जयपुर. राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. इसी बीच, बसपा से शामिल चार कांग्रेस विधायक दिल्ली दौरे पर गए हैं. बसपा से कांग्रेस में शामिल विधायकों के दिल्ली दौरे को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इन विधायकों का दो-तीन दिन दिल्ली में ही रुकने का कार्यक्रम है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से राजनीतिक मसलों पर चर्चा करेंगे. अन्य दलों के नेताओं से भी मुलाकात के कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है विलय के मामले पर भी चर्चा होगी. विधायकों ने
राहुल गांधी से मिलने का मांगा गया है. हाल ही में विधायकों को 4 सप्ताह में अंतिम जवाब देने का नोटिस मिला है. नोटिस मिलने से बसपा से आए कांग्रेस विधायक परेशान हैं. विधायक सदस्यता बचाने की जुगत में लगे हैं.
हालांकि विधायक जोगिंदर सिंह अवाना आवश्यक कार्य के चलते दिल्ली नहीं गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास अच्छे वरिष्ठ वकील साथी मौजूद हैं. नोटिस का जवाब कैसे देना है, इसके बारे में पार्टी हाईकमान चर्चा कर तय करेगा. हमने कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही स्टेप उठाया था. नोटिस को लेकर साथियों में डर हो सकता है.
सदस्यता गई तो मुश्किल में आ जाएगी गहलोत सरकार
बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों पर सदस्यता जाने का खतरा मंडराने लगा है. अगर इन 6 विधायकों की सदस्यता चली भी जाती है तो गहलोत सरकार की मुश्किल थोड़ी सी बढ़ सकती है. कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 100 रह जाएगी. हालांकि सरकार को खतरा नहीं होगा. राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या वाली 200 है और बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए. अभी कांग्रेस के 106 विधायक हैं. इसके अलावा गहलोत सरकार के पास 13 निर्दलीय विधायकों, 1 आरएलडी विधायक, 2 सीपीएम विधायकों का भी समर्थन है. दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. कुलमिलाकर गहलोत सरकार के पास 122 विधायकों का समर्थन है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव थोड़ा बढ़ जाएगा.