भोपाल। उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए राज्य व जिला उपभोक्ता आयोगों का गठन किया गया है। नियमानुसार उपभोक्ता की शिकायतों का 90 दिन में सुनवाई कर निपटारा किया जाना चाहिए, लेकिन कई मामले ऐसे हैं, जिनकी एक दशक बाद भी सुनवाई नहीं हो पाई है। दरअसल, उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली होने के कारण बेंच नहीं लग पा रही है। ऐसे में उपभोक्ता आयोगों में 33 हजार से अधिक मामले लंबित हैं।
प्रदेश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम जुलाई 2020 में लागू किया गया था। इस प्रविधान के तहत उपभोक्ताओं को वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक, प्रभाव और मूल्य के बारे में जानने का अधिकार है। अगर सेवा में कमी है या समान खराब है और सेवा प्रदाता बदलता नहीं है या तो करके नहीं देता है तो उपभोक्ता उसके खिलाफ शिकायत कर सकता है। इस प्रविधान के तहत उपभोक्ताओं को किसी भी मामले में 90 दिन में न्याय मिलना था, लेकिन कई मामलों में उपभोक्ता आयोगों में 13 साल में भी सुनवाई हो पा रही है। जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष गिरीबाला सिंह का कहना है कि उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली होने के कारण भी बेंच नहीं लग पा रही है। हालांकि, नेशनल लोक अदालत के जरिए मध्यस्थता कराकर मामलों का तेजी से निराकरण किया जा रहा है।
उपभोक्ता आयोगों में पद खाली
राज्य व जिला उपभोक्ता आयोगों में उपभोक्ता जागरूक होकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं। इससे राज्य और जिला आयोगों में 33 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। इसके पीछे बड़ा कारण कई जिलों के उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली होना है। उपभोक्ता इतने जागरूक हुए हैं कि हर साल करीब 11 हजार मामले दर्ज हो रहे हैं, लेकिन निराकरण नहीं हो पा रहा है। राज्य उपभोक्ता आयोग में करीब सात हजार और जिला आयोगों में 27 हजार प्रकरण लंबित हैं। प्रदेश के 52 जिलों के उपभोक्ता आयोगों में चार अध्यक्ष और 32 सदस्यों के पद रिक्त हैं। करीब पांच साल से आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की भर्ती नहीं हो पाई है। इस कारण उपभोक्ता आयोगों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि उपभोक्ता, सेवा प्रदाता के खिलाफ ई-दाखिल पोर्टल से अपनी शिकायत आनलाइन दर्ज करवा सकता है। इसके माध्यम से उपभोक्ता दर्ज शिकायत को ट्रैक भी कर सकता है कि उस पर क्या कार्रवाई हुई है या शिकायत का क्या स्टेट्स है, आयोग में आवेदन देकर भी शिकायत कर सकते हैं।
13 साल बाद मिला न्याय
रायसेन जिले के गडरवास गांव के निवासी किसान ताराचंद साहू 2010 में एक ट्रैक्टर खरीदा और द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया। ट्रैक्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। किसान ने ट्रैक्टर ठीक कराया, लेकिन बीमा कंपनी ने राशि नहीं दी। उपभोक्ता आयोग ने ट्रैक्टर में खर्च 66 हजार और आठ हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया, लेकिन कंपनी ने राशि नहीं दी और अपील लगा दी। अब बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी गई और अब 13 साल बाद बीमा कंपनी को 70 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया। वहीं बीटी कालेज रोड निवासी हबीबउल्लाह खान ने मुंबई व भोपाल स्थित असेल टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में 2017 में याचिका लगाई थी। शिकायत थी कि टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी से दो व्यक्तियों के लिए 5.20 लाख की राशि दी। इसमें होटल में ठहरने से लेकर वीजा और हवाई यात्रा सबकुछ शामिल था। लेकिन दंपती को मल्टीपल वीजा नहीं मिलने के कारण उन्हें रियाद भेज दिया गया। उन्हें एक माह तक सउदी अरब में रुकना पड़ा। आयोग ने आठ साल बाद जूनु मे निर्णय सुनाते हुए ट्रैवल्स कंपनी पर सवा तीन लाख का हर्जाना लगाया।
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