रीवा । आगामी 20 फरवरी रविवार को नारी चेतना मंच के 28 वें स्थापना दिवस के अवसर पर रीवा शहर में वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया है । नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सम्मेलन संबंधी तैयारी की जा रही है।संगठन के सदस्यों की सदस्यता का नवीनीकरण किया जा रहा है । वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए सदस्यता जरूरी है । सम्मेलन में महिलाओं के साथ आए दिन होने वाले अत्याचार , दहेज कुप्रथा , लिंग भेद , मादा भ्रूण हत्या , बेहद महंगी होती जा रही शादियां , सामाजिक कुरीतियों , सामाजिक-आर्थिक गैर बराबरी , फिजूलखर्ची , भ्रष्टाचार , बढ़ती जा रही महंगाई , बेरोजगारी , मिलावटखोरी , उपभोक्तावाद आदि अनेक ज्वलंत सवालों पर विशेष चर्चा होगी । सम्मेलन में इस बात पर भी चर्चा होगी कि सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को अनावश्यक रूप से बढ़ाने के बजाय उनकी पढ़ाई , रोजगार और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों पर विशेष ध्यान दे और वहीं बाल विवाह का प्रभावशाली नियंत्रण करे । देखने में आ रहा है कि इस समय जिन परिवारों में लड़के लड़कियां पढ़ रहे हैं , वहां वैसे भी स्वाभाविक रूप से उनकी शादी की उम्र बढ़ती जा रही है । दुनिया के विकसित देशों में भी लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष नहीं है ।
लंबे समय के विचार विमर्श के बाद लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तय की गई थी , जिसे बदलना जनहित में उचित नहीं होगा । यह भारी विडंबना और विरोधाभास है कि सरकार बाल विवाह रोक नहीं पा रही है और वहीं दूसरी तरफ झूठी वाहवाही के लिए लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र में बढ़ावा करने जा रही है । सरकार को चाहिए कि वह विवाहित जोड़ों को छोटे परिवार के लिए प्रेरित करे और इसी आधार पर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए । नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने कहा कि यदि लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष हो जाएगी तो उन करोड़ों गरीब परिवारों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी जिनकी लड़कियां आठवीं दसवीं के आगे अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाती हैं । यह काफी चिंताजनक बात है कि सरकार न तो लड़कियों की बेहतरीन नि:शुल्क पढ़ाई और स्वास्थ्य की व्यवस्था बना पा रही है , न ही उन्हें रोजगार दे पा रही है । नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने कहा कि लड़कियां दान की वस्तु नहीं है फिर भी सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना चला रही है । इस तरह के नारी विरोधी नामों को तत्काल बदला जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि देश और समाज में सांप्रदायिकता और जातिवाद बहुत बड़ा खतरा है जिसके खिलाफ सम्मेलन में विशेष प्रस्ताव पारित किया जाएगा ।