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माया, अखिलेश और योगी… सबके राज में होता रहा बंदरबांट, सरकारी खजाने को 52 हजार करोड़ का चूना

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नोए़डा
नोएडा में भूमि अधिग्रहण और संपत्तियों के आवंटन पर सीएजी की हालिया रिपोर्ट ने अथॉरिटी के अधिकारियों की पोल खोल दी। सीएजी रिपोर्ट में पिछले 10 साल के कार्यकाल में नोएडा अथॉरिटी में हुए घोटालों की जांच शामिल है। इसके अनुसार, साल 2005-06 से 2017-19 के बीच नोएडा अथॉरिटी अधिकारियों और बिल्‍डर्स ने मिलीभगत से जमीन अधिग्रहण, आवंटन और मंजूरियों में नियमों की जमकर अनदेखी की। यानी माया, अखिलेश और योगी सबके राज में नोएडा में जमीनों के नाम पर बंदरबाट होती रही, जिसके चलते सरकारी खजाने को 52,000 करोड़ रुपये की चपत लगी। अब सवाल है कि रिपोर्ट सामने के बाद योगी सरकार क्या कोई कार्रवाई करेगी?

Yogi, Akhilesh and Maya in Gujarat assembly polls : Outlook Hindi

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में सीएम पद की कुर्सी संभालते ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटीज की जांच सीएजी से कराने का फैसला किया था। सरकार ने पिछले 10 साल के दौरान नोएडा में जमीन आवंटन में हुए घोटालों की जांच को सीएजी को सौंपा था। इससे जुड़ी रिपोर्ट शुक्रवार को विधानसभा में पेश की गई।

केवल 18.36 फीसदी जमीन का इस्‍तेमाल किया
रिपोर्ट में साफ कहा गया कि औद्योगीकरण के अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने में नोएडा विफल रहा। रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने इसे रियल एस्‍टेट डिवेलपर्स के लिए स्‍वर्ग बना दिया क्‍योंकि केवल 18.36 फीसदी जमीन का इस्‍तेमाल ही औद्योगिक विकास के नाम पर हुआ। इसमें से 32.91 फीसदी क्षेत्र को ही मार्च 2020 तक कार्यात्मक बनाया जा सका। इस तरह कुल एरिया के सिर्फ 5 फीसदी भाग को ही इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में फंक्शनल किया जा सका।

साल 2005 से 2018 के बीच कमर्शियल लैंड का करीब 80 फीसदी पोंटी चड्ढा के वेव ग्रुप, 3सी और लाजिक्स ग्रुप जैसी कंपनियों को अलॉट कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने इसके लिए नियम एवं शर्तों का भी उल्लंघन किया।

तीन कंपनियों को हुई जमीन की बंदरबाट
सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि वेव ग्रुप को 2008 से 2010 के बीच 6.63 लाख वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया गया। साल 2010-11 में लॉजिक्स ग्रुप को 10.76 लाख स्क्वायर मीटर जमीन का आवंटन हुआ जबकि 3सी को 2010 और 2014 के बीच में 21.71 लाख वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया गया।

भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नोएडा अथॉरिटी के संबंधित अधिकारियों ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से निर्वाह नहीं किया और बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहे।

क्या ऐक्शन लेगी योगी सरकार?
प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने कहा, ‘अतीत में रही आवंटन से संबंधित खामियां अब दुरूस्त की जा रही हैं। मसौदा रिपोर्ट में उठाए गए कुछ बिंदुओं से हम सहमत थे जबकि कुछ बिंदुओं पर प्राधिकरण ने जवाबी तथ्य भी रखे थे। अंतिम रिपोर्ट का अभी अध्ययन किया जाना बाकी है।’ हालांकि अब देखना होगा कि चुनाव से पहले योगी सरकार घोटाले के दोषियों पर क्या कार्रवाई करती है?

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