अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

भतीजे के बाद क्‍या भगवा रंग में रंगेंगे गुलाम नबी आजाद?

Share

कांग्रेस को जम्‍मू-कश्‍मीर में तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के सीनियर नेता और प्रदेश के सीएम रह चुके गुलाम नबी आजाद) के भतीजे मुबशर आजाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। पिछले कुछ समय में जैसे हालात हैं, उनसे साफ संकेत मिलता है कि गुलाम नबी आजाद की दूरी कांग्रेस से बढ़ी है। वहीं, बीजेपी के वो करीब आए हैं। भतीजे के भगवा पार्टी में शामिल होने के बाद ऐसे में अटकलें लगने लगी हैं कि क्या चाचा भी कांग्रेस से छिटककर बीजेपी का रुख करेंगे। हाल में कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थामा है।

मुबशर गुलाम नबी आजाद के सबसे छोटे भाई लियाकत अली के बेटे हैं। अप्रैल 2009 में आजाद के एक और भाई गुलाम अली भी बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी में शामिल होते हुए मुबशर ने कई ऐसी बातें कहीं जिनसे पूर्व सीएम के पार्टी से रिश्‍ता तोड़ने की अटकलों को बल मिला है। मुबशर ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनके चाचा का अपमान किया, जिससे उन्हें दुख हुआ। यही देख उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। वह बोले कि कांग्रेस ने पार्टी के करिश्माई नेताओं में शुमार पूर्व मुख्यमंत्री आजाद के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, उससे आम जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है। वैसे, मुबशर ने यह भी कहा कि बीजेपी में शामिल होने की योजना को लेकर उन्‍होंने अपने चाचा के साथ चर्चा नहीं की।

गुलाम नबी की कांग्रेस से बढ़ी है दूरी
मनमोहन सरकार में गुलाम नबी आजाद केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री थे। वह कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं के समूह में शामिल थे, जिसने अगस्त 2020 में पार्टी प्रेसीडेंट सोनिया गांधी को पत्र लिख संगठनात्मक सुधारों की मांग की थी। राजनीतिक गलियारे में इस समूह को जी-23 कहा जाता है। कांग्रेस के 23 वरिष्‍ठ नेताओं के इस समूह ने चिट्ठी लिख पार्टी की कार्यशैली, संस्कृति और हाइकमान पर सवाल उठाए थे।

गुलाम नबी आजाद के अलावा इनमें कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, भूपेंद्र हुड्डा, पृथ्‍वीराज चव्हाण और शशि थरूर सरीखे दिग्‍गज नेता भी शामिल थे। इसके बाद से कांग्रेस में ये नेता हाशिए पर रहे हैं। ये खुलकर समय-समय पर पार्टी की नीतियों की आलोचना करते दिखे हैं। यही कारण है कि हाल में इनके रिश्‍ते आलाकमान से बिगड़ते चले गए हैं। इन नेताओं में से कौन कब किस पार्टी में छिटक जाए कोई ताज्‍जुब की बात नहीं है।

बीजेपी से बढ़ी है नजदीकी
गुलाम नबी आजाद हाल में राज्‍यसभा से रिटायर हुए। जहां एक ओर कांग्रेस से उनकी नाराजगी बढ़ी है, वहीं बीजेपी से नजदीकी। कश्‍मीरी नेता ने कुछ समय पहले एक समारोह में पीएम मोदी की जमकर तारीफ की थी। उन्‍हें जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताया था। बचपन में पीएम मोदी के याच बेचने की घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्‍होंने अपनी असलियत नहीं छुपाई। उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

वहीं, राज्‍यसभा से गुलाम नबी आजाद की विदाई वाले दिन उनके बारे में बोलते हुए पीएम मोदी के आंसू आ गए थे। पीएम ने कांग्रेसी नेता की जमकर तारीफ की थी। पीएम ने कहा था कि उनकी लंबे समय से गुलाम नबी के साथ गहरी निकटता रही है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान गुजरात पर हुए एक आतंकी हमले का जिक्र किया था। उन्‍होंने कहा था कि जब वह गुजरात के सीएम थे उस दौरान हुए इस हमले में 8 लोग मारे गए थे। सबसे पहले गुलाम नबी आजाद का उनके पास फोन आया था। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे। इनके प्रयासों को वह भूल नहीं सकते हैं।

मोदी कार्यकाल में मिला पद्म सम्‍मान
गुलाम नबी आजाद की गिनती कांग्रेस के मुखर नेताओं में रही है। इस साल मोदी सरकार ने उन्‍हें पद्म भूषण से सम्‍मानित किया। उन्‍हें पद्म सम्‍मान मिलने के बाद भी काफी राजनीति हुई थी। इसे लेकर पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी। जहां एक ओर शशि थरूर और राज बब्‍बर जैसे नेताओं ने आजाद को इस प्रतिष्ठित सम्‍मान के लिए बधाई दी थी, तो दूसरी तरफ जयराम रमेश सरीखे कुछ नेताओं ने उन पर निशाना साधा था। कुल मिलाकर आजाद के लिए बीजेपी के दरवाजे खुले दिख रहे हैं।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें