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ब्लड शुगर स्पाइक रोकने के  आयुर्वेदिक उपाय

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            डॉ. नीलम ज्योति 

दिन प्रति दिन डायबिटीज की समस्या बढ़ती जा रही है, इसे मध्य नजर रखते हुए हम सभी को इसके प्रति अधिक सचेत होने की आवश्यकता है। डायबिटीज की स्थिति में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और स्थिति में सुधार करने के लिए आयुर्वेद को बेहद प्रभावी माना गया है। आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले प्राकृतिक तत्व डायबिटीज के मरीजों पर काफी अच्छा काम कर रहे हैं।

*1. निशामालकी :*

यह 2 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सरल लेकिन प्रभावी संयोजन है, जिसे हल्दी और आंवला चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर तैयार किया जाता है। आंवला और हल्दी में मौजूद पोषक तत्वों की गुणवत्ता डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करती है। वहीं यदि आप प्री डायबिटीज की शिकार हो चुकी हैं, तो ऐस में इन्हे लेने से डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है। इनके उचित परिणामों का लाभ उठाने के लिए इन्हे भोजन से पहले 1/2 से 1 चम्मच दिन में 2 बार लें।

*2. औषधीय पानी :*

“पनीर फूल” यह भारत में बेहद प्रसिद्ध है, वहीं आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल सालों से होता चला रहा है। इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद खास माना जाता है। पनीर फूल में सेल्स के अंदर इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। साथ ही यह पेनक्रियाज के बीटा सेल्स को रिपेयर करने में मदद करता है। बीटा सेल्स हमारे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करते हैं। इस प्रकार यह ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने में आपकी मदद कर सकता है। साथ ही यह मूत्र प्रणाली को साफ रखता है और स्वास्थ्य देखभाल में अधिक सहायक होता है।

1 बड़े चम्मच पनीर फूल को 1 गिलास पानी में 7-8 घंटे के लिए भिगो कर छोड़ दें, इसे छानकर पीएं। इसके उचित परिणाम के लिए इसे रोज सुबह पीने का प्रयास करें। डायबिटीज और प्री डायबिटीज से पीड़ित दोनों ही लोगों को इसका सेवन करना चाहिए।

*3. रिफाइंड शुगर को प्राकृतिक शुगर से बदलें :*

चीनी का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक नहीं है, यदि आप इसे संतुलित और सही मात्रा में लेती हैं। साथ ही यदि आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा है, तो आप डायबिटीज के बावजूद थोड़ा मीठा ले सकती हैं। रिफाइंड चीनी को प्राकृतिक चीनी से बदल दें, इससे निश्चित रूप से मेटाबॉलिज्म और अन्य स्वास्थ्य लाभ बढ़ेंगे। मीठे में खजूर ले सकती हैं। शहद और गुड़ का सेवन भी किया जा सकता है, परंतु मात्रा का विशेष ध्यान रखें।

*4. गेहूं की जगह रागी का इस्तेमाल :*

   रागी में गेहूं की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। रागी एक ऐसा मिलेट है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद पौष्टिक होता है। अपनी नियमित डाइट में गेहूं के आटे की जगह रागी के आटे का इस्तेमाल करें। रागी की रोटी, रागी का चीला, रागी हल्वा, रागी डोसा, इडली जैसे पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करें।

*5. बेल :*

बेल के पेड़ में एंटी डायबिटिक, एंटी इन्फ्लेमेटरी, और डायरेटिक इफेक्ट पाए जाते हैं, जो बेल फल के रस और पत्तियों के साथ मिलकर शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। डायबिटीज के मरीज बेल शरबत, बेल का गुद्दा और बेल की पत्तियों को कंज्यूम कर सकते है। इसके अलावा यदि आपको डायबिटीज नहीं है, तो भी आपको इन्हें अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इससे ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

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