~ नीलम ज्योति
आजकल नग्नता का ज़ोर चरम पर है। जिन्हें नहीं पसंद वो बोल रहे हैं पर पसंद करने वाले ज्यादा हैं।
पब्लिक प्लेस पर सिगरेट पीने पर पाबंदी है। 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को सिगरेट नहीं बेची जा सकती. इसमें जुर्माना और जेल दोनों की व्यवस्था है पर पब्लिक प्लेस पर कोई कैसे भी कपड़े पहन कर आ जाए उसके लिए कोई सजा नहीं।
आजकल एक लड़की कुछ भी उल-जलूल कपड़े पहनने के लिए फेमस है वो उन्हें पहन एयरपोर्ट घूम रही है , रोड पर घूम रही है। वो कुछ भी पहन सकती है उसका अधिकार है , पर बाकी लोगों के अधिकार का क्या।
क्या इससे बाकी लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होता ? सिर्फ उसे ही क्यों बोला जाए .. फिल्मी सितारे क्या कम हैं। पर उनके पीछे प्रेस , मीडिया भागा जा रहा है और भागेगा ही… लोग पसंद कर रहे हैं और जितना लोग पसंद कर रहे उतना कपड़े का साइज कम होता जा रहा।
किसी भी लड़की का ये कहना कि हम कुछ भी पहनें आप अपनी नजरें सही रखें बकवास है। प्रकृति है प्रकृति का नियम है, होता है आकर्षण स्त्री – पुरुष के बीच … पर इस तरह के कपड़े पहन आप आग में हवा देने का काम कर रहे हो। हमें आज के युवा को भविष्य के लिए तैयार करना है पर उसे परोसा जा रहा है ये .… ताकि वो अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के बारे में न सोचे और इन लड़कियों में खोया रहे।
मीडिया खुद उन्हें प्रमोट कर रहा जिनकी औकात ही नहीं उनके पीछे भागा जा रहा। क्या क्वालिफिकेशन कैरी करती है ये पर उन्हें बार – बार सोशल मीडिया पर दिखाया जाना ताकि बाकी लड़कियां भी ऐसे करें। और ऐसा हो भी रहा है।
लड़कियों को फेमस होने का तरीका मिल रहा है। कम कपड़े पहनो , गंदे फूहड़ moves और फेमस क्योंकि views इन्हें ही मिलते हैं।
अब ये so called सेलिब्रिटी जब भी कहीं जाते होंगे इनके साथ इनके बॉडी गार्ड साथ होंगे। अगर आप कुछ भी पहन सकते हो तो अकेले चलो बिना डर के। पर इन्हें देख जो पुरुष मानसिकता में बदलाव आता है उसकी शिकार वो लड़कियां बनती हैं जो बॉडी गार्ड साथ लेकर नहीं चलती।
एक बात बोली जाती है कि इंसान भी एक जानवर ही है बस बाकी जानवरों से उसकी चेतना का स्तर बहुत ऊंचा है। अब जानवर तो कपड़े नहीं पहनते। अभी एक मादा जानवर की बात करते हैं , कुछ feel होता है उसे देख कर … ये प्रश्न पुरुषों के लिए। अगर उसे देख कुछ नहीं लग रहा तो जो लड़कियां नग्न हुए जा रही है उन्हें भी इग्नोर कर आगे बढ़ जाओ। आप भाव दे रहे तो ही ऐसा कर रही हैं।
एक सेंसर सोशल मीडिया साइट्स पर भी होना चाहिए। कोई भी पोस्टेड कंटेंट चेक हो शेयर होने से पहले। अब ये कहा जाए कि इतना सारा कंटेंट हर पल डाला जाता है कोई कैसे चेक करे तो site भी आपने ही बनाई है।
अगर इसे सोशल मीडिया कहा गया है तो इसमें हर तबके के लोग आएंगे तो सबकी भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जिन्हें नग्नता में इंटरेस्ट है वो कहीं और जाएं।
बच्चे भविष्य हैं हमारा। ये समाज , ये देश तभी आगे बढ़ेगा जब युवाओं की सोच विकसित होगी। ये मैंने पहले भी कहा है लड़कियों तुम्हारी औकात सिर्फ सुंदर भर रहना नहीं है बहुत कुछ है जो कर सकती हो। जैसे सुंदर मछलियां ही एक्वेरियम की शान बनती हैं मतलब वो सिर्फ एक दिखावे का सामान होती हैं।
उससे आगे की सोचो सुंदरता के साथ – साथ अपनी सोच भी विकसित करो। तुम्हारी जगह सिर्फ घर नहीं , पूरा जहान है। अपनी abilities को पहचानो , तराशो और जीवन में कोई मुकाम हासिल करो।
लड़कों को भी किसी भी लड़की को भाव नहीं देना है , तुम्हारे मेंटल लेवल से match करे ये तो देखो।
मुझे लगता है सरकार को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। कोई कुछ भी पहन सकता है इसे सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी बोल कर इग्नोर नहीं किया जा सकता। अभिव्यक्ति की आजादी के साथ – साथ , समाज के प्रति जो कर्तव्य है उससे विमुख नहीं हुआ जा सकता।
अगर कम कपड़े पहनना आपके प्रोफेशन के लिए जरूरी है तो उसे वही तक सीमित रखा जाए , रास्ते में न लाया जाए।
मीडिया की बहुत ताकत है उसे उन लोगों को प्रमोट करो जो वास्तव में उसके हकदार हैं। अगर अच्छा कंटेंट दिखाओगे तो धीरे – धीरे बदलाव आएगा लोगों की सोच में।
लड़कियों और लड़कों को देह – भाव से बाहर आना होगा। देह से अलग भी सोचो … मतलब सोचो। एक सोच भी है , दिमाग भी है आपके पास उसका भी उपयोग करो। कहने का मतलब सोच बदलिए क्योंकि समाज में बदलाव आप ही लायेंगे।