1 दिन में 24 घंटे, 1 घंटे में 60 मिनट और हर मिनट में 270 बच्चे… इस रफ्तार के साथ साल 2023 में दुनिया की आबादी 8 अरब के आंकड़े को छू लेगी। यूं तो 19वीं सदी की शुरुआत में ही वर्ल्ड पॉपुलेशन 1 अरब हो गई थी, लेकिन इसके महज 220 सालों बाद विश्व की आबादी 8 अरब होने जा रही है। दुनिया की आबादी ने 7 अरब के आंकड़े को 2011 में पार किया था।
तो चलिए विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर आज आपको बताते हैं 8 अरब की ओर बढ़ने की 5 वजह…
पहला कारण- 18वीं से 20वीं शताब्दी तक रही अधिक जन्म दर
आबादी की इस तेज रफ्तार के पीछे पहला कारण है, जन्म दर में बढ़ोतरी। 18वीं सदी से 20वीं सदी के अंत तक जन्म दर काफी तेज थी। करीब 250 साल पहले तक एक महिला औसतन 6 बच्चों को जन्म देती थी। यह स्थिति डेढ़ सौ वर्षों तक बनी रही। इसमें मामूली-सी गिरावट आई 1950 में। उस वक्त हर महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म दे रही थी। 1950 के बाद से जन्म दर लगातार गिरी, लेकिन इस बीच जनसंख्या विस्फोट के हालात बनते गए। खास तौर पर एशिया में, जहां चीन और भारत में आबादी बहुत तेजी से बढ़ी। आज दुनिया में एक महिला औसतन 2.5 बच्चाें को जन्म दे रही है।
ऊंची जन्म दर के चलते ही 19वीं शताब्दी की शुरुआत में दुनिया की आबादी 100 करोड़ होने के बाद तेजी से बढ़ती गई। विश्व की जनसंख्या को 200 करोड़ पहुंचने में 123 साल का समय लगा, साल 1927 में वर्ल्ड पॉपुलेशन 200 करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गई। इसके बाद 1960 में विश्व की आबादी 300 करोड़ पर पहुंच गई। एक बार वर्ल्ड पॉपुलेशन ने जैसे ही 300 करोड़ का आंकड़ा पार किया, उसके बाद विश्व की हर 100 करोड़ आबादी महज दो दशकों के अंदर ही बढ़ती चली गई। इस टेबल के जरिए समझिए, हम कितने वर्षों में 8 अरब की आबादी बने।
दूसरा कारण- बढ़ती लाइफ एक्सपेक्टेंसी
आज से 250 साल पहले इंसान औसतन 28 साल ही जीता था…पर आज औसत उम्र बढ़कर 70 साल से भी ज्यादा हो गई है। अगर हम लाइफ एक्सपेक्टेंसी देखें तो पता चलता है कि साल 1770 में लोगों की औसत उम्र 28 साल ही थी। यानी अधिकतर इंसान की मौत 28 साल में ही हो जाती थी। आज दुनिया में लोगों की औसत उम्र 72 साल है। 18वीं सदी से ही पूरे विश्व में लाइफ एक्सपेक्टेंसी लगातार बढ़ती आ रही है। आज 30 देश ऐसे हैं जहां लोगों की औसत उम्र 80 से ज्यादा है और 100 देशों में औसत उम्र 70 पार है। भारत में यह आंकड़ा 69.7 साल है। इस ग्राफिक्स से समझिए कैसे विश्व में लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ती गई-
तीसरा कारण- मृत्यु दर में लगातार कमी
वर्ल्ड पॉपुलेशन में विस्फोटक तेजी का एक बड़ा कारण है मृत्यु दर का जन्म दर के मुकाबले तेजी से घटते जाना। दरअसल साल 1950 से ही जन्म दर और मृत्यु दर में लगातार कमी देखने को मिल रही है। अगर हम आंकड़ों का आकलन करें तो मालूम चलता है कि साल 1950 में 1000 लोगों में से 20 लोगों की मौत हुई, वो आंकड़ा अब साल 2020 में घटकर 8 रह गया है। हालांकि मृत्यु दर के मुकाबले जन्म दर का आंकड़ा अभी भी काफी ज्यादा है। इस टेबल से समझिए मृत्यु दर और जन्म दर के बीच की तुलना-
चौथा कारण- कॉन्ट्रासेप्शन को लेकर महिलाओं में जानकारी का अभाव
पहले महिलाओं में कॉन्ट्रासेप्शन और प्रेग्नेंसी रोकने के तरीकों को लेकर काफी कम जानकारी होती थी, जिसके कारण न चाहते हुए भी ज्यादा बच्चे होते थे। यह आबादी बढ़ने का चौथा बड़ा कारण है। एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के प्रगतिशील देशों की बात करें तो साल 1960 में मात्र 9 प्रतिशत मैरिड कपल ही कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करते थे, लेकिन 1990 आते-आते हर 2 में से 1 शादीशुदा जोड़े ने अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आज कॉन्ट्रासेप्शन को लेकर महिलाएं काफी जागरूक हैं। 2015 के आंकड़ों के हिसाब से अब 64 प्रतिशत महिलाएं कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करती हैं।
