जे. एन. शाह
हम देशवासियों में से यदि कोई यह सोच रहा होगा कि समय सीमा की बंदिश लिए इस कार्य योजना में रेलवे के सामान्य डिब्बों में भेड़-बकरियों की तरह ठूंसकर, अत्यंत दारुण अवस्था में यात्रा करने वाले गरीब-प्रवासी मजदूरों का भला होने वाला है, रेलवे की यात्रा सुरक्षित, दुर्घटना मुक्त होने वाली है, रेलवे के संरक्षा श्रेणी समेत विभिन्न श्रेणियों के 2.6 लाख खाली पड़े पद भरे जाने वाले हैं तो उन्हें यह भ्रम त्याग देना चाहिए। वर्तमान की एनडीए-2 सरकार इन छोटे-मोटे कामों को करने के लिए नहीं आई है।
- इन 100 दिनों में अप्रत्याशित तीव्रता (जो शायद ही किसी अन्य सरकारी योजना में दिखती हो) दिखलाते हुए रेलवे ने मई 2017 में निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली पहली तेजस ट्रेन (लखनऊ-नई दिल्ली) को हरी झंडी दिखाई जो वर्तमान में अन्य तीन महत्वपूर्ण मार्गों- मुंबई-अहमदाबाद, मदुराई-चेन्नई, मुंबई-गोवा के बीच परिचालित है।
- देश के 150 यात्री ट्रेनों के परिचालन के लिए निजी ऑपरेटरों से बोली लगाने हेतु ई.ओ.आई. (एक्सप्रेसन आफ इंटरेस्ट) मांग लिया गया है।
- रेलवे की सात महत्वपूर्ण उत्पादन इकाइयों चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (बंगाल), डीजल रेल कारखाना (वाराणसी), मॉडर्न कोच फैक्ट्री (रायबरेली), रेल कोच फैक्ट्री (कपूरथला), डीजल मॉडर्नाइजेशन वर्कशॉप (पटियाला), इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (चेन्नई) और व्हील एंड एक्सल प्लांट (बेंगलुरु) का निगमीकरण करते हुए उन्हें ‘इंडियन रौलिंग स्टाक कंपनी’ नाम से निजी क्षेत्र में दे देने का मार्ग प्रशस्त किया जाना है।
- रेलवे को कोर व नान-कोर सेक्टर में बांटकर अस्पतालों, स्कूलों, कारखानों, रेलवे पुलिस आदि महकमों को अगले 100 वर्षों के लिए निजी क्षेत्र के हवाले कर दिए जाने के ‘विवेक देवराय कमेटी’ की सिफारिशों को अमलीजामा पहनाना है।
- देश के लगभग 23 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन जिनमें दिल्ली, मुंबई, बैंग्लौर, इलाहाबाद, कानपुर, चेन्नई, भोपाल, हावड़ा जैसे मेट्रो स्टेशन जो बेहद कमाई वाले हैं, आदि को शामिल करते हुए उन्हें पूरी तरह से निजी उद्योगपतियों को सौंप देने की योजना पर अमल शुरू भी हो गया है, जिनमें सिर्फ परिचालन से सीधे जुड़े कर्मी ही रेल के रहेंगे।
- देश के लगभग 600 रेलवे स्टेशनों के आसपास की जमीन 100 वर्षों के लिए निजी उद्योगपतियों को औने-पौने दामों में निजी व्यवसायिक प्रतिष्ठान विकसित करने हेतु दिए जाने की कार्य योजना पर अमल शुरू हो गया है। इसके लिए रेल मंत्री द्वारा लैंड डेवलपमेंट प्राधिकरण को लक्ष्य 2020-21 दे दिया गया है जिसमें कमर्शियल साइट्स के 21 स्थानों के लिए 2400 करोड़ , 25 रेलवे कालोनियों की बिक्री के लिए 3300 करोड़ और 22 स्टेशनों की रिडेवलपमेंट हेतु 12000 करोड़ ‘अप फ्रंट प्रीमियम’ रखा गया है। यह वित्त मंत्रालय की 9 जुलाई 2020 की बैठक में तय कर दिया गया है।
- रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कर एक स्वतंत्र नियामक संस्था (आर.आर.ए.आई.) का गठन प्रस्तावित है।
जे. एन. शाह
क्रमशः भाग 3 में…..