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बदजात होती स्त्रीजात

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     पुष्पा गुप्ता

बिस्तर पर पुरुष चाहिए.
बच्चा जनने के लिए पुरुष वीर्य चाहिए.
आजीवन सुरक्षा के लिए पिता भाई पति बेटा के रूप मे पुरुष चाहिए.
शादी के लिए कमाऊ लड़के के रूप मे पुरुष चाहिए.
लेकिन :
पुरुषों का हर वक्त विरोध करना जरूरी है.
जिसकी खाना उसके ही खिलाफ हर वक्त जहर उगलना जरूरी है.
ऐसी बदजात हो रही है स्त्री जात.

सास बहू की लड़ाई.
ननद भौजाई की लड़ाई.
देवरानी जेठानी को लड़ाई.
महिला ही महिला की दुश्मन.
मग़र विक्टिम बनकर पुरुष को टार्गेट करना हमेशा जरूरी है.
ऐसी बदजात हो रही है स्त्री जात.

बेटा, भाई कल तक परिवार बिना रह नहीं सकता था.
शादी करके आते ही उस का घर तोड़ना जरूरी है.
पति को उसके ही घर वालों से लड़ा कर अलग करना जरूरी है.
ऐसी बदजात हो रही है स्त्री जात.

स्वतंत्रता के नाम पर अंग प्रदर्शन करना जरूरी है.
डांस के नाम पर स्तन और नितम्ब हिलाना, दिखाना जरूरी है.
अपनी हवस मिटाने के लिए bf संग होटल में जाना जाना जरूरी है.
मग़र जब कुछ भी आउट ऑफ कंट्रोल हो तो पुरुष पर झूठे आरोप लगा पुरुष पर दोष मढ देना ही जरूरी है.
ऐसी बदजात हो रही है स्त्री जात.

पति से सबकुछ लो, औरों को भी भोगो. यह जरूरी है. पति विरोध कर दे तो उसे झूठे मुकदमे मे फसाके उसके धन का दोहन भी जरूरी है.
ऐसी बदजात हो रही है स्त्री जात.

मेरी बात से आप को मिर्ची लगी हो तो ज्ञान देने मत आ जाना. मुझे भी पता है सब एक जैसी नहीं होती. अगर आप ऐसी नहीं हो तो दिल पर मत लेना।

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