पांचवां कारण- शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट
दुनिया की आबादी 8 अरब होने में पांचवां बड़ा कारण है- शिशु मृत्यु दर में सुधार होना। साल 1990 में जहां 1000 में से 93 बच्चाें की मौत हो जाती थी, वहीं अब इस स्थिति में सुधार हो गया है। आज यह सबसे निचले स्तर पर आ पहुंचा है। साल 2020 में 1000 में से सिर्फ 37 बच्चों की ही मौत हुई। हालांकि शिशु मृत्यु का बढ़ना या घटना इस बात पर काफी निर्भर करता है कि बच्चे का जन्म किस जगह पर होता है। उप-सहारा अफ्रीका में आज भी 1000 में से 79 बच्चों की मौत हो जाती है, वहीं यूरोप और उत्तरी अमेरिका में यह स्थिति इतनी खराब नहीं है। यहां 1000 में से 6 बच्चों की ही मौत होती है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में यह संख्या 4 है।
जन्म दर के घटने के बाद भी क्यों तेजी से बढ़ी आबादी?
आंकड़ों के मुताबिक 1951 में एक महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म देती थी। अब साल 2021 में यह आंकड़ा 2.5 पर आ गया है। पिछले 70 सालों में जन्म दर आधी हो गई है। तो अब सवाल यह उठता है कि जन्म दर आधी हो जाने के बावजूद विश्व की आबादी इतनी तेजी से कैसी बढ़ी? दरअसल जन्म दर से आबादी की आधी कहानी ही पता चलती है। जब हम मृत्यु दर पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि अब हर साल 1000 लोगों में 7.60 लोगों की मौत होती है, जबकि 1000 लाेगों पर हर साल करीब 18 लोगों का जन्म होता है। यानी जन्म दर का आंकड़ा मृत्यु दर से 2 गुना से ज्यादा है। आबादी में बढ़ोतरी का एक अहम कारण यह है।
जनसंख्या के मामले में टॉप पर होगा भारत…चीन की आबादी घटकर हो जाएगी आधी
पूरे विश्व में आज 1 मिनट में 270 बच्चे जन्म लेते हैं, जो साल भर में 13 करोड़ होते हैं, जल्द ही पूरे विश्व की आबादी 8 अरब होने वाली है, लेकिन यह आंकड़ा साल 2100 तक 11 अरब पर पहुंच सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि 3-4 साल के भीतर ही भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस सदी के अंत तक भारत और चीन दोनों देशों की आबादी में काफी गिरावट आएगी। साल 2100 में भारत की आबादी 1.09 अरब होगी। चीन तीसरे स्थान पर होगा। वहीं नाइजीरिया की आबादी विश्व में दूसरे स्थान पर होगी।
जनसंख्या से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य
- विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है टोक्यो, यहां पर रहते हैं 3.7 करोड़ लोग, 2.9 करोड़ लोगों के साथ दूसरे नंबर पर है भारतीय राजधानी दिल्ली, वहीं चीन का शहर शंघाई तीसरे नंबर पर है जहां 2.6 करोड़ लोग रहते हैं।
- न्यूजीलैंड में इंसानों से ज्यादा है भेड़ियों की आबादी, यह विश्व का ऐसा अनोखा देश है जहां इंसानों से ज्यादा भेड़िए पाए जाते हैं। साल 1982 में यहां 33 लाख लोग रहा करते थे। वहीं भेड़ियों की संख्या 7 करोड़ के करीब थी। यानी हर 1 इंसान पर 22 भेड़िए। हालांकि अब यहां की आबादी 50 लाख पहुंच गई है और भेड़ियों की संख्या 2.5 करोड़ है, यानी अभी भी 1 इंसान पर 6-7 भेड़िए पाए जाते हैं।
- विश्व की आधी आबादी युवा है, पूरे वर्ल्ड में 30 से कम उम्र वाले लोगों की आबादी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
- अगले 30 सालों में 2 अरब बढ़ेगी विश्व की आबादी, अफ्रीका का होगा आधा योगदान: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 30 वर्षों में विश्व की आबादी तकरीबन 2.2 अरब बढ़ेगी, इस बढ़ोतरी में आधा योगदान अफ्रीका का होगा, जहां की आबादी में 1.2 अरब और बढ़ोतरी होगी।