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2018 में राजस्थान में राहुल के गोत्र पर जीती थी कांग्रेस; अब बंगाल में भाजपा पर भारी न पड़े ममता का गोत्र!

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आबिद खान

बंगाल के विधानसभा चुनावों में गोत्र की एंट्री हो चुकी है। यह वही गोत्र हैं, जिससे ब्राह्मण कुल की पहचान होती है। पर राजनीति में जब भी गोत्र की एंट्री होती है, तब वह भाजपा पर भारी पड़ता है। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में ऐसा ही हुआ था, जब राहुल ने अपना गोत्र बताया था। भाजपा को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। इस बार राज्य पश्चिम बंगाल है और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गोत्र पर बवाल मचा है।

क्या है यह मामला?
पश्चिम बंगाल चुनावों में सबकी नजर नंदीग्राम पर है। यहीं से ममता ने पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टियों के गढ़ को ध्वस्त करते हुए तृणमूल के लिए जीत की नींव रखी थी। इस बार उनके करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी से ही उनका मुकाबला है, जो इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

ममता ने 70% हिंदू वोटरों वाले विधानसभा क्षेत्र नंदीग्राम में जनसभा में कहा कि ‘मैं मंदिर गई तो वहां पुरोहित ने मुझसे मेरा गोत्र पूछ लिया। मुझे याद आया कि त्रिपुरेश्वरी मंदिर में मैंने अपना गोत्र मां-माटी-मानुष बताया था। पर आज जब मुझसे पूछा गया तो मैंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मेरा गोत्र शांडिल्य है। पर मेरा यकीन है कि मेरा गोत्र मां, माटी और मानुष ही है।’

राजनीतिक पंडितों ने ममता के इस बयान को सॉफ्ट हिंदुत्व से जोड़ा और एक तरह से भाजपा को करारा जवाब बताया। खैर, भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लिया और ममता पर चढ़ाई कर दी। केंद्रीय मंत्री और बिहार के भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि ममता चुनाव हार रही हैं। इसी डर से गोत्र बता रही हैं। उन्होंने इसे रोहिंग्या शरणार्थियों से जोड़ते हुए पूछ लिया कि क्या रोहिंग्या और घुसपैठियों का गोत्र भी शांडिल्य है?

दरअसल, इन चुनावों में भाजपा ने हर स्तर पर धर्म के नाम पर वोटरों को बांटने की कोशिश की है। ममता पर भाजपा नेताओं ने मुस्लिमों का हितैषी होने का आरोप लगाया और जय श्री राम के नारे के सहारे तृणमूल को चुनौती दी।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ममता का गोत्र भाजपा के आरोपों को जवाब है। इस दौरान ममता ने न केवल चंडी पाठ किया, बल्कि मंदिरों की परिक्रमा की।

आखिर गोत्र होता क्या है?
गोत्र यानी आपका DNA। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार सभी मनुष्यों का जन्म ऋषियों से हुआ है। इन ऋषियों के नाम से ही वंश परंपरा की पहचान होती है, जिसे गोत्र कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि सप्तऋषि यानी सात ऋषियों से ही पूरी सृष्टि का सृजन हुआ है।

ये सप्तऋषि हैं- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। इसके अलावा जो भी गोत्र बताए जाते हैं, वह इन सप्तऋषियों की उपशाखाएं हैं। गोत्र का जिक्र हर पूजा-पाठ में होता है। खासकर शादी के समय।

गोत्र पर इससे पहले कब हुई थी राजनीति?

पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल गांधी (फाइल फोटो)

पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल गांधी (फाइल फोटो)

26 नवंबर 2018 को राहुल गांधी राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान पुष्कर मंदिर पहुंचे। वहां के पुजारी के अनुसार राहुल गांधी ने बताया कि उनका गोत्र दत्तात्रेय है। दत्तात्रेय कौल हैं और कौल कश्मीरी ब्राह्मण होते हैं। इसके बाद राहुल के गोत्र को लेकर खूब राजनीति हुई थी। हालांकि, इसका फायदा कांग्रेस को ही हुआ था और 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 101 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी।

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