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हसल कल्चर के शिकार हो रहे हैं  यंग प्रोफेशनल्स 

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     डॉ. श्रेया पाण्डेय 

तेजी से दौड़ती-भागती दुनिया का यह दौर अपेक्षाओं का है। हर किसी को स्वयं से ढेरों अपेक्षाएं और उम्मीदें रहती हैं। वैसे तो अपेक्षाएं होना और सपने देखना जीवन में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। लेकिन कभी-कभी अपेक्षाओं का बोझ दिल और दिमाग पर भारी भी पड़ जाता है।

     दरअसल कुछ युवा मानते हैं कि सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार व्यस्त रहना और ज्यादा देर तक काम करना ही सही विकल्प है। अपेक्षाओं और सफलता की चाह में युवाओं के मन में पनपे इसी विचार को ‘हसल कल्चर’ कहा जाता है। 

     तेजी से बढ़ता यह हसल कल्चर दिल और दिमाग दोनों की सेहत के लिए बड़े खतरे पैदा कर रहा है।

*क्या है हसल कल्चर?*

      अपेक्षाओं और सपनों से भरी दुनिया में ज्यादातर लोग हसल कल्चर का शिकार होते जा रहे हैं। सफलता के भौतिक मानकों के पीछे दौड़ते लोग खुद को काम में पूरी तरह से डुबा देने को सफलता की जरूरी शर्त मानने लगे हैं।

     कुछ बातों पर नजर रखें तो यह समझा जा सकता है कि कहीं आप भी तो हसल कल्चर वाले माहौल में नहीं उलझे हुए हैं।

      दरअसल हसल कल्चर किसी का व्यक्तिगत व्यवहार ही नहीं है, बल्कि बहुत सी कंपनियों में सामूहिक रूप से यह कल्चर देखने को मिलता है, जो अंतत: वहां काम करने वाले हर व्यक्ति को प्रभावित करता है।

कुछ सामान्य उदाहरण :

– मैनेजमेंट की तरफ से कर्मचारियों पर ज्यादा समय तक रुकने या ओवरटाइम करने का दबाव डालना हसल कल्चर का उदाहरण है। मैनेजमेंट को लगता है कि ज्यादा समय देने वाले कर्मचारी ही कंपनी के बारे में अच्छा सोचते हैं और वही आगे बढ़ सकते हैं।

– अपने सीनियर्स और साथ काम करने वालों द्वारा हमेशा एक-दूसरे को जीवन के किसी भी अन्य काम की तुलना में ऑफिस के काम को ही महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करना भी ऐसा ही है। ऐसे माहौल में लोग ऑफिस और घर के बीच संतुलन नहीं बना पाते।

– आज के प्रतिस्पर्धा के माहौल में कुछ लोगों के दिमाग में यह विचार भर गया है कि जब तक आप थक न जाएं, तब तक समझिए कि काम ही नहीं किया। कुछ लोग काम के लिए समर्पित दिखाने की कोशिश में सोने-जागने का ध्यान रखे बिना काम करते हैं।

– भौतिक सफलता के इस युग में कई लोगों ने सफलता का अर्थ सिर्फ यह मान लिया है कि उनके पास कितनी संपत्ति एकत्र हो गई। यह हसल कल्चर का बहुत बड़ा उदाहरण है। ऐसी सोच के कारण अक्सर लोग अपनी सुख-सुविधा को पूरी तरह भूलकर काम करते रहते हैं।

*ऐसे पड़ता है दुष्प्रभाव :*

हसल कल्चर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से दुष्प्रभाव डालता है। लगातार इस तरह से काम करते रहने से कुछ समय बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जो इस बात का संकेत होते हैं कि आप हसल कल्चर के दुष्प्रभावों से घिर चुके हैं और आपको जल्दी से जल्दी इससे बाहर निकलने का प्रयास करना होगा। ऐसे लक्षणों पर नजर रखना बहुत जरूरी है।

     *1. बर्नआउट :*

हसल कल्चर के कारण आप बर्नआउट का शिकार हो सकते हैं। लगातार बिना आराम के काम करते रहने से शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत ज्यादा थकान हो जाती है। इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। निर्णय लेने में परेशानी होने लगती है।

*2. एंग्जाइटी :*

ऐसे काम करते रहने से एंजाइटी का खतरा बढ़ जाता है। इससे कई बार अपराधबोध होने लगता है और हार जाने या कुछ खोने का डर लगने लगता है। यह स्थिति आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बन सकती है।

*3. नींद में समस्या :*

हसल कल्चर से सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है नींद पर। व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता है, जिससे धीरे-धीरे अनिद्रा की समस्या पैदा हो जाती है और फिर चाहकर भी नींद नहीं आती। यहां तक कि सोते समय भी काम के ही सपने आते हैं।

*4.दिल को भी खतरा :* 

हसल कल्चर के कारण मानसिक समस्याओं के साथ-साथ दिल की सेहत को भी खतरा रहता है। इस तरह से काम करने के कारण दिल पर कुछ इस तरह असर पड़ता है :

        हसल कल्चर के कारण सबसे बड़ा खतरा रहता है स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी का। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि लगातार बहुत देर तक काम करने से स्ट्रेस यानी तनाव का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में ज्यादा स्ट्रेस के कारण कार्डियोमायोपैथी का खतरा बढ़ जाता है। इसमें दिल की मसल्स कमजोर होने लगती हैं और हार्ट की फंक्शनिंग पर भी असर पड़ता है। हालांकि अगर लाइफस्टाइल को बदलकर स्ट्रेस से छुटकारा पा लें और कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श करें, तो यह स्थिति ठीक हो सकती है।

        पूरी नींद न लेने, अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान के कारण मोटापे का खतरा भी रहता है, जो अंतत: दिल पर असर डालता है। जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेने से कार्टिसोल हार्मोन बढ़ जाता है, जो शरीर में कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। इससे हार्ट की फंक्शनिंग पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसे खतरे भी बढ़ जाते हैं।

*उठाएं सतर्कता के कदम :*

      काम के प्रति समर्पित रहना अच्छी बात है, लेकिन संतुलन भी उतना ही जरूरी है। इसलिए काम और सामान्य जीवन के संतुलन के साथ आगे बढ़ें। खुद को सफलता की अंधी दौड़ का हिस्सा न बनने दें।

      यह ध्यान रखें कि सफलता का असली अर्थ केवल संपत्ति अर्जित करना ही नहीं, बल्कि अच्छी सेहत और भरोसेमंद संबंधों को संभालना भी है। 

     अगर लगे कि आप हसल कल्चर का शिकार हो रहे हैं और चाहकर भी इससे निकल नहीं पा रहे हैं तो प्रोफेशनल हेल्प लेने में न हिचकिचाएं।

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