*राजेन्द्र के.गुप्ता/सात्विक गुप्ता
सरकार की बदनामी करवाने वाले भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों पर असर क्यों नहीं होता है ? यह प्रकरण इसका जीता—जागता उदाहरण है। आलोक कुमार खरे वर्ष 2019 में सहायक आबकारी आयुक्त (असिस्टेंट कमिश्नर) इंदौर के पद पर पदस्थ थे। लोकायुक्त पुलिस ने खरे और इनकी पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में अपराध क्रमांक 238/2019 दर्ज करके, खरे के निवास सहित कई ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति जप्त करने के लिए छापा मारा और आय से अधिक अकूत संपत्ति जप्त की।
*भ्रष्टाचारी को संरक्षण ?!*
आरोपी आबकारी एसी खरे को सरकार द्वारा निलंबित करके सख्त विभागीय कार्यवाही करना थी, जिसके उलट सरकार ने खरें को ऊंचे पद पर रीवा संभाग का प्रभार दे दिया है ! अब इसे क्या कहें ? क्या ये जीरो टॉलरेंस की तैयारी है या भ्रष्टाचार को बढ़ाने, संरक्षण देने की ? जनता सब देख, समझ रही है।
*पी.एस. और आबकारी आयुक्त के बीच चिट्ठी—चिट्ठी का खेल*
*न्यायपालिका के काम पर अतिक्रमण किया जा रहा है क्या ?*
*आरोपी खरे मजे में !**चंद्रावत की संपत्ति राजसात होगी**एक अन्य अफसर की जाति पर सवाल*
खरें पर केस दर्ज हुए 06 साल हुए और पिछले 02 साल से कोर्ट में चालान पेश करने की अनुमति वाणिज्यिक कर मंत्रालय के प्रमुख सचिव द्वारा जारी नहीं की जा रही है। ऐसा लगता है खरे की बची नौकरी पूरी करने के लिए, अभिमत के लिए चिठ्ठी — चिट्ठी का खेल खेला जा रहा है। सोचिए सरकार को राजस्व देने वाले वाणिज्यिक कर मंत्रालय और आबकारी कमिश्नर एक दूसरे को दो साल में संतुष्टि पूर्ण अभिमत नहीं दे पाए है, तो आम नागरिक को कितनी अवधि में निराकरण मिलता होगा ?
आलोक खरें के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करने की अनुमति लोकायुक्त पुलिस ने वाणिज्यिक कर मंत्रालय के प्रमुख सचिव से मांगी है। जब लोकायुक्त पुलिस ने अनुमति मांगी थी, तब ईमानदार प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी पदस्थ थी, अब नए ईमानदार प्रमुख सचिव अमित राठौर पदस्थ है। दोनों प्रमुख सचिव, आबकारी कमिश्नर से चालान पेश करने की अनुमति पर अभिमत मांग चुके है। पूर्व आबकारी कमिश्नर ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने कानूनविद की तरह अभिमत दे दिया था, वर्तमान आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने अपनी कलम बचाते हुए पूर्व अभिमत को ही अभिमत बताते हुए विभाग में विधि विशेषज्ञ नहीं होने की बात लिख कर, अपना अभिमत पीएस को भेज दिया। इसके बाद पीएस ने पुनः आबकारी आयुक्त को स्पष्ट अभिमत देने के लिए पत्र लिख दिया, जिस पर आबकारी आयुक्त ने पुनः पूर्व की तरह दिनांक 24/10/2024 को अभिमत पीएस को भेज दिया है। अब तक वाणिज्यिक कर प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त, एक दूसरे को 10/01/2024 और दिनांक 02/04/2024, दिनांक 13/06/2024 और दिनांक 18/07/2024 और अब 24/10/2024 को चिट्ठी/अभिमत लिख चुके है।
ऊंचे पद पर पदस्थ कर दिया
सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आरोपी एसी आलोक कुमार खरे को रीवा का प्रभारी डीसी बना कर पदस्थ किया हुआ है।
गौरतलब हैं की मध्यप्रदेश लोकायुक्त ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में इंदौर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त पर कार्यवाही की है। जिसके पास से बरामद दस्तावेजों में अरबों रूपए की सम्पत्ति का खुलासा हुआ है। इंदौर, भोपाल, रायसेन, ग्वालियर और छतरपुर में एक साथ हुई कार्यवाई में सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे के यहां सम्पत्ति मिली है। लोकायुक्त पुलिस को सर्चिंग के दौरान पता चला कि आलोक कुमार खरे इंदौर के सबसे पॉस इलाके ग्रांड एक्सजोटिका हाइट्स में फ्लैट लेकर रह रहा था। हालांकि वह इंदौर में पदस्थापना होने के बावजूद भी ज्यदातर भोपाल में ही रहता था। मंगलवार सुबह लोकायुक्त पुलिस की छापामारी के दौरान इंदौर स्थित फ्लैट में ताला लगा मिला। जिसके बाद लोकायुक्त की टीम ने फ्लैट के गेट पर नोटिस चस्पा कर फ्लैट की चाभी मंगवाई और सर्चिंग की कार्रवाई की।
इंदौर में सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे ने 1996 में शासकीय सेवा में आया था। अपनी 23 साल की नौकरी में अलोक कुमार खरे ने करोड़ो रूपए की छापे में मिली सम्पत्ति कैसे बनाई होगी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में उनका वेतन करीब 1 लाख रूपए महिना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आलोक कुमार खरे का प्रशासनिक महकमें में प्रभाव है कि वह भोपाल से ही इंदौर कार्यालय चलाता था। वह हफ्तेभर में एक या दो बार ही इंदौर ऑफिस में दस्तक देते थे। यह भी बताया जा रहा है कि आलोक कुमार खरे खुद को विभागीय मंत्री का करीबी बताकर रौब झाड़ता था। इसलिए बडे़ अफसर भी उनसे मुख्यालय छोड़ने का कारण नहीं पूछते थे। सूत्रों की माने तो एक प्रिंसिपल सेक्रेट्री का भी उन्हें संरक्षण मिला हुआ है। लोकायुक्त की टीम ने बताया कि वह जब इंदौर ऑफिस पहुंचे तो आलोक खरे ड्यूटी पर नहीं मिले।
आलोक कुमार खरे वह सहायक आबकारी आयुक्त है जिन्हें धार जिले के आबकारी अधिकारी और एक आरटीआई कार्यकर्ता की कथित बातचीत जिसमें मंत्री व विधायकों को शराब ठेकेदार पैसा दिए जाने को लेकर आडियो वायरल हुआ था जिसके बाद मचे बवाल की जांच आलोक खरे को ही दी गई थी। लोकायुक्त पुलिस के छापे के बाद यह आलोक कुमार खरे को लेकर दिन भर यही चर्चा होती रही कि एक भ्रष्ट्राचारी ऑफिसर कैसे किसी दूसरे भ्रष्ट्राचारी अधिकारी की जाँच कर सकता है। लोकायुक्त पुलिस टीम ने मंगलवार तड़के छापा मारा जिसमें आलोक कुमार खरे के पास करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक खरे के पास लगभग 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। लोकायुक्त पुलिस की जांच टीमों को फार्म हाउस, आलीशान बंगले, कई प्लॉट, कृषि भूमि, ऑफिस, लग्जरी कारे, 79 लाख रुपए कीमत का सोना, 6 लाख रुपए कीमत की चांदी एवं 15 लाख रुपए नकद सहित करोड़ों रुपए मूल्य की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं।
