रत का राष्ट्रपति भवन दिल्ली में रायसीना हिल पर स्थित है। बेहद भव्य ये इमारत दुनिया के किसी भी राष्ट्र प्रमुख की सबसे बड़ी और आलीशान इमारत है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में दो और राष्ट्रपति भवन भी मौजूद हैं। एक शिमला की खूबसूरत पहाड़ियों पर बना है और दूसरा हैदराबाद में है।
ये दोनों भवन देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में स्थित हैं, जो देश की विविध संस्कृतियों और एकता का प्रतीक हैं।
हैदराबाद में है राष्ट्रपति निलयम, 1860 में बनी थी ये इमारत
राष्ट्रपति निलयम तेलंगाना राज्य में हैदराबाद के सिकंदराबाद शहर में बोलाराम नामक जगह पर स्थित है। निलयम तेलुगू भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है- घर या आवास। यानी राष्ट्रपति निलयम शब्द का मतलब होता है- प्रेसिडेंट हाउस यानी राष्ट्रपति निवास।
राष्ट्रपति निलयम को पहले रेजिडेंसी हाउस के नाम से जाना जाता था। देश के राष्ट्रपति साल में एक बार कुछ दिनों के लिए यहीं से काम करते हैं।
इतिहास
इसका निर्माण 1860 में हैदराबाद के निजाम नसीर-उद-दौला ने कराया था। निजाम सेना की छावनी इलाके में स्थित ये इमारत निजाम सेना के मुख्य सैन्य अधिकारी का निवास स्थान हुआ करती थी।
बाद में जब निजाम और अंग्रेजों के बीच हुए करार के तहत सिकंदराबाद में अंग्रेजों को छावनी बनाने की अनुमति मिल गई तो इसे अंग्रेजों ने अपने इस्तेमाल के लिए सिकंदराबाद स्थित ब्रिटिश रेजिडेंट का कंट्री हाउस यानी आवास बना दिया।
आजादी के बाद 1948 में जब हैदराबाद का भारत में विलय हो गया, तो सिकंदराबाद छावनी को भारतीय सेना को सौंप दिया गया। इसके बाद रेजिडेंट हाउस को प्रेसिडेंट सेक्रेटेरियट को सौंप दिया गया और इसका नाम पड़ा ‘राष्ट्रपति निलयम’, यानी भारत के राष्ट्रपति का दक्षिण में स्थित आवास।
खासियत
राष्ट्रपति निलयम 90 एकड़ यानी करीब 3.60 लाख स्क्वायर मीटर में फैला है। ये एक मंजिला बिल्डिंग है, जिसके परिसर में कुल 11 कमरे बने हैं। इसमें डाइनिंग हॉल, सिनेमा हॉल, दरबार हॉल, मॉर्निंग हॉल, डाइनिंग रूम बने हैं।
राष्ट्रपति निलयम की एक खास बात ये है कि इसका किचन और डाइनिंग हाल दो अलग बिल्डिंग हैं, जिन्हें खाना ले जाने के लिए एक सुरंग के जरिए जोड़ा गया है।
राष्ट्रपति निलयम को बाद में एक ईको-फ्रेंडली कॉम्प्लेक्स के तौर पर विकसित किया गया। इसके तहत इसमें सोलर लाइटिंग, दो गार्डन और रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई।
निलयम में हैं दो गार्डन-हर्बल और नक्षत्र वाटिका
2009 में निलयम परिसर के आसपास 7000 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र में फैले हर्बल गार्डन का उद्घाटन किया गया। इस गार्डन में 116 वैराइटी वाले स्वास्थ्यदायक और सुगंधित औषधीय पौधे लगे हैं। इनमें सर्पगंधा, लेमनग्रास, खस, सिट्रोनेला, धनिया, चंदन, कंद गुलाब, कालमेघ, तुलसी जैसे पौधे शामिल हैं।
जनवरी 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति निलयम में नक्षत्र वाटिका का उद्घाटन किया था। करीब एक एकड़ में बनी नक्षत्र वाटिका को वैदिक ज्योतिष के श्रीचक्र के अनुसार विभिन्न ज्योमिट्रिकल कॉम्बिनेशंस में बनाया गया है। इस वाटिका में 48 पेड़ लगे हैं, जो 9 नवग्रहों, 12 राशियों और 27 नक्षत्रों का प्रतीक हैं।
जुलाई 2015 में राष्ट्रपति निलयम में नक्षत्र वाटिका का उद्घाटन करते राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी।
वर्तमान
भारत के राष्ट्रपति साल में कम से कम एक बार राष्ट्रपति निलयम में जाते हैं और वहीं रहकर अपने आधिकारिक काम करते हैं।
आमतौर पर राष्ट्रपति सर्दियों में निलयम जाते हैं और वहां एक से दो हफ्ते रुकते हैं।
