~> बबिता यादव
केन्द्र सरकार का एक नया स्त्रीद्वेषी नियम यह है कि जो स्त्रियाँ विवाहपूर्व के अपने नाम यानी अपने असली नाम के साथ रहना चाहेंगी या अपने नाम से पति का नाम/उपनाम का पुछल्ला हटाना चाहेंगी उनको अपने ‘पति’ से NOC यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लाना पड़ेगा।
आप जितना मीम और रील बना कर मज़ाक बना लीजिए जया बच्चन का पर उनका नाम जया अमिताभ बच्चन पुकारा जाएगा और वे मना करेंगी तो आप जया बच्चन कर देंगे पर जया भादुड़ी वे हो नहीं सकेंगी।
यह कैसा कानून है और इसकी जरूरत क्या है?
अगर स्त्री चाहती है तो पति का नाम और उसका सरनेम लगा लगभग पाँच नाम रख चलती है। पर आप इसे कानूनी क्यों करना चाहते हैं?
स्त्री अपने माता-पिता द्वारा दिए नाम के साथ अपनी पूरी पहचान बनाती है, उसका नाम सिर्फ उसका नाम नहीं उसके वज़ूद का हिस्सा है पर आपको क्यों उसे किसी और के वज़ूद की परछाई बना देना है?
इस मुद्दे पर सांसद साकेत गोखले ने प्रश भी उठाया पर सरकार का उत्तर कहीं से भी मानने लायक नहीं।
इस देश की स्त्रियाँ पहले ही इतना भेदभाव झेल रही हैं और इस तरह के सेक्सिज़्म पर जब सरकार ही उतर जाए तो क्या बचता है? (चेतना विकास मिशन).