कभी सोचा नहीं होगा कि एक बिजनेसमैन का बेटा पूरी दुनिया में मौत का तांडव मचा देगा। एक रईस कारोबारी के घर में जन्मा, पढ़ाई भी अच्छी-खासी की और महज 13 साल की उम्र में अरबों रुपये की विरासत का मालिक बना। लेकिन बाद में यहीं शख्स दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी भी घोषित हुआ। हम बात कर रहे है द मोस्ट वॉन्टेड आतंकी- ओसामा बिन लादेन की।
ओसामा बिन लादेन, जिसका नाम उसामा इब्न लादिन भी है, का जन्म 10 मार्च 1957 को सऊदी अरब के रियाद में हुआ था। बिन लादेन न केवल आतंकवादी इस्लामी संगठन अल-कायदा का संस्थापक था, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ कई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड भी था। इसमें अमेरिका का 9/11 और वाशिंगटन, डीसी के पास पेंटागन पर हमले शामिल हैं।
आंतकी बनने से पहले कैसी थी बिन लादेन की जिदंगी
ओसामा बिन लादेन का जन्म एक बिजनेसमैन परिवार में हुआ था। पिता का नाम मोहम्मद बिन अवध बिन लादेन और माता का नाम हमीदा अल-अतास था। ओसामा के पिता सऊदी अरब के रईस कंस्ट्रक्शन कारोबारी थे। उनकी कंपनी मीडिल ईस्ट की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन फर्मों में से एक बन गई थी। बिन लादेन परिवार का सऊदी शाही परिवार के साथ भी घनिष्ठ संबंध थे।
ओसामा बिन लादेन ने जेद्दाह में किंग अब्दुल अजीज विश्वविद्यालय में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की। माना जाता है कि यहीं से ओसामा की दिलचस्पी धार्मिक कट्टरपंथियों से जुड़ने लगी। लादेन ने एक उग्रवादी नेता शेख अब्दुल्लाह आजम से धार्मिक अध्ययन में निर्देश प्राप्त किए। वह उनके विचारों से काफी प्रभावित होने लगा।
अलकायदा का जन्म
1979 में सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के कुछ ही समय बाद, बिन लादेन कई कट्टरपंथी मुस्लिम गुटों से जुड़ चुका था। अफगान लड़ाकों के मदद के लिए लादेन पहले पाकिस्तान के पेशावर पहुंचा और उन्हें आर्थिक मदद दिलाने लगा। लादेन ने अरब-अफगानियों के परिवारों को मदद पहुंचाई और इसके लिए उसने एक गुट की स्थापना की। इस गुट को नाम दिया गया- अलकायदा।1989 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के हटने के बाद लादेन अपने परिवार का बिजनेस संभालने वापस सऊदी चला गया। अलकायदा को बड़ा संगठन बनाना था और इसके लिए लादेन ने फंड जुटाना शुरू किया। धीरे-धीरे अलकायदा छोटे समूह से ग्लोबल ग्रुप में तब्दील हो गया। अलकायदा का हेड ऑफिस अफगानिस्तान रहा और इसके मेंबर 35 से 60 देशों में मौजूद थे।
आंतकियों के ट्रेनिंग कैंप किए शुरू
अपने संगठन को मजबूत करने के लिए ओसामा ने आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप शुरू किए। ओसामा का पहला टारगेट मुस्लिम देशों से अमेरिकियों को खदेड़ना था। वर्ष 1993 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर ओसामा का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ।ओसामा ने हमेशा से अमेरीकियों को ही अपना टारगेट बनाया। 1995 में एक बार अलकायदा ने नैरोबी और तंजानिया के दार-ए-सलाम में अमेरिकी एम्बेसी के बाहर बम ब्लास्ट किया। सूडान से जब ओसामा का देश निकाला हुआ तो वह अपने 10 बच्चों और तीन बीवियों को लेकर अफगानिस्तान रवाना हो गया। यहां उसने अमेरिकी फोर्स के खिलाफ जिहाद का एलान किया। 1998 में अमेरिका की एक कोर्ट ने एम्बेसी पर हमले के आरोप में लादेन को दोषी ठहराया और उसके ऊपर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा।
मोस्ट वॉन्टेड आतंकी बना ओसामा
1999 में ओसामा को दुनिया के 10 मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल किया गया। 11 सितंबर, 2001 में अल-कायदा ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर्स और पेंटागन पर हमला किया, जिसमें लगभग 3 हजार लोगों की जान चली गई। इस हमले के बाद अमेरिकी सरकार ने ओसामा की तलाश के लिए अफगानिस्तान में कई बड़े ऑपरेशन चलाए। 2-3 फरवरी, 2011 की देर रात अमेरिका का सीक्रेट ऑपरेशन चलाया गया और पाकिस्तान के एबटाबाद में उसे मार गिराया।