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सहकारिता विभाग लूट का बंटवारा,एक-एक अफसर के पास सौ-सौ सोसायटी…

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इंदौर। सहकारिता विभाग में काम का आलम देखिए। एक-एक निरीक्षक और उप अंकेक्षकों के पास सौ-सौ सोसायटियों तक का प्रभार है। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो प्रभार मिलने के बाद एकाध बार ही वहां झांके होंगे। ये स्थिति दो-ढाई साल से है। कुछ के पास तो सालों से प्रभार है।

सहकारिता विभाग के अधीन हाउसिंग, साख, कृषि, सेवा, दुग्ध, – मछली पालन, खाद-बीज आदि से जुड़ी करीब 3200 संस्थाएं आती हैं। बीते दो सालों में विभाग ने इनमें से 400 से ज्यादा निष्क्रिय संस्थाओं का परिसमापन कर विभागीय प्रशासक बैठा दिए। सहकारी संस्थायें जिला इन्द्रीराम.प्र.

भंग संस्थाओं की संख्या ज्यादा होने से विभाग को एक-एक व्यक्ति को पचास-पचास, सौ-सौ संस्थाओं का प्रभार देना पड़ा। हालत यह है कि एक अधिकारी के पास न्यूतनम 18 और अधिकतम 127 सोसायटियों का प्रभार है। अब समझा जा सकता है कि इन संस्थाओं का संचालन किस तरह हो रहा होगा। एक अधिकारी अपने प्रभार की एक सोसायटी में महीने में एक बार भी जाकर बैठे तो वह साल भर में भी सारी सोसायटियों की फेरी नहीं लगा सकता। संस्थाएं भी सुदूर गांवों तक में हैं। सूत्रों का कहना है

कि कई प्रभारियों ने तो अपने प्रभार वाली कई सोसायटियों में लंबे समय से झांका तक नहीं है। कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने प्रभार का आदेश भर ले लिया है। उसके बाद कुछ नहीं किया।

यह करना चाहिए प्रभारियों को

कायदा यह है कि जिन्हें भी प्रशासक बनाया गया है वे प्रभार लेकर सोसायटी का रेकार्ड अपने अधीन लें, मुख्यालय को सूचित करें। रेकार्ड नहीं मिल रहा है या दिया नहीं जा रहा है तो इसमें कानूनी कार्रवाई करें। सारी प्रक्रिया करने के बाद छह महीने के अंदर सोसायटियों के चुनाव करवाकर उसमें संचालक मंडल बैठा देना चाहिए, लेकिन यहां तो प्रभार लिए ही कई लोगों को सालों हो गए, लेकिन न उन्होंने चुनाव करवाए, न उनसे किसी ने पूछा।

उपायुक्त कार्रवाई भी नहीं करते

इसमें उपायुक्त को भी मानिटरिंग करना होती है कि जिन्हें प्रभार दिया गया था, उन्होंने क्या कार्रवाई की। कई की तो ज्वाइनिंग ही नहीं आती है। जिन्होंने कार्रवाई नहीं की तो उन्हें नोटिस देना चाहिए कि आपके प्रभार की संस्था में चुनाव क्यों नहीं हुए। हालांकि पूछताछ की कार्रवाई इक्का-दुक्का मामलों में ही होती है।

इनके पास पचास से ज्यादा का प्रभार

सुनील सक्सेना, उप अंकेक्षक सुधीर जैन उप अंकेक्षक केसी दशोरे, उप अंकेक्षक राजेश मालवीय, उप अंकेक्षक आई.सी. वर्मा, उपअंकेक्षक चंदन शाक्यवार उप अंकेक्षक आर.एस. जायसवाल, उप अंकेक्षक 91 डी पी खरिया, वरिष्ठ सह. निरीक्षक सुरेश भंडारी, उप अंकेक्षक नितेश कोगे, उप अंकेक्षक श्याम चौहान, सहकारी निरीक्षक विजय दशोरिया, उपअंकेक्षक एच.पी.गोयल, सहकारी निरीक्षक (इनके अलावा करीब बीस अन्य प्रशासक हैं

जिनके पास न्यूनतम 18 और अधिकतम 50 सोसायटियों का प्रभार है। हालांकि स्टाफ की कमी भी इसका एक कारण है।)

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