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 *भूपेश बघेल के भ्रष्‍टाचार के मामलों में अब फंस गये बेटे चेतन्य बघेल उर्फ बिट्टू*

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*कांग्रेस आलाकमान की आंख में पट्टी बांध पांच साल तक राज्य में बघेल ने मचाया भ्रष्टाचार का आतंक*

*शीर्ष नेता समय से नहीं चेते तो मप्र, राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ से कांग्रेस का अस्तित्व होगा खत्म*

*क्‍या चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव के हाथों में सौंपना चाहिए कांग्रेस की कमान?*

विजया पाठक, *

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं पड़ रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने जहां नान घोटाला, पीएससी घोटाला, अनाज घोटाला, धान घोटाला, कोयला घोटाला सहित महादेव ऐप जैसे घोटालों को अंजाम दिया। वहीं, अब एक के बाद एक उन्हें उनके पापों की सजा मिलती दिखाई पड़ रही है। चर्चा इस बात की है कि पिछले दिनों आयकर विभाग द्वारा उनके बेटे चैतन्य बघेल के यहां जो छापेमार कार्रवाई हुई उसके बाद बघेल की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। चिंता का विषय यह है कि बघेल द्वारा राज्य में पांच साल के कार्यकाल में जो भी भ्रष्टाचार हुए उन सभी की जानकारी कांग्रेस आलाकमान को होने के बाद भी आलाकमान के लोगों ने आंख पर पट्टी बांध रखी है। यही कारण है कि न तो बघेल को प्रदेश की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने जैसा कोई कदम उठाया है और न ही आलाकमान ने उनसे इस विषय पर कोई पूछताछ की है।

     अब समय आ गया है कि छत्‍तीसगढ़ से भूपेश बघेल को बाहर का रास्‍ता दिखाकर उनकी जगह चरणदास महंत या टीएस सिंहदेव को कमान दे देना चाहिए। यही वह समय है जब प्रदेश में कांग्रेस के अस्तित्‍व को बचाया जा सकता है। नहीं तो बहुत देर हो चुकी होगी। छत्‍तीसगढ़ का हाल भी मध्‍यप्रदेश या राजस्‍थान जैसी हो सकती है।  

*राज्य में कांग्रेस का अस्तित्व पड़ गया संकट में*

जिस ढंग से बघेल ने पांच वर्षों के कार्यकाल में राज्य में भ्रष्टाचार का आतंक फैलाया उसके बाद तो पार्टी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ने की स्थिति बन गई है। अगर पार्टी आलाकमान समय रहते नहीं चेता तो वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस का अस्तित्व मप्र, राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी खत्म हो जाएगा। इसके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी, भूपेश बघेल के कार्यकाल की बारीकी से समीक्षा करें और आंखों पर बंधी पट्टी को खोलकर उनका विश्लेषण उपरांत यह तय करें कि बघेल को किस तरह से पार्टी से निष्कासित किया जा सकता है। क्योंकि यदि पार्टी में बघेल जैसे भ्रष्टाचारी नेता रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पार्टी आगामी चुनाव में जनता के दरवाजे पर जाने लायक भी नहीं बचेगी।

*बघेल के 14 ठिकानों पर एक साथ मारे छापे*

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर ईडी ने शिकंजा कसा है। ईडी ने 14 ठिकानों पर रेड की है। चैतन्य के खिलाफ भी एक्शन हुआ है। छापेमारी छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में की गई है, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल के बेटे का नाम भी सामने आया है। ईडी ने चैतन्य बघेल के ठिकानों सहित छत्तीसगढ़ में 14 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन चलाया है। बता दें कि कथित शराब घोटाले को लेकर आरोप है कि इसमें 2019 और 2022 के बीच राज्य के खजाने से करीब 2,161 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई। ईडी के मुताबिक जांच के दौरान एजेंसी को ऐसे सबूत मिले हैं, जिनका संबंध चैतन्य बघेल से है। एजेंसी ने मौजूदा सबूतों को तलाशी का आधार बताया है। ईडी की जांच में सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं और आबकारी विभाग के अधिकारियों से जुड़े एक नेटवर्क का भी पता चला है।

*डुप्‍लीकेट होलोग्राम का हुआ इस्तेमाल*

इस सिंडिकेट पर एक ‘समानांतर’ आबकारी प्रणाली संचालित करने का आरोप है, जिसमें बिना सही डॉक्यूमेंट्स के सरकारी दुकानों के जरिए बेहिसाब शराब बेची गई। इससे छत्तीसगढ़ को राजस्व का काफी नुकसान हुआ। कथित तौर पर इस सिस्टम में अवैध शराब की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए डुप्लिकेट होलोग्राम और बोतलों का इस्तेमाल भी शामिल था। ईडी ने जुलाई 2023 में अभियोजन शिकायत दर्ज की, जिसमें रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी जैसे प्रमुख व्यक्तियों का नाम शामिल था। एजेंसी ने दावा किया था कि इन लोगों ने ही घोटाले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें खरीद प्रक्रियाओं में हेरफेर करना और चुनिंदा शराब निर्माताओं से कमीशन लेना शामिल था।

*ब्यूरोक्रेट्स-व्यापारी आए जद में*

कथित घोटाले के मामले में एक्शन लेते हुए में एजेंसी ने व्यापारियों और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स सहित अलग-अलग आरोपियों से जुड़ी करीब 205.49 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं। इन संपत्तियों में चल और अचल दोनों शामिल हैं। चैतन्य बघेल के खिलाफ हुई इस छापेमारी से प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की संलिप्तता के मामले को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। हालांकि, पूर्व सीएम भूपेश बघेल पहले ही घोटाले से जुड़े आरोपों से इनकार कर चुके हैं। वह ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। लखमा पर घोटाले से 72 करोड़ रुपए हासिल करने का आरोप है।

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