शशिकांत गुप्ते
अंधा रेवड़ियां अपने ही अपनो बांटता है कोई आश्चर्य नहीं होता है।आँखों से अंधे होकर नाम नयन सुख रख लेतें हैं और रेवडियां अपनो ही बांटते हैं तो आश्चर्य दुगना हो जाता है।
यहाँ वहाँ मत पूछो कहाँ कहाँ, कीचड़ फैला है वहाँ वहाँ के सुबो की स्थिति अन्य सुबो से अच्छी है।
मध्यप्रदेश तो राजनैतिक बीमारी से मुक्त हो गया।बीमारी का नाम अज्ञात है?हाल ही में बाढ़ में जो पुल ढह कर विसर्जित हुए हैं वे पुल,सेतु निर्माण में लगने वाली सामग्री से बीमार होकर त्रस्त हो गए होंगे तो पुलों ने ही विधाता से मुक्ति मांग ली होगी?
उत्तरप्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है।ऐसी खबरें पढ़ सुन कर मन प्रसन्न हो जाता है।कुछ विघ्नसंतोषी लोग मासूम अबलाओं का शारीरिक शोषण कर लेतें हैं और कानून की सुदृढ़ व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश करतें हैं।आजतक किसी सूबे में विकास का योजना बद्ध तरीक़े से एनकाऊंटर (Encounter) हुआ है? Encounter का हिंदी में अर्थ होता है मुठभेड़।पूर्व में कभी भी विकास के साथ पुलिस की मुठभेड़ की खबर पढ़ने सुनने में नहीं आई है?
असम और मिजोरम की आपसी वैमनस्यता समझ से परे है?दोनो ही जगह एक ही दल की सरकार है फिर भी आपसी लड़ाई दुर्भाग्यपूर्ण है?निराश होने की बात नहीं है,अभी प्रमाणपत्र बांटने वालों का वहाँ दौरा नहीं हुआ है,जब भी उन लोगों को वहाँ दौरा पड़ेगा, क्षमा करना दौरा किया जाएगा।मिनिटों में वहाँ के मुखियाओं को प्रमाणपत्र मिल ही जाएगा।सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
योजनाबद्ध तरीके से योजनाएं बनाई जा रही है।उपलब्धियों के प्रस्तुत किए जा रहें आंकड़ों को पढ़कर प्रसन्नता चरम पर पहुँच जाती है।
अभी केवल सात वर्ष और कुछ माह ही पूर्ण हुए हैं।
अच्छेदिनों की शुरुआत हो गई है।आमजन महंगा ईंधन वाहन में भरवा कर स्वयं गौरवांवित समझ रहा है।जो महंगा राशन खरीद सकतें है वे मौनव्रत धारण कर खरीद रहें हैं।बाकी तो मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा ही रहें हैं।
चारों ओर खुशहाली है।सिर्फ सात वर्षों में इतना कुछ हो गया है तो आगे पचास वर्षों में मतलब अभी 44 वर्षो तक और इंतजार करना है।एक कहावत है पूत के पांव पलने में ही नजर आ जातें हैं।
हम धार्मिक लोग हैं।हम भगवान पर आस्था रखतें हैं।हम उस दर्शनशास्र को मानतें हैं जिसमे पाप और पुण्य को परिभाषित किया है।मध्यम वर्गीय, निम्न मध्यमवर्गीय,और जो दबे कुचले समाज में जन्मे है,वे सभी अपने पूर्व जन्मों के पापों के कारण दुःख भोग रहें हैं।इसीलिए रामजी के दिव्यभव्य मंदिर का निर्माण होना बहुत जरूरी है।रामजी सभी दुःखो की दूर कर देंगे।
आमजन को यही समझना है कि,सहे जा सहे जा दुःखो को हँसते हुए,तेरे दुःख दूर करेंगे रे राम।
दो वर्ष बाद मंदिर दर्शनार्थ खोल दिया जाएगा।
बहरहाल अपने देश के युवक को बधाई जो भाला फैंकने में सफल हुआ और स्वर्णपदक प्राप्त किया।फैंकने की प्रतिस्पर्धा में सफल होना मतलब प्रतिद्वंदियों से भी दूर फैंकना पड़ता है।
नीरज को पुनः बधाई।
शशिकांत गुप्ते इंदौर