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सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी क्या बचा पायेगी मां की साख

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हर शाम लगभग 4.30 बजे, छह कारों जिनमें दो अर्टिगा, दो जगुआर, एक नेक्सॉन, एक स्कोडा और एक मर्सिडीज बेंज का कारवां संसद मार्ग स्थित दिल्ली भाजपा के कार्यालय से निकलता है, और बांसुरी स्वराज के प्रचार अभियान के लिए रवाना होता है.

स्वर्गीय सुषमा स्वराज की 40 वर्षीय बेटी बांसुरी इस चुनाव से अपनी राजनैतिक पारी की शुरुआत कर रही हैं और वह नई दिल्ली से चुनावी मैदान में हैं. यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जिसमें सेंट्रल विस्टा से लेकर राष्ट्रपति भवन, पुराने सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आते हैं. यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व भाजपा सुप्रीमो लालकृष्ण आडवाणी और सुपरस्टार राजेश खन्ना भी चुनाव जीत चुके हैं.

बांसुरी स्वराज ने 1 मई को  दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ अमर कॉलोनी का दौरा किया. जैसे ही वे अपने वाहनों से बाहर निकले, ढोल-नगाड़ों की जोरदार आवाज़ के बीच, एक डीजे ने 2024 चुनावों के लिए भाजपा का गीत बजाया: “जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे.”

पत्रकारों और कैमरामैनों ने स्वराज को घेर लिया, उन्होंने कैमरे के सामने हनुमान की एक तस्वीर उठाई और ज़ोर से “जय श्री राम” का नारा लगाया. हालांकि इन दोनों ही बातों से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता है, लेकिन स्वराज पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद वह अपनी एक कार की सनरूफ पर खड़ी हो गईं और रोड शो शुरू हुआ. 

स्वराज भाजपा की “नई प्रतिभा” हैं जो इस चुनाव में मीनाक्षी लेखी की जगह ले रही हैं. स्वराज की तरह लेखी भी सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में मोदी लहर पर सवार होकर नई दिल्ली के मौजूदा कांग्रेस सांसद अजय माकन के खिलाफ 1.6 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की. 2019 में वह न केवल फिर से जीतीं बल्कि अपनी जीत का अंतर 2.5 लाख से अधिक वोटों तक बढ़ा लिया. 

लेकिन इस साल लेखी को टिकट नहीं दिया गया. उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने स्वराज को “जिम्मेदारी सौंप दी है”, लेकिन पार्टी के सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि लेखी और मतदाताओं के बीच “दूरी बढ़ रही” थी.

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