अपूर्व भारद्वाज
कल रात को हर्षद मेहता की जिंदगी पर बनी Scam 1992 एक बार फिर देख रहा था पूरी सीरीज में मुझे एक ही सीन सबसे ज्यादा अपीलिंग लगा जब एक महिला पत्रकार को हर्षद मेहता खरीदने की कोशिश करता है तब पत्रकार जो बोलती है वो आज भी उतना प्रसांगिक है जितना 1991 में था बस किरदार बदल दीजिये कहानी कमोबेश वहीँ है
हर्षद मेहता पत्रकार को 20 साल की एडवांस सेलरी विथ इंक्रीमेंट देते हुए बोलता है कि मेरा एक विजन है मैं इस देश की अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूत बनाना चाहता हूँ मैं इस देश ताकतवर बनाना चाहता हूँ इसके लिए मुझे आप जैसे लोगो की जरूरत है मेरे साथ जुड़िये, मैं लोगो को बना देता हूँ
पत्रकार बोलती है कि आप सही कह रहे हैं आप लोगो को बना देते है “सुतिया” बना देते है देश तो दूर आपके पास एक किराने की दुकान चलाने का विजन भी नही है जिस दिन लोगो को आपके पैसे का सोर्स पता चल जायेगा उस दिन आप 20 दिन भी नही टिक पायेंगे, आप कोई देश और उसका भविष्य नही बना रहे है आप खुद का भविष्य और ब्रांड बना रहे है इसलिए लोगों को सुतिया बनाना बंद कर दीजिए
हर्षद मेहता गुजराती था पढ़ा लिखा भी बहुत कम था लेकिन फर्राटेदार अंग्रेजी और लच्छेदार भाषण बोलता था उसको कुछ आता जाता नही हो लेकिन लोगो को बड़े बड़े सपने दिखाकर सुतिया बनाना बहुत अच्छे से आता था
यह कहानी मुझे किसी एक और आदमी की याद दिला रही है हर्षद मेहता की कहानी का अंजाम मैं देख चुका हूँ उस आदमी का अंजाम अभी देखना बाकी है हर्षद मेहता के साथ तो पूरा शेयर मार्केट डूबा था और उस आदमी के साथ ?