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अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप

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अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg Research इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से सबसे ज्यादा नुकसान अडानी ग्रुप को उठाना पड़ा है। अडानी ग्रुप के शेयरों में 70 फीसदी तक गिरावट आई है और उसका मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा घट गया है। ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का FPO वापस लेने के बाद बॉन्ड प्लान भी कैंसल कर दिया है। अडानी ग्रुप को इतना बड़ा झटका देने वाले हिंडनबर्ग के नाम के पीछे की कहानी भी काफी रोचक है। हिंडनबर्ग नाम को काफी सोच समझकर रखा गया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के 10 दिनों के भीतर वो रईसों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गए हैं। आइए आपको बताते हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पीछे की कहानी क्या है। किस तरह से इसका नाम रखा गया और हिंडनबर्ग कमाई किस तरह से करती है।

क्यों रखा गया हिंडनबर्ग नाम?

हिंडनबर्ग के नाम के पीछे एक कहानी है। बात साल 1937 की है। इस दौरान जर्मनी में हिटलर का राज था। इस दौर में एक स्पेसशिप था, जिसका नाम हिंडनबर्ग स्पेसशिप था। अमेरिका के न्यूजर्सी में इस स्पेसशिप को ज़मीन से जो लोग देख रहे थे, उन्हें तभी कुछ असामान्य दिखा। एक धमाके के साथ आसमान में दिख रहे हिंडनबर्ग स्पेसशिप में आग लग गई। लोगों के चीखने की आवाजें सुनाई देने लगीं। इसके बाद यह स्पेसशिप जमीन पर गिर गया। कुछ लोगों को बचाया जा सका और कुछ को नहीं। इस स्पेसशिप में 16 हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे थे। ऐसा बताया जाता है कि स्पेसशिप में क़रीब 100 लोगों को जबरन बैठा दिया गया था। गौतम अडानी के खिलाफ रिपोर्ट लाने वाली रिसर्च कंपनी का नाम हिंडनबर्ग भी इसी हादसे से जोड़कर रखा गया है। कंपनी के मुताबिक, वह हिंडनबर्ग हादसे की तर्ज पर शेयर बाजार में हो रही गड़बड़ियों पर निगरानी रखती है। कंपनी का कहना है कि वह लोगों को शेयर बाजार में ऐसे वित्तीय हादसों से बचाने का काम करती है।

कई कंपनियों के खिलाफ निकाली है रिपोर्ट

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप से पहले कई कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाली है। ये कंपनी किसी भी कंपनी को टारगेट करके उसमें गड़बड़ियां निकालती है। इस रिपोर्ट के कारण जब कंपनी के शेयर गिर जाते हैं तो वो उसे खरीदकर ये प्रॉफिट कमाती है। हिंडनबर्ग ने साल 2020 में करीब 16 रिपोर्ट जारी किए थे। इन रिपोर्ट के कारण कंपनियों के शेयरों में औसत तौर पर 15 फीसदी की गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग ने Nikola, SCWORX , Genius Brand, Ideanomic , उसने विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, SC Wrox, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria, ट्विटर इंक जैसी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाले हैं। इसके बाद इन कंपनियों के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग करके कमाई की है।

हिंडनबर्ग अब तक कई कंपनियों को कर चुकी है कंगाल

अमेरिकी रिसर्च और शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप के सारे शेयर तेजी से नीचे गिर रहे हैं। गौतम अडानी (Gautam Adani) की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अडानी समूह को लेकर बड़े खुलासे किए है। आरोप है कि अडानी समूह के शेयर ओवरप्राइसड है। रिपोर्ट में अडानी समूह के खातों में गड़बड़ी को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए है। इस खुलासे के बाद अडानी समूह के शेयरों में बिकवाली हावी है। अडानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे है। मार्केट कैप में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। एक रिपोर्ट ने अडानी के मार्केट कैप में 10 लाख करोड़ ने अधिक का नुकसान पहुंचा दिया है। ऐसे में ये जानना भी दिलचस्प है कि आखिर खुद उस कंपनी की कमाई कैसे होती है? हिंडनबर्ग की कमाई मुख्य जरिया शॉर्ट सेलिंग है। हिंडनबर्ग शेयरों की शॉर्ट सेलिंग करके अरबों की कमाई कर लेती है। आइए आपको बताते हैं शॉर्ट सेलिंग क्या होती है। कैसे हिंडनबर्ग इससे कमाई कर रहा है।

शॉर्ट सेलिंग क्या होती है?

शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग या निवेश रणनीति है। इसमें कोई व्यक्ति किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदता है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे फायदा होता है। आसान शब्दों में कहें तो शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है। इसमें किसी शेयर की कीमत गिरने पर पैसा कमाया जाता है। अगर किसी निवेशक को पता हो कि किसी कंपनी के शेयरों में आने वाले समय में गिरावट आ सकती है तो वह उस कंपनी के शेयरों को खरीदकर गिरावट आने पर बेच सकता है। इसे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं। शॉर्ट-सेलिंग को परिभाषित करने का सबसे बुनियादी तरीका स्टॉक में गिरावट के बारे में अनुमान लगाना और उसके खिलाफ दांव लगाना है। इसे ऐसे समझिए कि अगर एक शॉर्ट सेलर 500 रुपये के स्टॉक को 300 रुपये के स्तर तक गिरने की उम्मीद करता है, तो वह मार्जिन अकाउंट का इस्तेमाल करके ब्रोकर से स्टॉक उधार ले सकता है और सेटलमेंट पीरियड से पहले उसी स्टॉक को वापस खरीद सकता है। शॉर्ट सेलर 500 रुपये के शेयर को 300 रुपये तक गिरने पर वापस खरीदने की उम्मीद के साथ बेच देगा। अगर स्टॉक असल में गिरता है, तो स्टॉक सेलर शेयर वापस खरीदता है और अपनी अपनी पॉजिशन को क्लोज कर देता है। अगर शेयर 100 रुपये में बेचा गया और उसे 85 रुपये पर वापस खरीद लिया गया तो हर शेयर पर 15 रुपये का मुनाफा हुआ।

हिंडनबर्ग कैसे करता है कमाई?

हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है। वो एक इंवेस्टमेंट कंपनी भी है। कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये रिसर्च फर्म एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है। कंपनी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वो एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर कंपनी है। हिंडनबर्ग भी इसी तरह से कमाई करते हैं। हिंडनबर्ग ने अमेरिका में अडानी कंपनी के बॉन्ड की शॉर्ट पोजिशन ली है और इसके बारे में उन्होंने खुद जानकारी दी है। हिंडनबर्ग ने अडानी के शेयरों की शॉर्ट पोजिशन लेने के बाद ये रिपोर्ट निकाली है। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी से गिरावट आई और यहीं पर हिंडनबर्ग ने अच्छा खासा मुनाफा कमा लिया। आपको बता दें कि अडानी पहली कंपनी नहीं है, जिसे लेकर हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट निकाली है। इससे पहले भी वो कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट जारी कर चुका है। ये कंपनी किसी भी कंपनी को टारगेट करके उसमें गड़बड़ियां निकालती है। इस रिपोर्ट के कारण जब कंपनी के शेयर गिर जाते हैं तो वो उसे खरीदकर ये प्रॉफिट कमाती है। हिंडनबर्ग ने साल 2020 में करीब 16 रिपोर्ट जारी किए थे। इन रिपोर्ट के कारण कंपनियों के शेयरों में औसत तौर पर 15 फीसदी की गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग ने Nikola, SCWORX , Genius Brand, Ideanomic , उसने विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, SC Wrox, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria, ट्विटर इंक जैसी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाले हैं। इसके बाद इन कंपनियों के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग करके कमाई की है।

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