प्रदीप द्विवेदी*
अंग्रेजों के अत्याचार की बेशर्म तस्वीर दिखानेवाले मानगढ़ और आजादी के लिए भगत आंदोलन की ज्योत जगानेवाले गोविंद गुरु को वह प्रतिष्ठा और पहचान नहीं मिली, जिसे उन्हें प्रदान करना हमारा कर्तव्य था!
आजादी के बाद इस क्षेत्र के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग बेमिसाल रहा है…. बांसवाड़ा के पहले प्रधानमंत्री भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी, जिन्होंने भील आश्रम में विवाह किया, आजादी के आंदोलन के दौरान मुंबई में अपने पांच साल के बेटे यतींद्रनाथ त्रिवेदी को हमेशा के लिए खो दिया, तो अखबार पढ़ने के जुर्म में जिन्हें सजा हुई, डूंगरपुर की कालीबाई के साहस की कहानी आज भी नारीशक्ति का एहसास कराती है, महात्मा गांधी कहते थे कि अगले जन्म में वे सफाईकर्मी बनना पसंद करेंगे, लेकिन बांसवाड़ा के चिमनलाल मालोत तो इसी जन्म में सफाईकर्मी बन गए थे!
आजादी के बाद मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय पहचान पाने में इतने साल लग गए, अस्सी के दशक में यहां के विधायक नाथूराम भगत, विभिन्न लेखकों आदि ने प्रयास प्रारंभ किए, तो एक्कीसवीं सदी में अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान सरकार के मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया के प्रयासों के मद्देनजर मानगढ़ धाम के विकास की शुरूआत की.
आज इस बात की जरूरत है कि अशोक गहलोत सरकार मानगढ़ पर एक भव्य फिल्म बनाए, ताकि आजादी के आंदोलन के इस ऐतिहासिक तीर्थ को देश-विदेश में पहचान मिले, इस फिल्म में अभिनय और कद-काठी के नजरिए से गोविंदा या आमिर खान, गोविंद गुरु की भूमिका बेहतर तरीके से निभा सकते हैं.
हालांकि, मानगढ़ धाम पर लेखन और फिल्मांकन के अनेक प्रयास हुए हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हैं और इनके पास कोई बड़ा आर्थिक आधार भी नहीं है.
अस्सी के दशक में जब मेरी पहली वागड़ी फिल्म- तणवाटे की शुरूआत हुई, तब मानगढ़ तक पहुंचना आसान नहीं था, उस समय फिल्म की टीम के सदस्यों…. सैटेलाइट फिल्म स्टूडियो के निर्देशक (फिल्मांकन) सालेह सईद, लोकप्रिय अभिनेता- भंवर पंचाल, जगन्नाथ तैली और कैलाश जोशी के साथ मानगढ़ पहुंचे, तो अपनी गाडियां नीचे छोड़ कर ही पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा था.
आजादी की कहानियों को उजागर करने के लिए दूरदर्शन के धारावाहिक- अलख आजादी की, में भी वागड़ के कलाकारों को मानगढ़ धाम के लिए काम करने का अवसर मिला था, इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के भानजे और दूरदर्शन में अधिकारी रहे वागड़ के प्रमुख लेखक रहे शैलेंद्र उपाध्याय के प्रयास उल्लेखनीय रहे.
मानगढ़ धाम पर फिल्म बनाने की योजना पर कार्य लंबे समय से जारी है तथा इससे जुड़े विविध तथ्य भी जुटाए जा रहे हैं, लेकिन एक अच्छी और प्रभावी फिल्म बनाने के लिए इतना पर्याप्त नहीं है.
इस संबंध में मैंने बॉलीवुड के अनुभवी सेलिब्रिटी से चर्चाएं भी की थी, ताकि उनके अनुभव, मार्गदर्शन का फायदा मिल सके.
इसी सिलसिले में कुछ समय पहले सुपर स्टार गोविंदा के बड़े भाई और आंटी नंबर 1, हत्या जैसी सुपरहिट फिल्में देनेवाले प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक कीर्ति कुमार से मुलाकात की थी और मानगढ़ धाम विषयक जानकारी देते हुए उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया था.
मेरे प्रयास जारी हैं और मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के संयुक्त क्षेत्र के निवासियों से निवेदन है कि मानगढ़ से संबंधित विभिन्न तथ्यात्मक जानकारियां, सुझाव आदि भेजें, इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के इच्छुक व्यक्ति (व्हाट्सएप- 8302755688) पर संदेश प्रेषित कर सकते हैं.
मानगढ़ धाम- धर्म शिक्षा, समाज सुधार और आजादी के आंदोलन के नजरिए से सर्वोत्तम राष्ट्रीय तीर्थ है, इस पर फिल्म बननी ही चाहिए!
*इस क्षेत्र के प्रमुख लेखक, विचारक रमेशचंद्र वडेरा ने मानगढ़ संदेश पर बहुत लिखा है और मानगढ़ विषयक काफी सामग्री भी संकलित और प्रस्तुत की है….