राजेंद्र चतुर्वेदी
राष्ट्रवादी कारण
फिल्म में शाहरुख खान है। और हर राष्ट्रवादी का कर्तव्य है कि वह मुसलमान का विरोध करे। मुसलमान चाहे अखबार की रद्दी खरीदने आने वाला रहीम हो, चाहे शाहरुख जैसी हस्ती, विरोध तो बनता है भाई। वरना राष्ट्रवाद का क्या होगा।
सामाजिक कारण
आपने गाना देखा, बेशरम रंग वाला गाना। इस गाने में ब्राह्मण नारी दीपिका पादुकोण किस तरह तो एक अधेड़ मुसलमान से लिपट चिपट रही है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जब उसने एक ठाकुर से ब्याह किया था, तब बर्दाश्त कर लिया गया था। इसलिए कि उसका कदम हिन्दू एकीकरण के लिए अच्छा था, इसलिए हम भी मन मसोसकर रह गए थे लेकिन अब तो बर्दाश्त से बाहर की बात है। ब्राह्मण नारी मुसलमान के साथ नाचे, इसे सच्चा हिन्दू बर्दाश्त नहीं करेगा।
राजनीतिक कारण
-ये शाहरुख खान छिपा हुआ कांग्रेसी लगता है। फिर ये बात तो पूरा भारत जानता है कि इसका दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी था। दादा से किसने कहा था, स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए। उनने मुस्लिम लीग में शामिल होकर परम पूजनीय सावरकर जी के द्विराष्ट्रवाद के विचार को आगे क्यों नहीं बढ़ाया?
अंग्रजों के लिए कांग्रेस की जासूसी करते। जब बहुत सारे लोग कर रहे थे तो दादा भी करते, किसने रोका था। नहीं की तो दादा के पोते को ही सही, अंग्रेज द्रोह की सजा तो मिलेगी। एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पोते को कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है।
– और ये दीपिका भी कम नहीं है। ये कांगी या वामी है, अपनी वाली तो नहीं है। इसीलिए तो जेएनयू में गई थी। इसे इसकी सजा मिलेगी, बरोबर मिलेगी।
आर्थिक कारण
फिल्म अगर चल गई तो इनके पास बहुत पैसा पहुंचेगा। उससे ये दूसरी फिल्म बनाएंगे। इसलिए इनकी आर्थिक कमर तोड़ना जरूरी है।
धार्मिक कारण
दीपिका ने गाने में भगवा रंग की बिकिनी पहनी है। भगवा बहुत पवित्र रंग है। याद आता है कि एक बार एक चिन्मया ने भगवा रंग की पवित्रता की रक्षा के लिए अपनी शिष्या से रेप कर दिया था। दूसरी बार जब इसी चिन्मया ने अपने कॉलेज की स्टूडेंट से फुल बॉडी मसाज कराया था, तो पूरे कपड़े उतार कर एक तरफ रुख दिए थे, ताकि भगवा की पवित्रता भंग न हो। तब हम दीपिका को भगवा की पवित्रता कैसे भंग करने दे सकते हैं। हम तो भाई फिल्म का बहिष्कार करेंगे ही।
देश के हित से जुड़ा कारण
अरुणाचल प्रदेश की भाजपा ट्वीट पर ट्वीट किए जा रही है कि चीन ने भारत की सीमा में घुसकर गांव बसा लिया है। इस तुच्छ से मुद्दे की चर्चा देश के हित में नहीं है। देश के हित में चर्चा बिकिनी की होनी चाहिए। ये चर्चा होती रहे, इसलिए फिल्म का बहिष्कार जरूरी है।
आओ बहिष्कार करें
Rajendra Chaturvedi