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एक सीट जीतने वाली बसपा ने कैसे 233 सीटों पर बिगाड़ा खेल

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। 403 विधानसभा सीट वाले राज्य में बसपा केवल एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी। पार्टी का वोट शेयर 13% रहा। बसपा 18 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही और कई सीटों पर मुकाबला किया। हालांकि, 233 सीटों पर बसपा ने जीत के अंतर से अधिक वोट हासिल करके चुनाव के नतीजों को प्रभावित किया।

यूपी में जिन 137 सीटों पर सपा या उनके सहयोगी हार गए, उनमें बसपा ने खेल बिगाड़ने का काम किया। इसी तरह बीजेपी या सहयोगी दलों को बसपा को मिले वोटों से कम अंतर से 91 सीटों का नुकसान हुआ। राजनीतिक जानकारों का भी यही कहना है कि बसपा के कमजोर होने के दलित वोट भाजपा को गए हैं, जिससे बीजेपी के प्रत्याशियों ने सपा उम्मीदवारों पर बढ़त बना ली। छोटी जातियों के मतदाताओं का भाजपा की ओर मुड़ना सपा पर भारी पड़ गया। 

उमाशंकर सिंह ने अपने दम पर जीती रसड़ा सीट!
इस चुनाव में बसपा को एकमात्र सफलता बलिया जिले की रसड़ा सीट पर मिल पाई है। यहां से उमाशंकर सिंह लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं। अपने इलाके में उमाशंकर सिंह की छवि गरीबों के मददगार की है। ऐसा कहा जा रहा है कि उमाशंकर ने यह सीट अपने दम पर जीती है। उमाशंकर सिंह ने 87,887 वोट पाकर रसड़ा सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के महेन्‍द्र को 6,583 वोटों के अंतर से हराया है। महेन्‍द्र को 81,304 वोट मिले। इस सीट पर उमाशंकर सिंह की यह लगातार तीसरी जीत है। 

मुस्लिम-दलित समाज मिल जाता तो यूपी में नतीजे कुछ और होते: मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज का वोट अगर दलित समाज के साथ मिल जाता तो पश्चिम बंगाल जैसे चुनाव परिणाम यहां दोहराए जा सकते थे। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि चुनाव के दौरान सुनियोजित तरीके से जनता के बीच बसपा को भाजपा की B टीम कहने का दुष्प्रचार किया गया और कहा गया कि बसपा कम मजबूती से चुनाव लड़ रही है, जबकि सच्चाई इसके बल्किुल उलट है क्योंकि भाजपा से बसपा की लड़ाई राजनीतिक के साथ-साथ सैद्धान्तिक व चुनावी भी थी।

‘भाजपा-विरोधी हिन्दू लोग भी बसपा में नहीं आए’
मायावती ने कहा कि भाजपा के अति-आक्रामक मुस्लिम-विरोधी चुनाव प्रचार से मुस्लिम समाज ने एकतरफा तौर पर सपा को ही अपना वोट दे दिया और इससे फिर बाकी भाजपा-विरोधी हिन्दू लोग भी बसपा में नहीं आए। अगर ये सभी लोग इन अफवाहों का शिकार न हुए होते तो फिर यूपी का चुनाव परिणाम कतई भी ऐसा नहीं होता जैसा कि हुआ है। अब समय बीत जाने के बाद ये लोग दोबारा से जरूर पछताएंगे।

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