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नीतीश और मांझी से मिलकर तेज प्रताप क्यों है गदगद,’मिरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा, इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा’

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पटना: मशहूर शायद क़लीम आजीज़ कह गए हैं कि ‘दिन एक सितम, एक सितम रात करे हो… दोस्त हो मगर दुश्मन को भी तुम मात करे हो’… अब जरा ऊपर लगी तस्वीर पर भी गौर फरमा ही लीजिए। जिन जीतन राम मांझी पर 24 घंटे पहले ही तेजप्रताप हत्थे से उखड़े हुए थे, उनके साथ वही खूब मुस्कुरा रहे हैं, और तो और साथ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी। ऊपर से हैं तो वो आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का ही खून तो वो भी पिता की तरह ही सियासत में माहिर हैं। उन्हें भी बखूबी पता है कि राजनीति में न तो कोई स्थाई दोस्त होता है और न ही दुश्मन। लेकिन ऐसा भी क्या कि 24 घंटे पहले का गुस्सा अचानक इफ्तार पार्टी के दौरान हवा में धुएं की मानिंद काफूर हो गया।

क्या गुल खिलाने वाली तेज प्रताप की ये मुस्कान?
मांझी भी तब थोड़े हैरान रह गए होंगे जब तेज प्रताप अचानक यूं मुस्कुरा उठे होंगे। आखिर चौंके भी क्यों न, एक दिन पहले एक यूट्यूबर तेज प्रताप यादव के घर से भाग छूटा और बाद में उसकी गाड़ी जीतन राम मांझी के घर के बाहर खड़ी नजर आई। तेज प्रताप ने उस यूट्यूबर का पीछा कर ये तक दिखा दिया कि उसकी गाड़ी जीतन राम मांझी के आवास के बाहर खड़ी है। आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश का केंद्र पूर्व सीएम का आवास है। लेकिन ठीक 24 घंटे बाद तेज प्रताप यादव जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार से मिलकर गदगद दिखे। सवाल उठे कि आखिर तेज प्रताप यादव की मुस्कान का मतलब क्या है?

समझिए इस मुस्कुराहट के मायने
जानेमाने शायर राहत इंदौरी का एक शेर यहां याद करने लायक है, और वो ये कि ‘मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूं… यहां हमदर्द हैं दो-चार मेरे।’ तेज प्रताप की मुस्कुराहट को बयां करने के लिए ये शेर बहुत काफी है। तेज प्रताप खुद आरोप लगाते रहे हैं कि उनके खिलाफ तेजस्वी के करीबी ही साजिश रचने में लगे हुए हैं। ऐसे में अगर तेज प्रताप को अपने हमदर्दों के बीच आकर सुकून मिला होगा, हालांकि सियासी दुश्मनों की महफिल में शामिल हमदर्दों के बारे में वो ही जानें। ये भी मान लीजिए कि लालू के लाल का गुस्सा पल में तोला और पल में माशा जैसा है। मतलब वो किसी से परमानेंट दुश्मनी रखने वाली शख्सियत नहीं हैं। ये दावा तेज प्रताप यादव के करीबी ही करते हैं।

आगे क्या करेंगे तेज प्रताप?
मशहूर शायर अमीर क़ज़लबाश कह गए हैं कि ‘मिरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा, इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा।’ शायद कुछ ऐसा ही हाल तेज प्रताप यादव का भी है। उन्हें बखूबी मालूम है कि हवा का रुख उनके खिलाफ है। बावजूद इसके वो गजब तरीके से अपने विरोधियों पर हमलावर हैं। अब इसमें गलती किसकी है और कौन सही है, ये तय करना काफी मुश्किल है। लेकिन ये तो तय है कि लालू के बड़े लाल कोई बड़ा गुल खिलाने की फिराक में हैं।

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