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दूकानों पर नाम बनाम मुसलमानों दहशत की साज़िश 

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-सुसंस्कृति परिहार 

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपनी दुकान या ठेलों पर अपने नाम प्रदर्शित करने का जो संविधान विरोधी आदेश जारी किया गया है उसका तमाम  विपक्षी दलों को विरोध करना चाहिए।यह पहली बार नहीं हुआ है दिल्ली दंगा के वक्त चीन्ह चीन्ह कर मुसलमान दूकानदार दारों को नुकसान पहुंचाया गया था। यह ऐलान भी किया गया कि इनसे फल सब्जियां ना खरीदी जाएं।इस दंगे ने हज़ारों गरीब मुसलमानों का धंधा बर्बाद किया था।कोराना काल में भी एक अफ़वाह मध्यप्रदेश में फैलाई गई कि मुसलमानों द्वारा बांटे जा रहे फलों का सेवन ना करें वे इसमें थूक लगाकर ना केवल धर्म नष्ट कर रहे हैं बल्कि कोरोना को फैला रहे हैं।

ये सब किसकी शह पर हो रहा है वे कौन ताकतें हैं जो देश में लगातार नफ़रत फैला रही हैं इसका खुलासा हो चुका है और वे आज भी सक्रिय हैं तथा इस तरह के आदेश पारित कर रही है।हाल ही में जो आदेश उत्तरप्रदेश सरकार ने कांवड़ियों के मार्ग पर आगे वाली दूकानों और ठेलों को लेकर दिया है वह किसी भी हालत में मान्य नहीं होना चाहिए।

इसके पीछे वजह यही नज़र आ रही है कि वहां लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आए हैं उनने बता दिया है उत्तरप्रदेश की अवाम ने अब हिंदुत्व के एजेंडे को ठुकरा दिया है।उसकी वापसी के लिए कांवड़ियों के ज़रिए माहौल को पुनर्जीवित करने की ये नई साज़िश के तहत उठाया कदम है।। कांवड़ियों को म्लेच्छों की दूकान का सामान खरीदने से रोकने के लिए ये सब कर रहे हैं। यह एक तरह से उनके धंधे को चौपट करने की सोची समझी चाल भी है। इस तरह का काम ये ताकतें गुजरात नरसंहार 2002 के दौरान कर चुकी हैं। विदित हो गुजरात में अधिकांश बेकरियां मुसलमानों की थी।उनके वहिष्कार के बाद ये उद्यम मुसलमानों के हाथ से छीन लिया गया और उन्हें भूखों मरने छोड़ दिया गया था। मध्यप्रदेश के इंदौर में भी सांवरिया नाम से एक ठेले पर चटपटी खाद्य सामग्री बेचने पर एक मुसलमान दूकानदार को ऐसी ताकतों ने अधमरा कर दिया था।

 इस आदेश के बहाने जब उनके नाम पहचान सामने रहेगी तो किसी बहाने उन्हें ठोका जा सकेगा।जेल भेजा जा सकेगा। उनमें दहशत फैलाई जा सकेगी।उनकी लूटपाट भी होगी। यदि किसी कांवड़िए ने इनकी दूकान से कुछ खरीद लिया तो क्या उस पर कार्रवाई होगी।किसी गिरते-पड़ते कांवरिए को किसी मुसलमान ने सहारा दिया तो उस पर एक्शन होगा। ज़रूरत पड़ने पर कोई मुस्लिम डाक्टर का इलाज कुबूल करने वाले पर भी कार्रवाई होगी। ज़रुरी है योगी सरकार ऐसी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लें। जिससे सहारे की आवश्यकता ना हो।

इधर सोशल मीडिया में दूकानों के नामों पर विवाद शुरू हो गया है इनमें अल कबीर, अरेबियन एक्सपोर्ट्स,अल नूर एक्सपोर्ट्स क्रमशः सतीश सब्बरवाल,सुनील कपूर और सुनील सूद की हैं और मांस निर्यात का काम मुस्लिम नामों से कर रही हैं।है किसी की हिम्मत है जो इन नामों को बदलवा सकते।ये वही एक्सपोर्ट्स कंपनियां हैं जिन्होंने गौवंश काटने के एवज में इलेक्टोरल फंड में करोड़ों दान दिए हैं।लोग यह भी कह रहे हैं कि कश्मीर में वैष्णव देवी और अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्री पिट्ठू, पालकी,फल और प्रसाद भी जिनसे लेते हैं वे मुसलमान हैं, तो क्या वहां भी ये नाम पट्टिका लग जाएगी। विदित हो कश्मीर में तमाम सेवाएं मुसलमानों की ही होती हैं।

बहरहाल ये मामला गंभीर है अब जब योगी और मोदी-शाह की अनबन चरम पर है।भाजपा केन्द्र में बैशाखियों पर है तब इस मानवाधिकार और संविधान विरोधी आदेश का प्रतिकार पुरजोर तरीके से होना चाहिए क्योंकि यह हरकत मुसलमानों में दहशत फैलाने और हिंदुओं को खुश कर अगला चुनाव जीतने की कोशिश के तहत है।

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