इंदौर
कान्ह नदी के सूखे किनारे अब हरियाली से ढंक गए हैं। 2020 में नदी के दोनों तरफ दो किमी में 20 हजार पौधे रोपे थे। अब यह पौधे पेड़ बनते जा रहे हैं। जापानी पद्धति मियावाकी ने नदी किनारों को हरा-भरा कर दिया है। इनमें चिड़िया, कीट, पतंगे, मेंढक, सांप की भी बस्ती बनती जा रही है। नगर निगम ने पौधे रोपने का काम वन विभाग को सौंपा है। विभाग पांच साल इसकी देखरेख करेगा। मुख्य वन संरक्षक एचएस मोहंता के मुताबिक लालबाग के पीछे, भानगढ़ तरफ बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं।
जहां फेंसिंग हो गई, वहां ज्यादा घने
वनरक्षक लीना झाला का कहना है भानगढ़ में पौधारोपण के बाद तार फेंसिंग की गई। गर्मी में नियमित रूप से पानी दिया। इसका नतीजा यह रहा कि एमआर-10 पुल के समीप नदी के दोनों तरफ करीब 12 हजार पौधे पनप गए हैं।
अलग-अलग प्रजाति के पौधे लगाए
सभी साइट पर अलग-अलग प्रजाति के पौधे लगाए हैं। नीम, पीपल, जाम, गूलर, खमेर, सागौन, जामुन, गुलमोहर, बादाम के पौधे लगाए गए हैं। नीम और जाम जैसी प्रजाति धीरे पनपती है, लेकिन इन स्थानों पर सभी पौधों की ग्रोथ बहुत अच्छी है।
कचरे से बनी खाद से खिली हरियाली
नगर निगम कचरे से खाद बना रहा है। यही खाद पौधों में डाली जा रही है। थोड़ी सी खाद डालने पर ही पौधों को बहुत फायदा होता है। दो रुपए किलो में खाद मिल रही है। वन विभाग नर्सरी में जो पौधे तैयार करता है, उसमें भी यही खाद डाली जा रही है।