होगा?

पहले समझते हैं देश में नींबू उत्‍पादन की स्‍थ‍िति क्‍या है
कृष‍ि विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 3.17 लाख हेक्‍टेयर में फैले बगीचों में नींबू की खेती होती है। नींबू के पौधों में साल में तीन बार फूल लगते हैं और इतनी ही बार फल। 45,000 हेक्‍टयेर में खेती के साथ आंध्र प्रदेश में देश का सबसे बड़ा नींबू उत्‍पादक राज्‍य है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में भी नींबू की खेती अच्‍छी खासी होती है।

भारत में लेमनमैन के नाम से मशहूर उत्‍तर प्रदेश के आनंद मिश्रा बताते हैं क‍ि भारत में नींबू की दो श्रेण‍ियां हैं, लेमन और लाइम। छोटी, गोल और पतली चमड़ी वाली कागजी देश में सबसे अधिक उगाई जाने वाली किस्म है जो लेमन श्रेणी में आती है। वहीं लाइम श्रेणी में गहरे हरे रंग का फल होता है जिसकी खेती मुख्‍य रूप से व्‍यापार के लिए भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र होती है।

देश में नींबू उत्‍पादन की ये रिपोर्ट थोड़ी पुरानी है। लेकिन स्‍थ‍िति लगभग ऐसी ही है।
कृष‍ि विभाग के अनुसार भारत में सालाना 37.17 लाख टन से ज्‍यादा नींबू का उत्‍पादन होता है जिसकी खपत देश में ही होती है। भारत न तो नींबू का आयात करता है और न ही निर्यात। आनंद बताते हैं क‍ि नींबू की खेती के लिए गर्म, मध्यम शुष्क और नम जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। बारिश ज्‍यादा होने से फलों में रोक लग जाते हैं। पौधों को ग्राफ्टिंग के माध्यम से उगाया जाता है। नागपुर स्‍थ‍ित आईसीएआर सेंट्रल साइट्रस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीसीआरआई) और विभिन्न राज्य कृषि संस्थान अच्‍छी किस्‍म को विकसित करते हैं। किसान आमतौर पर एक एकड़ में 210-250 नींबू के पेड़ लगाते हैं और रोपण के लगभग तीन साल बाद पहली फसल आती है। एक पेड़ से औसतन लगभग 1,000-1,500 नींबू के फल निकलते हैं।

अभी नींबू की कीमत क्‍या है?
पुणे के सब्‍जी व्‍यापारी भगवान साईं ने फोन पर बताया क‍ि उनके यहां थोक बाजार में 10 किलो नींबू का एक बैग फिलहाल 1,750 रुपये में बिक रहा है। 10 किलो के बैग में आमतौर पर 350-380 नींबू होते हैं इसलिए एक नींबू की कीमत अब 5 रुपये है। पुणे में एक नींबू की खुदरा कीमत लगभग 10-15 रुपये है। उन्‍होंने आगे बताया क‍ि यह इस बाजार में नींबू की अब तक की सबसे अधिक कीमत है और ऐसा इसलिए हो रहा क्‍योंक‍ि बाजार में नींबू की आवक कम है। पुणे के बारे में वे बताते हैं क‍ि यहां के बाजार में बाजार प्रतिदिन आम तौर पर 10 किलो के लगभग 3,000 बैग की आवक होती थी। लेकिन अब आवक मुश्किल से 1,000 बैग की हो पा रही है।

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मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता जैसे बाजारों में नींबू का थोक भाव 120 रुपये, 60 रुपये और 180 रुपये प्रति किलो है जो ठीक एक महीने पहले 100 रुपये, 40 रुपये और 90 रुपये किलो था।

नींबू को नजर क्‍यों लगी?
अब आते हैं क‍ि आख‍िर नींबू की कीमत इतनी ज्‍यादा क्‍यों हो गई है। इसके एक नहीं, कई कारण हैं। बस बारे में हमने कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ में फसल मामलों के जानकार आरपी सिंह ने बात की। वे कहते हैं, ‘देश भर में पिछले साल मानसून बहुत अच्छा था। लेकिन सितंबर और अक्टूबर के महीने में बहुतबार‍िश हुई और ज्‍यादा बार‍िश से नींबू के बाग को नुकसान पहुंचता है। ज्‍यादा बार‍िश की वजह से पौधों में फूल ही नहीं आए। इस फसल को आमतौर पर कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जाता है। लेकिन जब फूल नहीं आए तो जाह‍िर सी बात है क‍ि उत्‍पादन प्रभावित हुआ। यही नींबू कोल्‍ड स्‍टोर में रखा होता तो कीमत इतनी ज्यादा नहीं होती।’

वे आगे बताते हैं क‍ि फरवरी के अंत में ही तापमान बढ़ गया। इससे भी फसल प्रभावित हुई। छोटे फल बागों में ही गिर गए। गर्मियों में जब नींबू की मांग सबसे ज्‍यादा रहती है तो दोहरी मार की वजह से फसल मांग के अनुसार बाजार तक नहीं पहुंच पा रही। कम आवक के कारण देश भर में नींबू की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर को पार कर गई हैं।

आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे प्रमुख नींबू उत्‍पादक राज्‍यों में तापमान बढ़ने की वजह से पैदावार प्रभावित हुई जिसकी वजह से इसके दाम आसमान छू रहे।
दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से लागत बढ़ गई है। माल की ढुलाई का किराया बढ़ना भी कीमतों में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण रहा है। 22 मार्च के बाद से भारत में ईंधन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसकी वजह से परिवहन लागत बढ़ गई है। सब्जी व्‍यापारियों का कहना है क‍ि परिवहन लागत में बढ़ोतरी की वजह से नींबू सहित सभी सब्‍ज‍ियों की कीमत बढ़ गई है।

नींबू की बढ़ती कीमतों का एक और कारण यह है कि आपूर्ति में कमी और मांग ज्‍यादा है। गर्मियों के महीनों में नींबू की मांग बहुत अधिक होती है जिसके कारण कीमतें पहले से ही ज्‍यादा होती हैं। हालांकि, चक्रवात के कारण गुजरात में फसलों को हुए नुकसान ने भी स्थिति को और खराब कर दिया। डीसा गुजरात के एक सब्जी कारोबारी प्रवीण भाई माली ने बताया क‍ि गुजरात में प्राकृतिक आपदा के कारण नींबू की कीमतें बढ़ रही हैं, जबकि दूसरे राज्‍यों से आने वाली सब्जिों की कीमत ढुलाई किराया में बढ़ोतरी की वजह से महंगी हो गई हैं।

कब कम होगी कीमत?
अब हर कोई जानना चाहता है आख‍िर नींबू की कीमत कम कब होगी। व्‍यापारियों का कहना है क‍ि अभी तत्‍काल इसकी कीमत कम नहीं होने वाली। अब जब अगली फसल बाजार में आएगी, कीमतों में कमी तभी आ सकती है और इसके लिए कम से कम सितंबर, अक्‍टूबर तक इंतजार करना होगा। तब तक नींबू के लिए जेब ढीली करनी होगी।

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