छापे के दौरान मिले दस्तावेजों में आलोक कुमार खरे के पास भोपाल और रायसेन में 110 एकड़ जमीन के कागजाद मिले है। इसमें से 70 एकड़ जमीन रायसेन जिले में है। रायसेन शहर से सटे ग्राम मासेर और डाबरा-इमलिया में खरे ने लग्जरी फार्म हाउस बना रखे हैं, जिनकी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होती है। मासेर में फार्म हाउस के गेट पर छह लेयर वायरिंग डालकर करंट छोड़ा गया था, इसलिए लोकायुक्त टीम को गेट खुलवाने में मशक्कत करनी पड़ी। इनके अलावा 16 बैंक अकाउंट आलोक खरे व 22 मीनाक्षी खरे के नाम पर एसबीआई, आईसीआईसीआई व बैंक ऑफ इंडिया के मिले है। छापे के बाद सभी अकाउंट व लॉकर को सीज कर दिया गया है।
लोकायुक्त पुलिस को मिले दस्तावेजों के आधार पर देखा जाए तो इस सहायक आबकारी आयुक्त के पास मिली सम्पत्ति कुछ इस प्रकार है। भोपाल में पारिका गृह निर्माण सहकारी समिति चूनाभट्टी में 3200 वर्गफीट का प्लॉट और दानिश कुंज में एक प्लॉट, भोपाल के पास ग्राम तारा सेवनिया में 17.41 एकड़ कृषि भूमि, इंदौर के साईंकृपा गृह निर्माण सहकारी संस्था कैलाश पार्क में 1500 वर्गफीट का प्लॉट, मेसर्स श्री बिल्डर्स एंड डेवलेपर्स में 5056 वर्गफीट का आवासीय बंगला, सेंचुरी-21 मॉल में 1890 वर्गफीट का ऑफिस जिसकी कीमत करीब एक करोड़ रुपए आंकी जा रही है। साथ ही आईसीआईसीआई बैंक में 75 लाख रुपए की एफडी, रायसेन में 21 एकड़ कृषि भूमि और 14.75 में फार्म हाउस, भोपाल के कुसुम गृह निर्माण सहकारी समिति में 1800 वर्गफीट का प्लॉट, ग्राम डाबरा इमलिया में 57.89 एकड़ कृषि भूमि एवं फार्म हाउस। वही आलोक कुमार खरे की पत्नी मीनाक्षी खरे ने मेसर्स पारस हाउसिंग भोपाल में निवेश किया, आलोक खरे के पास ब्रियो कार, मीनाक्षी के पास दो ट्रैक्टर, दो स्कोडा की कार, एक इनोवा कार मिली है।
साथ ही गृह जिले छतरपुर में एक- 5 पैलेस आर्चेड, सी-निट कॉलोनी में आलीशान मकान, ग्राम मक्सी भोपाल में 0.410 हैक्टेयर भूमि, ग्राम रतनपुर सड़क भोपाल में 0.210 हैक्टेयर भूमि, ग्राम समरधा कलियासोत भोपाल में 0.28 हैक्टेयर भूमि, ग्राम चूनाभट्टी भोपाल में 0.15 एकड़ भूमि, बावड़िया कला मिसरोद रेलवे स्टेशन के पास 2100 वर्गफीट का प्लॉट, बागमुगालिया रामेश्वरम कॉलोनी भोपाल में 2160 वर्गफीट का प्लॉट, बावड़िया कला श्रीराम कॉलोनी भोपाल में 194.86 वर्गफीट का प्लॉट, ग्राम मुगालिया छाप भोपाल में ही 0.514 हैक्टेयर भूमि तथा इंदौर में एक 180 वर्गमीटर का प्लॉट मिलना बताया जा रहा है।
इंदौर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त के उपर पड़े लोकायुक्त के छापे को लेकर बताया जा रहा है कि इनकी शिकायत किसी विधायक ने लोकायुक्त में की थी। वहीं, जाँच में सामने आई सम्पत्ति के बाद यह भी बताया जा रहा है कि इनकी पत्नी ने अपने पिता से 20 लाख रूपए उधारी के रूप में लिए थे। इनके पिता रिटायर्ड प्रिंसिपल बताए जा रहे है। जबकि ससुर छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड जस्टिस होने का दावा किया जा रहा है।
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