अग्नि आलोक

4 कविताएं (लड़कियों आवाज़ उठाओ / आज नहीं तो कल होगा / अब जागो युवाओं /खत्म न करो प्रकृति)

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लड़कियों आवाज़ उठाओ



मीनाक्षी
चौरसो, उत्तराखंड

लड़कियों तुम आवाज़ उठाओ,
जुर्म के खिलाफ आवाज उठाओ,
आज उठाओ, कल उठाओ,
हमेशा तुम आवाज़ उठाओ,
नहीं डरो किसी से तुम,
ये आज कह कर जाओ,
लड़की हो तुम, अपनी पहचान बनाओ,
नहीं सहोगी कोई जुर्म तुम,
आज ये ऐलान कर के दिखाओ,
बहुत हुआ भेदभाव तुम्हारे साथ,
अब ये ख़त्म कर के दिखाओ॥

आज नहीं तो कल होगा



भावना
कन्यालीकोट, उत्तराखंड

आज नहीं तो कल होगा,
जो सच है, वह सच में होगा,
क्या सच में कभी आएगा?
ये कल, जाने गुजर गए कितने कल,
इंतज़ार में इस कल के,
जब हो जाऊंगी मैं सफल,
देती दिलासा खुद को मैं,
चलती रहती हूं हर हाल में मैं,
भूलकर कभी थक कर बैठ जाती हूं,
फिर उठकर आगे बढ़ती हूं ये सोचकर,
आज नहीं तो कल होगा,
करना चाहती हूं बहुत कुछ मगर,
पर कुछ न कर पाने के डर को सोच कर,
बहुत रोती हूं, छुपाकर गम को अपने,
खुशी से एक और कदम आगे बढ़ाती हूं,
ये सोचकर, आज नहीं तो कल होगा।।

अब जागो युवाओं



सुनीता जोशी
कपकोट, उत्तराखंड

बढ़ता जा रहा है नशे का उत्पाद,
कर रहा है युवा पीढ़ी को बर्बाद,
अशिक्षित सा लगने लगा है अब समाज,
उलट पुलट हो रही है जिंदगी,
कोई तो हो नशे पर पाबंदी,
युवाओं मत करो जिंदगी बर्बाद,
अब तुम्हें जगाना होगा इस बार,
नशे से दूर तुम्हें भागना होगा,
अच्छी ज़िंदगी को अपनाना होगा,
अब नशे की मनमानी नहीं होगी घर में,
घर को घर को यह समझना होगा,
तभी तो जीवन सबका अच्छा होगा॥

चरखा फीचर्स

खत्म न करो प्रकृति



तानिया आर्या
चोरसौ, उत्तराखंड
क्या मिला इन नन्हीं सी जान को लेकर?
क्या मिला इन पेड़ पौधों को नष्ट कर,
क्या क्या था उस नन्ही सी जान में,
प्रकृति की वो भी एक जान है,
प्रकृति की वो भी तो शान है,
इस कदर सब राख मत करो,
आने वाली पीढ़ी के लिए तो सोचो,
क्या मिलेगा जंगल में आग लगा कर?
खुद की जिंदगी को खत्म करने का ये संकेत है,
कुछ न भी करो ये प्रकृति के लिए,
पर यूं खत्म भी न करो इसे,
कितनी जान बसी है इन में भी,
इस संसार को देखने की,
इस तरह न करो खत्म इस जगत को ,
जंगलों में मत डालो इस आग को,
इससे खत्म हो रहा है ये आकृति,
इस तरह खत्म न करो ये प्रकृति।

चरखा फीचर्स

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