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साइबर क्राईम में महिला सहभागिता चिंतनीय

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सुसंस्कृति परिहार

तकनीक के विस्तार के साथ साइबर अपराधों के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पांच साल पहले साल 2017 में देश में 600 मामले दर्ज हुए थे। पिछले पांच सालों में इस तरह के कुल 8396 मामले दर्ज हुए हैं इनमें साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों के 2597 मामले दर्ज हुए थे। पांच सालों में इन अपराधों की संख्या में 4 गुना वृद्धि हुई है।अब तक महिलाओं पर साईवर क्राईम से महिलाएं चिंतित रहती थीं ।

कुछ दिनों पूर्व पंजाब में मोहाली की एक निजी यूनिवर्सिटी से कथित तौर पर प्राइवेट वीडियोज सामने आने के बाद देशभर के युवा आक्रोशित हैं।इस मामले में पुलिस ने आरोपी छात्रा और उसके दोस्त समेत कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।जिसमें  एक छात्रा के ऊपर अपने महिला साथियों का वीडियो बनाकर अपने पुरूष मित्रों को भेजने का आरोप है, उसने एक बार फिर तकनीकी के दौर में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

मोबाइल या कैमरे से इस तरह इंटरनेट पर अश्लील वीडियो या कंटेट पब्लिश करना या रिकॉर्ड करना साइबर क्राइम  के तहत आता है। महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं।  परेशान करने वाली बात यह है कि पिछले चार साल में ऐसे मामलों की संख्या में 77 फीसदी का इजाफा हुआ है। दुखद यह है कि जब महिला ही इस क्राईम में सहभागी हों तो महिलाओं को कैसे बचाया जाएगा ये बड़ा मुश्किल एवं गंभीर सवाल है।

भारत में हर दूसरे सेकंड, एक महिला साइबर क्राइम (cyber crime) का शिकार होती है और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अब एक नया मंच है, जहां हर पल एक महिला सुरक्षा को चुनौती दी जा रही है। ट्रोलिंग, गाली-गलौज, धमकी देना, घूरना, बदनाम करना, पीछा  करना, बदला लेना और अश्लील बातें करना जैसे साइबर क्राइम (cyber crime) दुनिया में मौजूद हैं। महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम (cyber crime) में, प्रभाव शारीरिक से अधिक मानसिक है जबकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कानूनों का ध्यान मानसिक नुकसान की तुलना में शारीरिक तोर पर अधिक है।
कुछ प्रमुख प्रसिद्ध साइबर क्राइम ने हजारों महिलाओं को डिप्रेशन, उच्च रक्तचाप जैसे विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों में डाल दिया है और ई-उत्पीड़न (e – assualt) के कारण महिलाएं चिंता, हृदय रोग और थायरॉयड जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।

चंडीगढ़ मोहाली विश्वविद्यालय का मामला ऐसा ही है जिसके कारण कई छात्राएं डिप्रेशन में चली गई। लगता है पकड़ी गई  छात्रा अपने न्यूड फोटो भेजकर लगता है अपने तथाकथित मित्रों से निश्चित ही कुछ आर्थिक मदद लेती रही होगी या हो सकता है वह साईवर क्राईम के जाल में जब फंस गई तो उसके ज़रिए अन्य छात्राओं के नहाने के चित्र भेजने का दबाव रहा हो। वह मजबूर हुई हो।दूसरा पहलू यह भी हो सकता है कि उसने इस व्यवसाय के लिए खुद  पहल की हो क्योंकि लड़कियां अब बदल रही हैं वे अपनी देह का इस्तेमाल विज्ञापनों में खुलकर करती हैं उससे भी ज्यादा वे देह का सौदा भी खुलकर करने लगी है। आश्चर्यजनक बात ये है कि मोबाइल कल्चर ने इस धंधे में गांव की लड़कियों को शामिल कर लिया।यह बात साईवर क्राईम ही नहीं बल्कि सामाजिक समस्या भी बन गया है।देह का सौदा करती लड़कियों के अश्लील चित्र वीडियो पर धड़ल्ले के साथ दिखाए जाते हैं। मोबाइल कम्प्यूटर क्रांति के जितने अधिक फायदे मिले हैं उससे अधिक अब आपराधिक मामले देखने मिल रहे हैं। ज़रूरत इस बात की है कि बच्चों को बचपन से ही इन तमाम अपराधों से अवगत कराया जाए ताकि वे उससे दूरी बना सकें।साइबर अपराधी हमेशा बड़ा पैसा कमाने का आसान तरीका चुनते हैं। वे अमीर लोगों या बैंकों, कैसीनो और वित्तीय फर्मों जैसे अमीर संगठनों को लक्षित करते हैं जहां हर रोज बड़ी मात्रा में धन का लेनदेन किया जाता है और संवेदनशील जानकारी हैक की जाती है। आजकल महिलाओं की उपस्थिति इस क्षेत्र में निरंतर बढ़ रही है।

ऐसे अपराधियों को पकड़ना मुश्किल होता है. इसलिए, इससे साइबर अपराधों की संख्या में वृद्धि होती है। कंप्यूटर असुरक्षित हैं, इसलिए साइबर अपराधियों से सुरक्षा और सुरक्षा के लिए कानूनों की आवश्यकता है।

आजकल की टेक्नोलॉजी की दुनिया में जहाँ इंटरनेट हमारे लिए वरदान है वही ऐसे बहुत -से क्षेत्र है जहाँ यह एक श्राप का रूप भी ले लेता है। हमें आजकल की इस सोशल मीडिया की दुनिया में बहुत संभलकर कदम उठाने चाहिए।  कभी भी सार्वजनिक रूप से व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा न करें। यह उतना ही अच्छा है जितना कि सार्वजनिक स्थान पर किसी अजनबी को अपनी पहचान बताना।

हमेशा किसी भी तस्वीर को ऑनलाइन भेजने से बचें, विशेष रूप से अजनबियों को और दोस्तों से चैट करें क्योंकि तस्वीरों के दुरुपयोग की घटनाएं हुई हैं।इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कभी भी किसी भी पक्ष में क्रेडिट कार्ड नंबर दर्ज न करें जो सुरक्षित नहीं है।

 ध्यान दें महिलाओं की सहभागिता से ये अपराध वेग से बढ़ेंगे। इसलिए उपयुक्त उपायों  का इस्तेमाल करें।यदि जबरिया कोई करता है तो निर्भीकता से उसके विरुद्ध मामले दर्ज कराएं।  सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत, किसीकी गोपनीयता भंग करने के लिए कई धाराओं के तहत आढ़तियों और साइबर अपराधियों पर मामला दर्ज किया जा सकता है:।   आपकी चुप्पी इस अपराध में आपका संपूर्ण जीवन नष्ट कर सकती है।मुखर होकर प्रतिरोध करना जरूरी है।यह बीमारी वेग से बढ़ रही है इसे रोकने में सबकी मदद हो तो काम आसान होगा।

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