इंदौर
GST की दर 5 फीसदी से 12 फीसदी करने तथा ई-वे बिल को लेकर अब कपड़ा कारोबारियों के विरोध के स्वर तीखे होते जा रहे हैं। इंदौर सहित मप्र के कई जिलों के व्यापारियों द्वारा इसका लगातार विरोध किया जा रहा है। व्यापारियों द्वारा सांसदों के माध्यम से केंद्र की भाजपा सरकार पर अपनी मांगे मनवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में अब इसे राष्ट्रीय आंदोलन का रूप देने की तैयारी चल रही है जिसे लेकर अन्य बड़े राज्यों के कारोबारियों की इंदौर सहित मप्र के कपड़ा कारोबारियों से रायशुमारी चल रही है। बताया जाता है कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो इस बार कपड़ा कारोबारी सीधे तौरे पर भाजपा की खिलाफत करेंगे। इसके लिए आंदोलन का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश होगा जहां चुनाव होना है। यहां मप्र सहित अन्य राज्यों के कपड़ा कारोबारी एकजुट होंगे जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ सकता है। इस बीच गुरुवार को एमटी क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन (इंदौर) व बैरागढ़ कपडा बाजार एसोसिएशन के पदाधिकारी भोपाल में वित्त मंत्री जगदीश देवडा से मिले और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया।
इंदौर की बातें करें दो करीब इसे लेकर एक महीने से व्यापारी विरोध कर रहे हैं। हाल ही में इसे लेकर अहिल्या चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने इसे लेकर एक बड़ी बैठक ली थी जिसमें अलग-अलग व्यापारिक संगठनों ने पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद एमटी क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन के कारोबारी इसके लिए लामबंद हुए। इसी कड़ी में फिर मप्र वस्त्र महासंघ ने दो दिन पहले इसे लेकर बड़ी बैठक की। इसमें इंदौर, देवास, उज्जैन, नीमच, मंदसौर, बुरहानपुर, ग्वालियर, जबलपुर, मनासा, गंजबासौदा, सतना, खरगोन, बैरागढ़, नागदा, सिरोंज सहित कई शहरों के संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए। इसके साथ ही आगमी दिनों में इससे भी बड़ी बैठक आयोजित कर आंदोलन की रूप रेखा तय करने को लेकर रणनीति बनी।
फिर बुधवार को इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन ने थाली बजाकर विरोध किया तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कपड़ा व्यापारियों के समर्थन में आगे आए और ट्वीट किया कि भाजपा सरकार के इस निर्णय से कपड़ा व्यवसाय तबाह हो जाएगा, बर्बाद हो जाएगा। सरकार को कपड़े पर प्रस्तावित जीएसटी दर वृद्धि तत्काल निरस्त करना चाहिए और कपड़ा व अन्य रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं को ई वे बिल के दायरे से बाहर लाकर व्यापारियों की मांगों पर तत्काल सहानुभूति पूर्ण निर्णय लेना चाहिए। कांग्रेस कपड़ा व्यापारियों के साथ है।
हर प्रदेश के वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे कपड़ा कारोबारी
इधर, लगातार विरोध और बैठकों के बाद कपड़ा कारोबारियों में सर्वसम्मति से इस पर तो एक राय बनी है कि सभी अपने-अपने क्षेत्र के सांसदों के माध्यम से लोकसभा में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाए जाने की मांग को लेकर दबाव बनवाएंगे। अब इसी कड़ी में अगली रणनीति है कि सभी राज्यों के कारोबारी इसके लिए एकजुट हो रहे हैं। इसे लेकर महाराष्ट्र, उप्र, बिहार, राजस्थान, गुजरात आदि के कारोबारियों की इंदौर सहित मप्र के कपड़ा कारोबारियों से रायशुमारी चल रही है। इसमें नई रणनीति यह है कि सभी राज्यों के कारोबारी इसके लिए अब अपने-अपने प्रदेश के वित्त मंत्री से मिलकर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। इसके साथ ही आंदोलन की चेतावनी भी देंगे।
भोपाल में वित्त मंत्री से मिले इंदौर-बैरागढ़ के कारोबारी
उधर, GST की दर 12 फीसदी करने तथा ई-वे बिल के खिलाफ गुरुवार को एमटी क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन (इंदौर) के अध्यक्ष हंसराज जैन, पदािधकारी कैलाश मूंगड़, अरुण बाकलीवाल, रजनीश चौरडिया, मनोज नेमा, गिरीश काबरा, विनीत कोचर, राकेश काकाणी तथा बैरागढ़ कपड़ा एसोसिएशन के कन्हैयालाल इसरानी, वासुदेव वाधवानी का प्रतिनिधि मंडल भोपाल में वित्त मंत्री जगदीश देवडा से मिला। पदाधिकारियों ने उनसे दोनों मुद्दों पर चर्चा की। मामले में मंत्री देवडा ने बताया कि 30 दिसम्बर को दिल्ली में देश के सभी वित्त मंत्रियों की एक बैठक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ रखी गई है। उस दौरान वे मप्र के कपड़ा कारोबारियों का पक्ष उनके समक्ष रखेंगे। कपड़ा कारोबारियों के हित में अच्छा निर्णय हो, इसकी हरसंभव कोशिश की जाएगी।
उप्र में बजाएंगे राष्ट्रीय आंदोलन का बिगुल
वैसे इस बात पर भी कपड़ा कारोबारियों में एक राय बन चुकी है कि आंदोलन का केंद्रीय बिंदु उप्र रहेगा। दरअसल वहां चुनाव तो है ही, इसके अलावा कानपुर गारमेंट्स का हब है। नोएडा, दिल्ली में हजारों एक्सपोर्ट व मेन्युफेक्चरिंग यूनिट्स हैं। इसके चलते राष्ट्रीय आंदोलन का बिगुल वहीं से बजेगा जो भाजपा के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है खासकर चुनाव को लेकर। इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अक्षय जैन ने बताया कि मांगे पूरी नहीं होने पर सभी कपड़ा कारोबारी व उनके परिवार के लोग आगामी चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देंगे और न ही किसी अन्य राजनीतिक दल को। वे NOTA का बटन दबाएंगे।