सनत जैन
1975 में जो आपातकाल लगाया गया था उसका भय आज भी लोगों को दिखाया जाता है। आपातकाल इंदिरा गांधी की सरकार ने लगाया था। उस समय देश में हजारों की संख्या में आंदोलन हो रहे थे। महंगाई बेतहाशा थी। 1971 के युद्ध के बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा रखा था। अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रतिबंधित थी। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस का भारी संकट था। इसी बीच इंदिरा गांधी का चुनाव केवल इस कारण अवैध घोषित हुआ था उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी चुनावी सभा के लिए जो मंच बनाया था उसका भुगतान कांग्रेस पार्टी ने नहीं किया था। उनके एक निजी सचिव चुनावी सभा में मौजूद थे
। देश में हर जगह आंदोलन हो रहे थे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जिस दिन आपातकाल लगा था उस दिन सार्वजनिक मंच से सेना और पुलिस से सरकार के आदेश नहीं मानने का ऐलान किया था जिसके कारण आंतरिक विद्रोह की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसके कारण आपातकाल लगाया गया था। इसमें प्रावधान किया गया था। आंदोलन करने वाले और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को 1 साल तक के लिए जेलों में निरुद्ध करके रखा जाएगा। आपातकाल के दौरान विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता ट्रेड यूनियन के नेता और छात्र यूनियन के नेता आपातकाल में बिना किसी आरोप के जेलों में बंद कर दिए गए थे।
आपातकाल के दौरान तस्कर, गुंडे, बदमाश, नशीले पदार्थों का कारोबार करने वाले, जमाखोरी और मुनाफाखोरी करने वालों को जेलों में बंद किया गया था। राजनेताओं, ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों और आंदोलनकारी छात्र नेताओं को राजनीतिक बंदी के रूप में जेल में बंद रखा गया था। जिन लोगों ने आंदोलन नहीं करने का बांड भरा था, उन्हें कुछ दिनों के बाद ही छोड़ दिया गया था। जैसे ही आपातकाल समाप्त हुआ। मीशा में बंद सभी आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया था। उस समय आम जनता में कोई भय नहीं था। सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए लोग जरूर भयभीत रहते थे। तस्कर, गुंडे, बदमाश आपातकाल के डर से भूमिगत हो गए थे।
आपातकाल के दौरान देश की कानून व्यवस्था स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बेहतर थी। उस समय भी कुछ लोगों ने आपातकाल के भय का राजनीतिक एवं व्यक्तिगत हितों के लिए इस्तेमाल किया। सरकारी कर्मचारियों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो कार्यक्रम सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा था, उसमें आम लोगों के साथ ज्यादति की थी। जब आपातकाल खत्म हुआ तो जनता ने कांग्रेस को इसका माकूल जवाब दिया। पहली बार कांग्रेस चुनाव में बुरी तरीके से पराजित हुई। केंद्र में पहली बार विपक्षी जनता दल की सरकार बनी। विपक्ष की सरकार ढाई साल के अंदर अव्यवस्था के कारण गिर गई और एक बार फिर भारी बहुमत के साथ इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बन गईं। यहां आपातकाल का इसलिए उदाहरण देना पड़ रहा है, क्योंकि उससे कहीं ज्यादा भय पिछले 10 सालों में जो अघोषित आपातकाल है उसमें देखने को मिल रहा हैं।
केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ईडी को जो अधिकार नशीले पदार्थों के कारोबार को रोकने के लिए तथा अवैध रूप से आतंकी गतिविधियों और नशीले पदार्थ के कारोबार में जो लेन-देन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे थे उसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा प्रत्येक देश में विशेष अधिकार दिए गए। भारत में ईड़ी को यह अधिकार मिले। पिछले वर्षों में ईड़ी ने नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार को रोकने और आतंकी गतिविधियों के लेन-देन को रोकने के लिए विशेष अधिकारों का उपयोग किया हो ऐसा देखने में नहीं मिलता है। ईड़ी का उपयोग राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने, भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामलों में ईडी का उपयोग किया गया है। बड़े-बड़े राजनेता और बड़े-बड़े अधिकारी जेल में बंद किए गए। कई महीने और वर्षों उनकी जमानत नहीं हुई। जिसके कारण ईड़ी का भय समाज के सभी वर्गों पर पड़ा।
पिछले 10 सालों में साइबर क्राइम भी बड़ी तेजी के साथ बढ़े। साइबर क्राइम की पुलिस को भी विशेष अधिकार से सुसज्जित किया गया जिसके कारण अब देश में आम लोगों में ईड़ी और साइबर क्राइम पुलिस का सबसे ज्यादा भय देखने को मिल रहा है नारकोटिक्स और मनी लॉन्ड्रिंग का केस बताकर नकली ईड़ी के अधिकारी और नारकोटिक्स के अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट, नकली छापेमारी, और ऑनलाइन धमकी के माध्यम से लाखों लोगों के साथ ठगी करने के मामले सामने आए हैं। इस भय में आम आदमी बड़ी तेजी के साथ ठगा जा रहा है। हाल ही में एक 72 साल की महिला को फर्जी तरीके से ऑनलाइन अरेस्ट किया गया। फर्जी ऑनलाइन कोर्ट में उसे पेश किया गया। फर्जी अधिकारी, फर्जी पुलिस, फर्जी अदालत के माध्यम से करोड़ों-अरबो रुपए की ठगी देश में हुई है। इसमें मीडिया की भी बहुत बड़ी भूमिका है। एक बार ईड़ी और नारकोटिक्स की गिरफ्त में आने के बाद कई महीनो और वर्षों तक अदालत से जमानत नहीं होती है।
बड़े-बड़े वकील हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का चक्कर लगाते रहते हैं। मीडिया में ऐसे मामले खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए जाते हैं। नारकोटिक्स के एक मामले में शाहरुख खान के बेटे को जिस तरह गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, विधायकों और बड़े-बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी और लंबे समय तक जमानत नहीं होने के कारण लोग भयभीत हो गए हैं। भारत में ठग इसका बड़ा फायदा उठा रहे हैं रोजाना कई स्थानों से नकली ईड़ी के अधिकारी, नारकोटिक्स के नकली अधिकारी, सीबीआई और क्राइम पुलिस के नकली अधिकारी बनकर ठग बड़े पैमाने पर ठगी की वारदात कर रहे हैं। तकनीकी और कानून की जानकारी नहीं होने के कारण आम लोगों को बड़े पैमाने पर निशाने पर लिया जा रहा है।
सरकार को समय रहते इस तरह की ठगी और भय पर नियंत्रण करने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी। यदि आपातकाल की तरह ईड़ी, आयकर विभाग के अधिकारी, नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी और पुलिस का भय आम लोगों में फैल जाएगा तो इसका असर सरकार के ऊपर पडना तय है। घोषित आपातकाल की अलग व्यवस्था थी, अघोषित आपातकाल के दौरान जो हो रहा है उसको लेकर अब लोगों में आपातकाल भी याद आने लगा है। अब यह भी कहा जाने लगा है कि घोषित आपातकाल में इस तरह की घटनाएं नहीं हो रहीं थीं जिस तरह की घटनाएं और भय अघोषित आपातकाल में देखने को मिल रहा है। वर्तमान में न्यायपालिका को लेकर भी लोगों का विश्वास कम हो रहा है। सरकार को समय रहते सजग होने की जरूरत है, वर्तमान घटनाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है।
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