, मुनेश त्यागी
है कोई ऐसा
व्रत, हज, स्नान
या कोई तीर्थ यात्रा ?
जिसे करने से
मिल जाए मुक्ति,,,,
वर्णवाद से
जातिवाद से
जात-पात से
साम्प्रदायिकता से।
गरीबी से
पाखंडों से
भ्रष्टाचार से
अंधविश्वास से।
धर्मांता से
अन्याय से
शोषण से
भेदभाव से।
रिश्वतखोरी से
छोट बडाई से
आपसी कलह से
ऊंच नीच की मानसिकता से।
दलाली से
भुखमरी से
बेरोजगारी से
गला काट प्रतियोगिता से।
हिंसा से
अपराध से
पारिवारिक कलह से
छल-कपट और मक्कारी से।