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*वीमेनवर्ल्ड : टाइट ब्रा या पियर्सिंग से ब्रेस्ट संक्रमण*

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         डॉ. प्रिया 

    ब्रेस्ट और बेजाइना : महिलाओं में होने वाले सबसे घातक कैंसर एरियाज हैं। इस मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसी के साथ-साथ एसोसिएटेड मिथ्स यानी की कहानियां भी बढ़ती रहती हैं। स्तनों का आकार, ब्रा और स्टैटिक फिल्में जिनमें कई नीस को डिस्ट्रिब्यूटेड कैंसर से जोड़ा जाना लगा है।

स्तन से स्तन (स्तन) को लेकर ऐसी कई अवधारणाएं चली आ रही हैं, जिसके कारण महिलाओं के बीच भेदभाव कई को समाप्त कर दिया जाता है। टाइट ब्रा के उदाहरणों से लेकर, वायर वाले ब्रा के उदाहरणों तक, कई नीजी को पारंपरिक कैंसर का कारण बताया गया है।

*स्तन से जुड़े मिथक और उनका सच :*

   मिथ 1: दोनों स्तनों के आकार में अंतर जोखिम की ओर इशारा करता है!

     तथ्य – हर महिला के स्तन का आकार अलग-अलग होता है। इसी तरह दोनों स्तनों का आकार भी एक-दूसरे से भिन्न होता है। किसी में ज्यादा अंतर देखने को मिलता है, तो किसी में बहुत कम।

    यह पूरी तरह से सामान्य है और इससे किसी भी तरह के स्वास्थ्य जोखिम को न बताएं।

  मिथ 2: स्क्वाडफीडिंग से स्तन विकार के संकेत मिलते हैं!

तथ्य – यह एक बहुत बड़ी और रहस्यमयी अवधारणा है। स्तनों के उद्घाटन के पीछे एजिंग एस्ट्रोजिम्मेदार होता है। बालिग उम्र के साथ त्वचा आपकी इलास्टिसिटि पुरानी दिखती है, जिसके कारण त्वचा का आकार बढ़ना संभव है।

    इसके अलावा वजन की शुरुआत और घटना के लिए भी आपके स्कालर की सैगिंग जिम्मेदार हो सकती है।

मिथ 3: अंडरवायर्ड ब्रा, डायोडरेंट या सेलफोन से टॉक्सिक का जोखिम बढ़ जाता है.

तथ्य : अंडरवायर्ड ब्रा हो या टाइट ब्रा, इन स्तन कैंसर का कारण बनने के बारे में अभी तक किसी प्रकार का कोई वैज्ञानिक शोध नहीं मिला है।  ठीक इसी प्रकार के डियोडरेंट, डेरी प्रोडक्ट्स का सेवन, मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी किसी प्रकार का शोध नहीं आया है। ये सभी बातें अब तक केवल एकमात्र सुनी-सुनाई हैं।

     लेकिन इनके खतरे तो हैं. ये खतरे बढ़ने पर कैंसर के लिए जिम्मेदार बनें, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

मिथ 4: पियर्सिंग से कैंसर का खतरा बढ़ता है.

तथ्य –   ग्रेड पियर्सिंग वैज्ञानिक कैंसर नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के संक्रमण का कारण बन सकता है। इसकी वजह से पस भर सकते हैं।

     इसके अलावा लेवल पियर्सिंग दवा के बाद आपको स्टैटिस्टिक्स फीडिंग में परेशानी होती है, साथ ही नर्वस को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए स्केल पियर्सिंग नहीं करनी चाहिए, लेकिन हर बार इसका कैंसर से सीधा संबंध नहीं होता है।

मिथ 5: क्षारीय स्राव हमेशा कैंसर संकेतक है.

तथ्य – लैबोरेशिया हमेशा से क्वेश्चन कैंसर का कारण नहीं होता है, इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि अनिद्रा की समस्या, पीसीओइस, इसके अलावा कुछ और भी हैं जैसे कि एंटीऑक्सीडेंट।

     चिंता नहीं, शांति से काम लें और डॉक्टर से मिलकर इस समस्या का पता लगाएं।

मिथक 6: अधिक उम्र की महिलाओं को ही कैंसर का खतरा होता है.

फैक्ट : हमने ने 20 से 30 वर्ष की ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जांच की है। कई बार  प्रेगनेंसी में भी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होते देखा है।

     केवल बढ़ती उम्र की महिलाओं को ही नहीं, बल्कि सभी उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर को लेकर सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इसकी उचित समझ होनी चाहिए। डॉक्टर नियमित स्क्रीनिंग और सेल्फ एग्जामिनेशन की सलाह देती हैं।

मिथ 7 : आईवीएफ से बढ़ता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

तथ्य : आईवीएफ में मरीज को ऐसी ही जातियां दी जाती हैं जो ओवरी को एग प्रोड्यूस करने के लिए स्टिम्य सोलो बनाते हैं। यह प्रक्रिया एस्ट्रोजेन हार्मोन की गतिविधि को प्रभावित करती है।

      ऐसे में कई लोगों का मानना ​​है कि यह अनोखा कैंसर को बढ़ावा दे सकता है। परंतु यह एक अवधारणा है।

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