साथ ही राष्ट्रपति निलयम में गणमान्य व्यक्तियों के ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस भी बना है। इसके गेस्ट हाउस में 150 लोगों के रुकने की व्यवस्था है।
राष्ट्रपति निलयम को आजादी के बाद पहली बार लोगों के लिए जनवरी 2011 में खोला गया था।
दिसंबर 2017 में हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम के दौरे पर गए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तस्वीर।
शिमला की पहाड़ी पर बनी है रिट्रीट बिल्डिंग
राष्ट्रपति भवन सिर्फ दिल्ली ही नहीं, शिमला की खूबसूरत मशोबरा पहाड़ी पर भी है। इसे द रिट्रीट बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है। नेचुरल ब्यूटी की वजह से मशोबरा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
इतिहास
1850 में इस बिल्डिंग को शिमला के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट ने बनवाया था। यह बिल्डिंग 10,628 वर्ग फीट में फैली है। रिट्रीट को कोटि के राजा से लॉर्ड विलियम ने लीज पर लिया था। इस दौरान स्थानीय लोग इसे लार्टी साहेब की कोठी के नाम से पुकारते थे।
इस लीज डीड में यह शर्त थी कि शिमला और मशोबरा गांव से दो सड़कें जनता के लिए खुली होनी चाहिए। साथ ही कोई पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए और किसी भी मवेशी को नहीं मारा जाना चाहिए।
इसके बाद कमांडर इन चीफ सर विलियम मैन्सफील्ड और उसके बाद 1841 में सर एडवर्ड बक ने भी इस लीज को बरकरार रखा। 1886 में कोटि के राजा ने फिर इसे अपने कब्जे में ले लिया। 1895 में वायसराय ने इस बिल्डिंग को फिर अपने कब्जे में ले लिया।
अर्ल ऑफ एल्गिन भारत के पहले वायसराय थे जिन्होंने रिट्रीट का वायसरीगल भवन के रूप में इस्तेमाल किया। इसके बाद से ही वायसराय रिट्रीट पर रुकने लगे।
वर्तमान
आजादी के बाद वायसरीगल लॉज को राष्ट्रपति भवन के रूप में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद इस रिट्रीट को प्रेसिडेंशियल एस्टेट के हिस्से के रूप में माना गया।
राष्ट्रपति की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार राष्ट्रपति अपनी रिट्रीट बिल्डिंग पर साल में कम से कम एक बार जाते हैं। इस प्रवास के दौरान उनका कार्यालय भी साथ रहता है। यानी सारा कामकाज दिल्ली से शिमला पहुंच जाता है।
देखा जाए तो शानो-शौकत से भरपूर रिट्रीट बिल्डिंग सालभर राष्ट्रपति की यात्रा और उनके निवास के लिए तैयार रहती है। हालांकि रिट्रीट बिल्डिंग को कभी भी आम लोगों के लिए नहीं खोला जाता है।
जुलाई 2007 में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद प्रतिभा पाटिल 2008 में 27 मई से लेकर 1 जून तक शिमला गईं थीं।
जून 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी शिमला स्थित रिट्रीट बिल्डिंग में गए थे। इस दौरान राष्ट्रपति स्टाफ के 33 सदस्य भी उनके साथ आए थे।
अब दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के इतिहास के बारे में जानते हैं
राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास है। ये बेहद शानदार इमारत नई दिल्ली में रायसीना हिल पर राजपथ के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
अंग्रेजों ने जब 1911 में राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली ले जाने का फैसला किया, तो उन्होंने वायसराय हाउस बनाने का भी फैसला लिया। इस शानदार इमारत को बनाने का श्रेय अंग्रेज आर्किटेक्ट्स एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को जाता है।
इसका निर्माण 1912 में शुरू हुआ और ये 17 साल बाद 1929 में बनकर तैयार हुआ। इस इमारत का उद्घाटन 1931 में हुआ था। आजादी के बाद अंग्रेजों का बनवाया यही वायसराय हाउस भारत का राष्ट्रपति भवन बना।