डॉ. प्रिया
पानी की कमी और ज्यादा ऑयली खाने से पाचनतंत्र में गड़बड़ी बढ़ने लगती है। इससे न केवल भूख कम लगती है बल्कि पेट में दर्द व एसिडिटी का जोखिम बढ़ जाता है।
बचपन में मां अक्सर खाली पेट पुदीने की पत्तियां या कभी मोरिंगा की पत्तियां चबाकर खाने के लिए देती थीं, जिसके चलते कभी भी पेट दर्द व बदहज़मी का सामना नहीं करना पड़ता था। इन दिनों एंटीबायोटिक का बढ़ता चलन इन नुस्खों के महत्व को कम कर रहा है।
आप होम रेमिडीज़ की मदद से पाचन को मज़बूत रखना चाहते हैं, तो खाली पेट इन पत्तियों का सेवन अवश्य करें।
*1. मेथी के पत्ते :*
मेथी के पत्तों की खुशबू खाने के स्वाद को बदलने के साथ पोषण भी प्रदान करते हैं। इन्हें चबाने से पेट के स्वास्थ्य में मदद मिलती है और पाचन संबंधी समस्याएं हल हो होती हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लामेटरी गुण शारीरिक सूजन को कम करने में सहायता प्रदान करते हैं। मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद ये पत्तियां रजोनिवृत्ति या मासिक धर्म चक्र से गुजर रही महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती हैं। इसके सेवन से शरीर को आयरन, कैल्शियम और विटामिन ए, सी व के की प्राप्ति होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो कोशिकाओं पर ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करते हैं।
इन्हें सुबह खाली पेट कच्चा चबाकर खाएं, जिससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है। इसके अलावा पानी में उबालकर पीना भी गट हेल्थ को फायदा पहुंचाता है। साथ ही इसे पकाकर खान से भी स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से डाइजेशन बूस्ट होता है।
*2. पुदीने की पत्तियां :*
पुदीने की पत्तियो सें फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटी बैक्टीरियल गुणों की प्राप्ति होती है। इनको चबाकर खाने से ताज़गी का एहसास होता है, जिससे कब्ज से राहत मिलती है और पेट को आराम मिलने लगता है। इसकी ताज़ा महक सिरदर्द और दांतों से जुड़ी समस्याओं को भी कम कर देता है। पुदीने की पत्तियां खाने से शरीर को कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन ए व सी की प्राप्ति होती है। पुदीने की पत्तियों का सेवन करने से पेट में डाइजेस्टिव एंज़ाइम का स्तर बढ़ जाता है, जो पेट दर्द और अपच से राहत दिलाता है।
डाइजेशन को बूस्ट करने के लिए पुदीने की ताज़ी पत्तियों को चबाकर खांए या फिर उनका रस पी लें। उससे भी पेट संबधी समस्याओं को कम किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीने में कफ हारा गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र के आम विष को हटाने में सहायता करते हैं।
*3. पान के पत्ते :*
पान यानि तंबुला के पत्तों को चबाने से पाचन में सुधार करने के अलावा सूजन, भूख न लगना और कब्ज जैसे लक्षणों से पहुंचाने की क्षमता होती है। इससे सांसों की ताज़गी भी बनी रहती है। तंबुला की पत्तियों में कैल्शियम और विटामिन की उच्च मात्रा पाई जाती हैं। तंबुला की पत्तियों के नियमित सेवन से पेट में होने वाली ऐंठन को कम करके तनाव से भी राहत मिलती है। इन पत्तियों में कफ को संतुलित करने की भी क्षमता होती है।
इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में कारगर पान के पत्तों को चबाकर खाया जा सकता है। इसके अलावा पान बनाकर खा सकते है। साथ ही इसे रेसिपीज़ में एड करने से पेट को ठंडक मिलती है और लू की चपेट में आने से शरीर बच जाता है।
*4. मोरिंगा की पत्तियां :*
मोरिंगा की पत्तियों में कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, विटामिन ए, सी, ई और बी विटामिन पाए जाते हैं। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती हैं। इसमें मौजूद क्वेरसेटिन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे एंटी ऑक्सीडेंट सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में सहायता करते हैं। जो लोग सूजन संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं और ब्लड शुगर का शिकार है, उनके लिए भी ये कारगर है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मोरिंगा की पत्तियों का सेवन करने से 85 फीसदी एसिडिटी की समस्या हल हो जाता है। इसके अलावा पेट में बढ़ने वाली अल्सर की समस्या भी हल होने लगती है।
इसकी पत्तियों को सलाद में मिलाकर, सैंडविच में एड करके और सॉस व डिप में पीसकर खा सकते है। साथ ही खाली पेट गुनगुने पानी के साथ मोरिंगा की पत्तियों को खाना लाभकारी माना जाता है।
*5. नीम की पत्तियां :*
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नीम की पत्तियों में मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है और गट में गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ने लगती है। इसके अलावा ब्लड को प्यूरीफाई करने व स्किन संबधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। नीम ब्लोटिंग और एसिडिटी को दूर किया जाता है। वे लोग जो कब्ज के शिकार है। उनके लिए भी ये पत्तियां लाभकारी हैं। इन्हें चबाने से संक्रमण को रोकने और दंत स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है। नीम की पत्तियां मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद होने की क्षमता रखती हैं। इससे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
नीम में पित्तहर गुण होते हैं और यह अपने कड़वे और कसैले रस के कारण पित्त रोगों के इलाज में फायदेमंद है। इन्हें चबाकर खाने से आंतों में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करके पाचन में सुधार लाने में मदद करते हैं। इन्हें कच्चा खाने के अलावा पानी में उबालकर पीने से भी लाभ मिलता है।