मुनेश त्यागी
पांच राज्यों में चुनाव पूरे हो चुके हैं। इनमें से चार राज्यों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया है और उसकी सरकार बन गई है। बीजेपी की रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, फसलों का वाजिब दाम, आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या, बिजली के बढ़ते दाम, पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के बावजूद भी बीजेपी पुनः सत्ता में आ गई है। इसके मुख्य कारणों को जानना होगा।
कॉरपोरेट और हिंदुत्ववाद की राजनीति का गठजोड़, गोदी मीडिया की बीजेपी के पक्ष में लगातार मुहिम, बीएसपी और कांग्रेस के मतदाताओं द्वारा बीजेपी का दामन थाम लेना, गरीबों को दिए गए राशन का बीजेपी के वोटों में तब्दील होने हो जाना, पश्चिमी यूपी में बीजेपी की अपराध मुक्त प्रदेश की मुहिम काम गई जो उसके उसके मत प्रतिशत में अकल्पनीय इजाफा कर गई, बीजेपी सरकार का नमक खाया है अतः बीजेपी को वोट तो देना ही पड़ेगा, यह अति गरीब मतदाताओं की प्रतिक्रिया बीजेपी के पक्ष में काम कर गयी।
100 सीटों पर चुनाव लड़ रही एम आई एम 99 सीटों पर अपनी जमानत जब करा चुकी है इसे लगता है कि आई एम आई बीजेपी की सहयोगी बनकर रह गई है। यूपी में आर एस एस और बी जे पी ने ओबीसी और एससी के पिछड़ा वर्ग में महादलित और महापिछड़ा वर्गों को एकजुट किया। अब यह महापिछडा वर्ग बीजेपी का मुख्य बुक वोट बैंक बन गया है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और कायस्थ समाज ने कांग्रेस और बीएसपी को छोड़कर बीजेपी का समर्थन करना आरंभ कर दिया है क्योंकि यह वर्ग सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से बीजेपी में ही अपना भविष्य देख रहा है। क्योंकि यह वर्ग सत्ता में बने रहना चाहते हैं उनके लिए बीजेपी से अच्छा कोई प्लेटफार्म नहीं है इसलिए इन सब ने भी जमकर बीजेपी को वोट दिया।
इसके अतिरिक्त बीजेपी का अंध मुस्लिम विरोध और हिंदुत्व की राजनीति, जनता के बड़े हिस्से को उसके पक्ष में करने के लिए काफी कारगर और कामयाब सिध्द हुई है। किसान आंदोलन भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ और मुजफ्फरनगर को छोड़कर विपक्ष के लिए ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुआ और यहां पर भी बीजेपी ने अपनी 80-20 की राजनीति से लोगों को प्रभावित करने में सफलता पाई और वह बुलंदशहर आगरा मथुरा में काफी सीट जीतने में कामयाब हुई।
अब बीजेपी की राजनीति कारपोरेट जगत के साथ मिलकर जोरदार तरीके से किसानों, मजदूरों और आम जनता के हक और अधिकारों पर हमले करेगी, उदारीकरण की नीतियों को बेखौफ होकर लागू करेगी, मनुवादी मुहिम को और धारदार तरीके से लागू करेगी और विस्तार देगी और इसे ज्यादा गहराई प्रदान करेगी। बीजेपी और कारपोरेट की जनविरोधी नीतियों और मुहिम को केवल और केवल वामपंथी और जनतांत्रिक ताकतें ही मिलकर चुनौती दे सकती हैं। इन दोनों को मिलकर एकजुट होकर ही, हिंदुत्ववाद, मनुवाद और कारपोरेट के भयानक गठजोड़ को रोका जा सकता है। इन ताकतों को जनता को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक न्याय और सुरक्षा के मुद्दों पर किसानों मजदूरों और आम जनता को एकजुट करना पड़ेगा, उनके बीच अपनी पैठ बनानी पड़ेगी। इसके अलावा और कोई चारा नहीं है।