लखनऊ
यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार ने किसानों के लिए बड़ी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को किसानों को दी जाने वाली बिजली की मौजूदा दरों में 50 फीसदी की कमी कर दी। यानी अब किसानों का बिजली बिल आधा आएगा। सीएम ने ट्वीट कर बिजली की नई दरों की जानकारी दी। इसमें निजी नलकूप की बिजली दरों में 50% की छूट मिलेगी। यह छूट ग्रामीण व शहरी दोनों ही उपभोक्ताओं को मिलेगी। प्रदेश में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 13 लाख 16 हजार 399 है। चुनाव से पहले योगी के इस कदम को सियासी जानकार भाजपा का मास्टर स्ट्रोक करार दे रहे हैं।
किसानों को छूट पर सालाना 1000 करोड़ का खर्च
यूपी के चुनावी मैदान में बिजली बिल का करंट पहली बार नहीं दौड़ा है। किसानों उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली की दरों में 50% की कमी की मुख्यमंत्री की घोषणा से पहले आम आदमी पार्टी और सपा दोनों ही सभी उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा कर चुके हैं। यह वादा लुभावना भले हो, मगर राज्य विद्युत विभाग के पहाड़ जैसे 90 हजार करोड़ रुपए के घाटे को देखते हुए प्रैक्टिकल नहीं लग रहा था। इसके बजाय सिर्फ किसानों की बिजली दरें आधा करके योगी सरकार ने घाटे को भी अपेक्षाकृत कम कर लिया है।
कुल बिजली उपभोक्ता 2.70 करोड़, किसान सिर्फ 13.16 लाख
सरकार की इस घोषणा का सबसे बड़ा पहलू ये है कि राज्य में कुल बिजली उपभोक्ता करीब तीन करोड़ हैं। इनमें घरेलू उपभोक्ता 2.70 करोड़ हैं। इन सभी को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का मतलब था हर महीने 1750 करोड़ या 21 हजार करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त वित्तीय भार। राज्य में कृषि बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 13 लाख 16 हजार 399 हैं। इन सभी किसानों का आधा बिल माफ करने पर सरकार पर सालाना सिर्फ 1000 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार ही पड़ेगा।
सीएम योगी ने ट्वीट करके निजी नलकूप उपभोक्ताओं के लिए नई दरों के लागू होने की जानकारी दी
सरकार पहले ही देती है 11 हजार करोड़ की बिजली सब्सिडी
राज्य में 13.16 लाख कृषि विद्युत कनेक्शन हैं। ये उपभोक्ता साल में करीब 14006 यूनिट बिजली की खपत करते हैं, जो करीब 1845 करोड़ की पड़ती है। अभी उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली, इंडस्ट्री चलाने और तय सीमा के अनुसार बिजली सप्लाई के लिए सरकार करीब 11 हजार करोड़ की सब्सिडी देती है। उत्तर प्रदेश का विद्युत विभाग 90 हजार करोड़ रुपये के घाटे में है। प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा खुद स्वीकार कर चुके हैं।
मुफ्त बिजली के बजाय सस्ती बिजली देना आसान
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा भी कहते हैं कि मुफ्त बिजली के बजाय सस्ती बिजली देना ज्यादा आसान है। अभी पावर कॉर्पोरेशन काफी महंगी बिजली खरीद रहा है। अगर उसको कम कर दिया जाए, तो 2000 करोड़ रुपए बच जाएंगे। लाइन लॉस को कम कर दिया जाए, तो 2000 करोड़ रुपए बचेंगे। एक फीसदी लाइन लॉस कम करने से 450 करोड़ रुपए की बचत होती है। मेंटेनेंस के खर्चों में कमी से 1,000 करोड़ रुपए और लोन दर कम होने से 1000 करोड़ रुपए बच सकते हैं। यह कुल बचत अधिकतम छह हजार करोड़ रुपए है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ट्वीट
कब-कब बिजली की दरों में हुई बढ़ोतरी?
उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन के मुताबिक, 2012 से 2017 के बीच बिजली दरों में 60.71% की बढ़ोतरी हुई थी। कॉरपोरेशन के आंकड़ों के अनुसार, तब बिजली की सप्लाई भी शहरी इलाकों में अधिकतम 18 से 20 घंटे होती थी, जबकि ग्रामीण इलाकों में छह से 12 घंटे। साल 2017 से अब तक बिजली की दरों में 25% की बढ़ोतरी हो चुकी है। साल 2019 में आखिरी बार उत्तर प्रदेश सरकार ने 12 से 15 फीसदी बिजली महंगी की थी।