इंदौर
इंदौर के पैराडाइज और सपना बार में जहरीली शराब ने 5 युवकों मौत के बाद अवैध शराब के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। दिल्ली से शराब बनाने के लिए स्प्रिट और होलोग्राम समेत अन्य सामान मंगाने के मामले में ट्रांसपोर्टर और उसके साथियों को हिरासत में लिया है। स्टीकर बनाने वालों को भी पकड़ा गया है। यह सामान इंदौर से खरगोन जाता था, जहां पर शराब ब्रांडेड कंपनियों के बोतलों में भर कर बेच जाता था।
आरोप है कि ट्रांसपोर्टर दिल्ली शराब बनाने के लिए स्प्रिट बड़ी मात्रा में बुलवाकर इंदौर में खपाता था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए ट्रांसपोर्टर का नाम जितेंद्र है। सांवेर रोड तरफ उसका ट्रांसपोर्ट का काम है। जितेंद्र स्क्रैप के धंधे से भी जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है दिल्ली में उसके संपर्क संदीप नामक युवक से है। संदीप दिल्ली से बड़ी मात्रा में शराब बनाने का सामान भेजता था। ट्रांसपोर्ट के माध्यम से ही शराब इंदौर पहुंचाई जाती थी। इस शराब को जितेंद्र अपने साथियों की मदद से शहर में बिकवा देता था। पुलिस ने शनिवार रात को उसे और उसके कुछ साथियों को हिरासत में लिया है।
शहर में तस्करों द्वारा अवैध और जहरीली शराब खरगोन के खेतों में बनाई जा रही है। जहां स्प्रिट, पानी और रंग से तैयार कर अंग्रेजी शराब के रूप में ब्लैकर्स इंदौर के बारों में पहुंचा रहे हैं। शनिवार को जहर खाने से शराब माफिया के राजदार राहुल तायड़े की जो मौत हुई थी। बताया जा रहा है कि राहुल माफिया कालका प्रसाद निवासी मोरगढ़ी (खरगोन) से हर हफ्ते 3-4 पेटी जहरीली लाता था।जिसका उसे प्रति पेटी से कमिशन मिलता था। राहुल यह शराब बाणगंगा के ब्लैकर पंकज को माल देता था। पंकज से यह शराब पैराडाइज का संचालक योगेश उर्फ योगी यादव अपने ड्राइवर प्रवीण यादव के मार्फत और सपना बार का कर्ताधर्ता विकास बरेड़िया सीधे खरीदता था। वही नकली शराब बनाने के लिए स्पिरिट, नकली स्टीकर, बाक्स और होलोग्राम भी खजराना क्षेत्र के श्यामसिंह चौहान और निजाम सप्लाई कर रहे थे।
जानकरी में यह भी सामने आया है कि खंडवा का कालका ग्रुप नकली शराब बनाकर बड़ी मात्रा में इंदौर में खपा रहा था। यह बहुत बड़े स्तर पर काम कर रहा है । खंडवा, बुरहानपुर सहित अन्य जगहों से लगेज बसों व छोटी गाड़ियों के माध्यम से शराब इंदौर में भेजी जा रही थी। इंदौर में भी कई लोग इस कारोबार से जुड़ गए थे। यहां पर एक व्यक्ति के पास शराब पहुंचने के बाद पूरे शहर में सप्लाई कर दी जाती थी।