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बिहार की सियासत: पारस केन्द्र में मंत्री बन सकते हैं पारस; चिराग को RJD और कांग्रेस ने दिया ऑफर

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पटना

LJP (लोक जनशक्ति पार्टी) के नए नेतृत्व के बाद बिहार से लेकर केंद्र तक की सियासत में बदलाव आएगा। LJP के नए नेता बने पशुपति पारस ने साफ कह दिया है कि वह NDA के साथ हैं और साथ रहेंगे। हालांकि, चिराग पासवान भी लगातार खुद को BJP के हनुमान के तौर पर पेश करते रहे हैं। वह NDA के साथ रहने का लगातार दावा करते रहे हैं। ऐसे में चिराग के अगले कदम पर सबकी निगाह टिकी है। वो क्या करते हैं, कैसे करते हैं? चिराग को क्या भाजपा मदद करेगी?

वहीं, बदली परिस्थिति में RJD (राष्ट्रीय जनता दल) और कांग्रेस ने चिराग पासवान को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे दिया है। इससे भी सियासत और गरमा गई है।

पशुपति पारस के अगले कदम पर नजर
पशुपति पारस ने सोमवार को पांचों सांसदों का हस्ताक्षर किया हुआ पत्र लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें LJP के नेता के तौर पर मंजूरी दे दी है। LJP NDA के साथ रही है। उनके साथ चुनाव लड़ी है तो पशुपति पारस ने यह साफ कहा कि वो NDA के साथ हैं। ऐसे में इस हफ्ते होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में उनको जगह मिल सकती है। दिल्ली में यह चर्चा है कि पशुपति पारस को कैबिनेट मंत्री या फिर स्वतंत्र राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।

वहीं, पशुपति पारस अब LJP के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, तो वह अपनी पार्टी को बिहार में स्थापित करेंगे या फिर नई रणनीति के तहत अपनी पार्टी का विलय JDU में कर देंगे। जिस तरह से इस पूरे प्रकरण में JDU ने ‘ऑपरेशन LJP’ चलाया, उससे साफ पता चलता है पशुपति पारस सहित सभी सांसदों ने JDU और नीतीश कुमार में आस्था जताई है। ऐसे में JDU का पूरा हक बनता है कि पांचों सांसदों को वह अपने पक्ष में कर ले, इस लिहाज से यदि LJP के सभी सांसद समर्थन करते हैं तो बिहार में जेडीयू के सांसदों की संख्या 16+5 यानी 21 हो जाएगी।

बाहुबलियों ने भी छोड़ा साथ
इस पूरे प्रकरण में अलग-थलग पड़े चिराग पासवान के लिए बहुत विकल्प नहीं खुले हैं। दरअसल, चिराग पासवान की विधानसभा में जो भूमिका थी, उससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे थे। खुद के चाचा पशुपति पारस ने पूरे विधानसभा में कहीं भी खुलकर चुनाव प्रचार नहीं किया। वहीं, बाहुबली पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, काली पांडे, सुनील पांडे, हुलास पांडे सहित कई नेता पार्टी से तितर-बितर हो गए हैं। चिराग पासवान ने कभी भी उन्हें संगठित करने की कोशिश नहीं की।

रामविलास पासवान के करीबी रहे काली पांडे ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा तो सुनील पांडे ने निर्दलीय दम ठोंक दिया था। 135 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान ने सपने में भी नहीं सोचा कि उनकी पार्टी एक सीट पर सिमट जाएगी।

चिराग ने नीतीश को किया था टारगेट
विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने अकेले नीतीश कुमार पर कई हमले किए, यहां तक कि चिराग पासवान ने यह तक कह दिया कि यदि उनकी सरकार बनेगी तो नीतीश कुमार जेल में होंगे। इस पूरे प्रकरण में BJP ने न खुलकर नीतीश कुमार का साथ दिया और न ही चिराग पासवान का। विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान यह भी दोहराते रहे, वह नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं। उनकी पूरी आस्था BJP के साथ है। बिहार विधानसभा में उन्हें जीत मिलती है तो वह BJP के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

चिराग को कांग्रेस और राजद से ऑफर
उधर, BJP, JDU, HAM और VIP ने मिलकर विधानसभा में बहुमत पा लिया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए। अब चिराग पासवान के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं खुले हैं। चिराग पासवान आज BJP आलाकमान से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि BJP उनका साथ देती है तो JDU और नई LJP BJP से नाराज हो सकते हैं।

इस लिहाज से चिराग पासवान अगले 3 सालों तक सिर्फ जमुई के सांसद के तौर पर रह सकते हैं या फिर उनके चाचा और LJP के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस ने यह कहा है कि चाहे तो चिराग पासवान LJP में रह सकते हैं। ऐसे में चिराग पासवान आगे की राजनीति किसी दल के साथ भी शुरू कर सकते हैं। कांग्रेस और RJD ने चिराग पासवान को ऑफर दिया है।

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