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राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अभी भी बहुत कम

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बहुजन संवाद पर महिला मुद्दों परचर्चा

हम साल 2024 के लोकसभा चुनाव की दहलीज पर हैं। 47 करोड़ महिलायें आगामी लोकसभा चुनाव में वोट डालने के लिये पात्र हैं। महिलाओं को लेकर 1998 से लंबित कानून को तकनीकी तौर पर संसद से पास करा दिया गया है, जिसमें महिलाओं की 33 प्रतिशत की हिस्सेदारी की बात की गई है,

लेकिन अभी यह लागू होने वाला नहीं है। सर्व विदित है राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अभी भी बहुत कम है। राजनीति के उच्च शिखर तक पहुंचने के बावजूद महिलाओं को बराबरी का हक और  सम्मान आज तक नही मिल सका है, जिसकी वह हकदार हैं। शिक्षा पूरी करने के बावजूद बच्चों को जन्म देने, मातृत्व अवकाश और बराबर वेतन जैसी चुनौतियों की वजह से कर्मचारियों में महिलाओं की मौजूदगी अब भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। कई क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति के बावजूद शिक्षा, नौकरी स्वास्थ्य, कारोबार और राजनीति

के साथ साथ घर और समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव जारी है।

आगामी चुनाव में क्या होंगे महिलाओं के मुद्दे? कौन से मुद्दों पर महिलाएं वोट करती हैं ?

ध्रुवीकरण की राजनीति के महिला वोटरों पर क्या होंगे असर? पार्टियों के मैनिफेस्टो में महिलाओं के कौन से मुद्दों पर रहेगा फोकस ?  पार्टियां कितनी और कौन सी महिलाओं को लोकसभा चुनाव लड़ने का देंगी अवसर ? 

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