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 पापा ने सभी से अच्छा व्यवहार करना सिखाया-जुनैद खान

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आमिर खान के बेटे जुनैद खान ने अपनी पहली फिल्म ‘महाराज’ में दमदार एक्टिंग से सभी को हैरान कर दिया था और अपना शानदार डेब्यू किया था। ये मूवी नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी। अब उनकी अगली फिल्म थिएटर में आ रही है। उन्होंने हमसे खास बातचीत की और कई खुलासे किए ।

बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान के बेटे एक्टर जुनैद खान खुद को परफेक्ट बनाने के लिए थिएटर में कई साल से दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उसका मुजाहिरा उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘महाराज’ के जरिए किया भी है। वह मानते हैं कि पिता के नाम का फायदा उन्हें हमेशा मिलेगा, लेकिन वह उनके साथ होने वाली तुलना का जरा भी दबाव नहीं लेते हैं। एक्टर चाहते हैं कि उनका काम ज्यादा लोगों तक पहुंचे। फिर चाहे माध्यम ओटीटी हो या सिनेमाघर। हाल ही में वह थिएटर का हुनर दिखाने लखनऊ आए और यहां की ऑडियंस पर फिदा हो गए। इस खास मुलाकात में उन्होंने पापा से मिली सीख, थिएटर का जादू, सोशल मीडिया से दूरी समेत कई सवालों पर बेबाकी से जवाब दिया

लखनऊ जैसे दर्शक कहीं नहीं मिलेंगे
मैं पहली बार लखनऊ 2018 में अपनी एक दोस्त की शादी में आया था और चार-पांच दिन रुका था। 2019 में एक शो करने आना हुआ और अब तीसरी बार आया हूं। मुझे लगता है कि आपको लखनऊ जैसी ऑडियंस कहीं नहीं मिलेगी। मेरे शो को अच्छा बनाने के लिए उनकी तरफ से जो सकारात्मक ऊर्जा मिली, उसे मैंने बतौर कलाकार महसूस किया। खास बात है कि तीनों बार मैं यहां दिसंबर में आया हूं। लखनऊ का खाना वैसे ही लाजवाब है और सर्दियों में उसका मजा कई गुना बढ़ जाता है। इस शहर में कबाब और बिरयानी बहुत कमाल का मिलती हैं। मैं जब सेटअप के लिए जा रहा था तो पापा का फोन आया था।

सोशल मीडिया ने कभी उत्साहित नहीं किया
जब तकनीकी रूप से कोई मदद चाहिए होती है तो वहां पर पापा काम आते हैं, क्योंकि उन्हें इस इंडस्ट्री में काम करते हुए काफी समय हो चुका है। जो परेशानी आती है, उसका उनके पास तोड़ जरूर होता है। काम के मामले में हमारी ज्यादातर सोच मिलती है। मेरी एक फिल्म तो वह प्रोड्यूस कर रहे हैं। भविष्य में उम्मीद है कि हम एक साथ भी काम करेंगे। हां, ये सच है कि हम दोनों सोशल मीडिया पर नहीं हैं। मेरे कॉलेज के समय सोशल मीडिया अलग था। 2014 तक मैं कॉलेज में रहा, तब इंस्टाग्राम नहीं था। उस समय फेसबुक था लेकिन वह भी उस तरह का नहीं था, जैसे आज सोशल मीडिया का प्लैटफॉर्म हैं। मुझे सोशल मीडिया ने कभी उत्साहित नहीं किया। यही वजह है कि मेरा अकाउंट नहीं है।

फ्री में यूट्यूब पर डाल दो फिल्म, पर प्रोड्यूसर नहीं मानेंगे

मेरे लिए यह जरूरी है कि लोग मेरी फिल्में देखें, ना कि ये कि वह थिएटर में रिलीज हुई है या किसी प्लैटफॉर्म पर। दर्शक मेरा काम कहां देख रहे हैं, ये मायने नहीं रखता। मैं कहता हूं कि फ्री में यूट्यूब पर डाल दो ज्यादा लोग देखेंगे। हालांकि, इसके लिए कोई प्रोड्यूसर राजी नहीं होगा।

