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*आखिर क्यों समाप्त होता जा रहा है दाम्पत्य से प्रेम और यौनसुख?*

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अदिति शर्मा (बोधगया)

विनष्ट होते परिवार-भाव, सामाजिक सरोकार और मनावीयता के आयाम का और बढ़ते तत्संबंधी अपराधों का मूल कारण है :

कोण-त्रय-युता देवि
स्तुति-निन्दा-विवर्जिता।
जगदानन्द-सम्भूता
योनिर्मां पातु सर्वदा ।।

कात्र्रिकी – कुन्तलं रूपं
योन्युपरि सुशोभितम्।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि:
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

वीर्यरूपा शैलपुत्री
मध्यस्थाने विराजिता।
ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

योनिमध्ये महाकाली
छिद्ररूपा सुशोभना।
सुखदा मदनागारा
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

काल्यादि-योगिनी-देवी
योनिकोणेषु संस्थिता।
मनोहरा दुःख लभ्या
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

सदा शिवो मेरु-रूपो
योनिमध्ये वसेत् सदा।
केवल्यदा काममुक्ता
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

सर्व-देव स्तुता योनि
सर्व-देव-प्रपूजिता।
सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

सर्व-तीर्थ-मयी योनि:
सर्व-पाप प्रणाशिनी।
सर्वगेहे स्थिता योनि:
योनिर्मां पातु सर्वदा।।

मुक्तिदा धनदा देवी
सुखदा कीर्तिदा तथा।
आरोग्यदा वीर-रता
पञ्च-तत्व-युता सदा।।

योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्त य:
पठेत् योनि-सन्निधौ।
शक्तिरूपा महादेवी तस्य
गेहे सदा स्थिता।।

*🍃लिंग~स्तोत्रम् :
ब्रह्म सुरारि अर्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
कामदहन करुणाकर लिंगम्।
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

सर्व सुगंध सुलेपित
कारण लिंगं बुद्धि विवर्धन लिंगम्।
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम्।
दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
पंकज हार सुशोभित लिंगम्।
संचित पाप विनाशन लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

देवगणार्चित सेवित लिंगं
भवै-भक्तिभिरेव च लिंगम्।
दिनकर कोटि महादेव लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम्।
अष्टाद्रिद्र विनाशन लिंगं
तत्-प्रणामामि सदाशिव लिंगम्॥
(चेतना विकास मिशन).

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