अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं, यह समझने के लिए शिमला जाइए

Share

शिमला में सेब के बाग है और किसानों से छोटे-छोटे व्यापारी सेब ख़रीदकर देश भर में भेजते थे. व्यापारियों के छोटे-छोटे गोदाम थे. अडानी की नज़र इस कारोबार पर पड़ी. हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो अडानी को वहांं ज़मीन लेने और बाक़ी काग़ज़ी कार्यवाही में कोई दिक़्क़त नहीं आयी. अडानी ने वहांं पर बड़े-बड़े गोदाम बनाए, जो व्यापारियों के गोदाम से हज़ारों गुना बड़े थे.

अब अडानी ने सेब ख़रीदना शुरू किया. छोटे व्यापारी जो सेब किसानों से 20 रुपए किलो के भाव से ख़रीदते थे, अड़ानी ने वो सेब 22 रुपये किलो ख़रीदा. अगले साल अडानी ने रेट बढ़ाकर 23 रुपये किलो कर दिया. अब छोटे व्यापारी वहांं ख़त्म हो गए. अडानी से कम्पीट करना किसी के बस का नहीं था. जब वहांं अड़ानी का एकाधिकार हो गया तो तीसरे साल अडानी ने सेब का भाव 6 रुपये किलो कर दिया.

अब छोटा व्यापारी वहांं बचा नहीं था. किसान की मजबूरी थी कि वो अडानी को 6 रुपये किलो में सेब बेचे. अब अडानी किसान से 6 रुपए किलो सेब ख़रीदता है और उस पर एक-दो पैसे का अडानी लिखा स्टिकर चिपका कर 100 रुपए किलो बेच रहा है. बताइए क्या अडानी ने वो सेब उगाए ?

टेलिकॉम इंडस्ट्री की मिसाल भी आपके सामने हैं. कांग्रेस की सरकार में 25 से ज़्यादा मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर थे. JIO ने शुरू के दो-तीन साल फ़्री कॉलिंग, फ़्री डेटा देकर सबको समाप्त कर दिया. आज केवल तीन सर्विस प्रोवाइडर ही बचे हैं और बाक़ी दो भी अंतिम सांंसे गिन रहे हैं. अब JIO ने रेट बढ़ा दिए. रिचार्ज पर महीना 24 दिन का कर दिया. पहले आपको फ़्री और सस्ते की लत लगवाई अब JIO अच्छे से आपकी जेब काट रहा है.

कृषि बिल अगर लागू हो गया तो गेहूंं, चावल और दूसरे कृषि उत्पाद का भी यही होगा. पहले दाम घटाकर वो छोटे व्यापारियों को ख़त्म करेंगे और फिर मनमर्ज़ी रेट पर किसान की उपज ख़रीदेंगे. जब उपज केवल अडानी जैसे लोगों के पास ही होगी तो मार्केट में इनका एकाधिकार और वर्चस्व होगा और बेचेंगे भी यह अपने रेट पर. अब सेब की महंगाई तो आप बर्दाश्त कर सकते हो क्यूंंकि उसको खाए बिना आपका काम चल सकता है लेकिन रोटी और चावल तो हर आदमी को चाहिए.

अभी भी वक्त है, जाग जाइए, किसान केवल अपनी नहीं आपकी और देश के 100 करोड़ से अधिक मध्यमवर्गीय परिवारों की भी लड़ाई लड़ रहा है. जो भी अंधभक्ति में डूबा हुआ व्यक्ति है और किसानों के साथ नहीं है, उसका सामाजिक बहिष्कार करो.

  • गुरजीत ग्रेवाल
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें