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विमेंसवर्ल्ड : पीएमएस में एंग्री वीमेन बनने का कारण और कंट्रोलिंग मेथड 

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         नेहा, नई दिल्ली 

 प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का अनुभव महिलाएं पीरियड्स के एक हफ्ते पहले से करती हैं। कुछ महिलाओं को यह अधिक तो कुछ को कम प्रभावित करता है। इस स्थिति में शारीरिक तथा मानसिक दोनों तरह के लक्षण नजर आते हैं। 

     इनकी वजह से जीवनशैली की नियमित गतिविधियों पर भी बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। PMS में महिलाओं के मूड और बॉडी दोनों में बदलाव नजर आते हैं। आमतौर पर यह पीरियड्स के 4 से 5 दिन पहले से लेकर पीरियड्स शुरू होने के 2 से 3 दिन तक रहता है। 

     इस दौरान महिलाएं फ्रीक्वेंट मूड स्विंग से बेहद प्रेषण रहती हैं। महिलाएं बेहद चिड़चिड़ी हो सकती हैं, जिसकी वजह से वे लोगों के साथ बात भी नहीं कर पाती, छोटी छोटी बातों पर रिएक्ट करती नज़र आ सकती हैं।

    क्या आपने सोचा है कि PMS के दौरान महिलाओं के मूड में इतने फ्रीक्वेंट बदलाव क्यू आते हैं? यदि नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे।

 *PMS के दौरान मूड स्विंग्स के कारण* 

    मासिक धर्म चक्र में हार्मोनल परिवर्तन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार-चढ़ाव) महिलाओं के मूड को प्रभावित करते हैं और क्रोध और चिड़चिड़ापन जैसी नकारात्मक भावनाओं को ट्रिगर करते हैं।

*पीएमएस के लक्षण*     

     गामा-अमीनोब्यूटिरिक एसिड (GABA), ओपिओइड, सेरोटोनिन और कैटेकोलामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर पर प्रोजेस्टेरोन की क्रिया से प्रभावित हो सकते हैं। प्रोजेस्टेरोन संवेदनशीलता में वृद्धि के साथ पहले से मौजूद सेरोटोनिन की कमी को भी इस डिसऑर्डर के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

         नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में परिवर्तन सेरोटोनिन के स्तर को भी प्रभावित करते हैं। यह एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो आपके मूड, नींद के चक्र और भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है। सेरोटोनिन का निम्न स्तर उदासी और चिड़चिड़ापन की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, इसके अलावा सोने में परेशानी और असामान्य भोजन की लालसा यह सभी सामान्य पीएमएस लक्षण हैं।

PMS मूड स्विंगस को ऐसे करना है कंट्रोल :

*1. हर्बल ट्रीटमेंट*

कुछ शोध बताते हैं कि चेस्टबेरी (विटेक्स एग्नस-कास्टस) संभवतः PMDD से जुड़े चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, सूजन, ऐंठन और खाने की लालसा को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि, किसी भी प्राकृतिक तत्व को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

*2. व्यायाम :*

पीरियड्स में कम से कम 30 मिनट से अधिक सक्रिय रहने की कोशिश करें। अपने आस-पास खुले वातावरण में रोज़ाना टहलने से उदासी, चिड़चिड़ापन और चिंता की भावनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इस दौरान अधिक इंटेंस एक्सरसाइज न करें।

*3. न्यूट्रिशन का ध्यान*

PMS के साथ आने वाली जंक फ़ूड की लालसा को कंट्रोल करने की कोशिश करें। बहुत ज़्यादा चीनी, फैट और नमक आपके मूड को खराब कर सकते हैं। आपको इन्हें पूरी तरह से खत्म करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन इन खाद्य पदार्थों को फल, सब्जियों और साबुत अनाज के साथ संतुलित करने की कोशिश करें। ये आपको पूरे दिन संतुष्ट रखेंगे और रक्त शर्करा में गिरावट से बचने में मदद करेंगे।

*4. पर्याप्त नींद :*

अगर आपके पीरियड्स आने वाले हैं, तो पर्याप्त नींद न लेने से आपका मूड खराब हो सकता है। रात में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेने की कोशिश करें, खास तौर पर अपने पीरियड से पहले के एक या दो हफ़्ते में। देखें कि पर्याप्त नींद न लेने से आपके दिमाग और शरीर पर क्या असर पड़ता है।

*5. स्ट्रेस मैनेजमेंट*

अनियंत्रित तनाव मूड स्विंग को और खराब कर सकता है। अपने दिमाग और शरीर दोनों को शांत करने के लिए गहरी सांस लें, व्यायाम, ध्यान या योग का उपयोग करें, खास तौर पर जब आपको पीएमएस के लक्षण महसूस हों।

*6. हार्मोनल बर्थ कंट्रोल*

गोली या पैच जैसी हार्मोनल बर्थ कंट्रोल विधि सूजन, स्तनों में कोमलता और अन्य शारीरिक पीएमएस लक्षणों में मदद कर सकती हैं। कुछ लोगों के लिए, वे मूड स्विंग सहित भावनात्मक लक्षणों में भी मददगार होती हैं।

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