मैं अब 30 साल का हो गया हूं
2012 की बात है, जब पापा को बताया कि मुझे एक्टिंग सीखने के लिए अमेरिका जाना है तो वह बोले, एक्टिंग कहीं भी सीख लोगे, जितना करोगे सीखते जाओगे। अगर तुम्हें भारत में काम करना है तो यहां की संस्कृति, भाषा और लोगों को समझना पड़ेगा। ये सारी चीजें कोई स्कूल नहीं सिखा पाएगा। हालांकि, वह एक पिता हैं और मैं जब कहीं बाहर जाने लगता हूं तो कहते हैं कि गाड़ी, सिक्योरिटी गार्ड लेकर जाओ। मैं कहता हूं कि पापा आप एकतरफ कहते हैं कि पूरा देश घूमो और किराने की दुकान तक अकेले जाने नहीं देते, मैं 30 साल का हो गया हूं। पापा ने हमेशा यही सिखाया कि लोगों से अच्छा व्यवहार करना, चाहे किसी भी क्षेत्र में काम करो।

पापा ने कहा कि अगर तुम्हें भारत में काम करना है तो यहां की संस्कृति, भाषा और लोगों को समझना पड़ेगा

जुनैद खान
मेरी और पापा की परफॉर्मेंस एक समान नहीं होगी
पापा अमीर और पावरफुल हैं। मैं उनका इस्तेमाल करूं या ना करूं लेकिन उनका बेटा होने के नाते, ये सारी चीजें लोगों के जेहन में हमेशा रहती हैं। उसका फायदा मुझे हमेशा होगा। आदित्य चोपड़ा (‘महाराज’ फिल्म के प्रोड्यूसर) मुझे जानते थे, तभी उन्होंने मेरे बारे में सोचा। जुनैद खान ने आमिर खान से तुलना के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि पापा और मैं फिजिकली अलग हैं। मैं उनसे साइज में बड़ा हूं तो हमारी परफॉर्मेंस कभी एक समान नहीं हो सकती। बाकी, मेरी और उनकी खूबियां कौन सी मैच होती हैं, ये आपको मेरी मम्मी (रीना दत्ता) से पूछना पड़ेगा क्योंकि जब भी वह मुझसे नाराज होती हैं तो कहती हैं तुम बिल्कुल अपने पिता की तरह हो। हालांकि, लोग कहते हैं कि मैं उनके जैसा काफी लगता हूं।

फिल्म पूरी होती है, एक स्टेज शो नहीं
थिएटर मेरा पैशन है। मैंने अमेरिका में इसकी तालीम ली। 2017 से मुंबई में थिएटर कर रहा हूं। मंच पर सात-आठ नाटक भी कर चुका हूं। लाइव परफॉर्मेंस का जो मजा है, वो आपको सिवाए थिएटर के और कहीं नहीं मिलता। ये एक अलग तरह का जादू है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। फिल्म एक बार बनने के बाद पूरी हो जाती है लेकिन एक स्टेज शो कभी पूरा नहीं होता, क्योंकि हर बार जब आप परफॉर्म करेंगे तो कुछ बेहतर निकलकर आएगा। जब आप मंच पर परफॉर्म करते हैं तो अंदर की शर्म दूर होती है। सात साल थिएटर करते हुए हो गए हैं, आगे भी यह सफर जारी रहेगा। जनवरी में मेरे मुंबई में कुछ शोज हैं। इसके अलावा, मुझे फिल्में भी करनी हैं। मेरी दो फिल्में आने वाली हैं। एक फरवरी में आएगी। एक की शूटिंग खत्म की है, जिसे पापा ही प्रोड्यूस कर रहे हैं।

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