Site icon अग्नि आलोक

अजब काशी ग़ज़ब काशी……तोड़े गए मंदिरों के विग्रह कहां हैं?

Share
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

विजयशंकरसिंह
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के समय, वहाँ बहुत से मन्दिरो को तोड़ा गया, अक्षयवट को उखाड़ा गया, विनायक तोड़ दिए गए, और पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग भी नष्ट हो गया। आखिर यह सारे विग्रह गए कहाँ ? क्या सरकार ने उन्हें कहीं सुरक्षित रखा है या वे मलबे में बदल गए हैं ?


तोड़ते समय खण्डित हुए विग्रह की पूजा नहीं होती है, बल्कि वह विधिविधान के साथ गंगा या जो भी नदी हो वहां विसर्जित किये जाते हैं। फिर वे खण्डित विग्रह कहां गये ?
जो विग्रह खण्डित नहीं हुये, प्रहार से बच गए, वे विग्रह तो कहीं न कहीं सुरक्षित रखे ही गये होंगे। फिर वे कहाँ रखे गए हैं ?


ऐसे विग्रहो के बारे में सरकार की क्या योजना है ? क्या उन्हें कहीं एक संकुल बना कर पुनः प्रतिष्ठित किया जाएगा या कोई संग्रहालय बनेगा जहां पर लोग इन विग्रहो का दर्शन कर सकेंगे ?
आखिर जब कॉरिडोर के निर्माण हेतु, ध्वस्तीकरण की इस योजना का ब्ल्यूप्रिन्ट बनाया गया होगा तो इन सम्भावनाओ के बारे में भी वहां के सीईओ या वीडीए के अधिकारियों से सोचा ही होगा। क्योंकि इतने बड़े निर्माण और उसके पहले किये गये इतने बीभत्स ध्वंस की कुछ तो योजना बनी ही होगी। वह क्या है ?


सारे मकान जो इस कॉरिडोर में आ रहे हैं, वे सब सरकार ने खरीदे हैं और उनकी रजिस्ट्री शुरू में राज्यपाल के नाम हुयी थी, अब वह न्यास के नाम है। उन सबकी सूची और विवरण भी सरकार के पास होगी। इसी में मन्दिरो का भी उल्लेख होगा और उनमे प्रतिष्ठित विग्रहों का। क्या ऐसे विग्रहो की सूची रखी गयी या सब जेसीबी लगाकर उखाड़ दिए गए ?


सरकार को चाहिए कि इन तमाम विग्रहो को एकत्र कर के वे किस मंदिर से बेदखल किये गए हैं और किस हाल में हैं, उनका विवरण, विग्रहो के अनुसार तैयार कर के उसे भी कॉरिडोर में स्थान दे। कॉरिडोर में, चूंकि यह ज्योतिर्लिंग तीर्थ है, अतः विग्रहो का बाबा विश्वनाथ परिसर के पास संरक्षण आवश्यक है।

आप की राजनीतिक प्रतिबद्धता कुछ भी हो, बनारस के इस ध्वंस को नजरअंदाज करना काशी के लिये घातक होगा। जब भी यह सब किया जा रहा था तो किसी न किसी योजना के अंतर्गत ही वाराणसी विकास प्राधिकरण करा रहा होगा। उनके पास विवरण होंगे। अब इस नए कॉरिडोर में एक संग्रहालय बनाकर इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। 


( सभी फ़ोटो साभार, Suresh Pratap Singh )#vss

Exit mobile version