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मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ में सांप्रदायिक हिंसा की असल वजह क्या है?

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खरगोन: देशभर में अपेक्षाकृत शांत माने जाने मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के लोग इन दिनों कर्फ्यू में जी रहे हैं। खरगोन जिले में रामनवमी के दिन भड़की हिंसा के बाद लगाया गया कर्फ्यू जारी है। भयभीत लोगों को प्रशासन की ओर से सुरक्षा का भरोसा दिलाया जा रहा है। इसके बाद भी कई इलाकों से पलायन की खबर भी सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश में बेहद शांत स्वभाव के माने जाने वाले इलाके मालवा-निमाड़ में पिछले करीब एक साल से सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। क्षेत्र के आमजन भी इस बात को लेकर चिंतित दिखते हैं कि आखिर इस इलाके में पिछले दो साल में ऐसी क्या बात हो गई जो यहां इस तरह क घटनाएं होने लगी हैं।

मालवा-निमाड़ में हुए हालिया सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं
1. खरगोन में रामनवमी के दिन निकल रहे जुलूस में डीजे बजाए जाने को लेकर हुए विवाद के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी और जमकर पत्थरबाजी हुई पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े तो वहीं पेट्रोल पंप का भी भरपूर उपयोग किया गया। कई घरों और दुकानों में भी आग लगा दी गई। अब तक लगभग 100 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, वहीं दंगाइयों की संपत्ति को जमींदोज किया जा रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर चार भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी 15 डीएसपी सहित आर ए एफ की कंपनी और बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है।

2. सितंबर 2021 में इंदौर के मुस्लिम बहुल बॉम्बे बाजार में मुस्लिम लिबास में दो लड़कियां एक आदमी के साथ देखी गईं। कुछ लोगों ने उन्हें रोका और उनसे पहचान पत्र दिखाने की मांग की। पहचान पत्र से पता चला कि वह लड़कियां हिंदू थीं, उनके साथ का पुरुष भी हिंदू था। इस बात को लेकर हंगामा शुरू गया।

3. अगस्त 2021 में इंदौर इलाके में एक मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के में प्यार हो गया था। समाज के बंधनों के डर से दोनों भाग गए थे। इस घटना को सोशल मीडिया पर जोरदार ढंग से शेयर किया गया था। इस बात को लेकर मुस्लिम समुदाय में बेहद नाराजगी थी।

4. अगस्त 2021: उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाला तस्लीम चूड़ियां बेचने के लिए इंदौर आता था। वह हिंदू नाम रखकर चूड़ियां बेचता था। इंदौर पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था वह व्यक्ति हिंदू नाम रखकर चूड़ियां बेचता था। मंत्री के मुताबिक चूड़ी बेचने वाले के पास से दो फर्जी आधारकार्ड भी मिले थे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर खूब चर्चा हुई थी।

5. 2020 में महाकाल मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध उज्जैन में भी 25 दिसंबर को हिंदूवादी संगठनों की रैली के दौरान हिंसा हुई थी। 25 दिसंबर को भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली पर हुए पथराव के बाद 18 लोगों को अरेस्ट किया गया था। मुस्लिम पक्ष का आरोप था कि भारत माता मंदिर की तरफ जा रही रैली के दौरान हिंदूवादी युवाओं ने बेगमबाग के सामने रुककर हंगामा किया, खड़े वाहनों में तोड़फोड़ की। इसके बाद मुसलमान बस्ती के लोगों ने रैली पर पथराव किया।

6. दिसंबर 2020 में राम मंदिर के लिए चंदा जुटाने के लिए मंदसौर में रैली निकाली गई। आरोप लगे कि इस दौरान मुसलमानों के धार्मिक स्थल और घरों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने इस संबंध में 9 लोगों को अरेस्ट किया था, जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी।

7. मालवा क्षेत्र के तीन जिले उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में पिछले डेढ़-दो साल में सांप्रदायिक हिंसा की छोटी बड़ी 12 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। 2021 में इस तरह की सबसे पहली सांप्रदायिक हिंसा 25 दिसंबर को उज्जैन के बेगमबाग इलाके में हुई थी। 29 दिसंबर को इंदौर के चांदनखेड़ी और मंदसौर के डोराना गांव में रैली के दौरान माहौल खराब हुए। इंदौर के स्कीम 71 के सेक्टर-डी और राजगढ़ के जीरापुर में निकाली गई रैली में हालात बिगड़े। ये दोनों घटनाएं रैलियों के मुस्लिमों बहुल इलाकों से गुजरने के दौरान हुई।
इसके अलावा इंदौर में दक्षिणपंथी संगठनों की शिकायत पर मुनव्वर फारूकी नाम के एक स्टैंडअप कॉमेडियन को अरेस्ट किया गया। उन पर हिंदू देवी-देवताओं और गृहमंत्री अमित शाह का अपमान करने का आरोप था। हालांकि जांच में इसके कोई सबूत नहीं मिले।

क्या है मालवा-निमाड़ का राजनीतिक पिक्चर
मध्य प्रदेश की राजनीति में कहा जाता है कि मालवा-निमाड़ में जिस दल के ज्यादा विधायक विजयी होते हैं भोपाल में उसी की सरकार बनती है। 230 सीटों वाले विधानसभा की सबसे ज्यादा 66 सीटें मालवा-निमाड़ क्षेत्र की हैं। इस क्षेत्र में लंबे समय तक बीजेपी का दबदबा रहा है। दरअसल यहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने काफी काम किया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस इलाके में बीजेपी को झटका दिया था। दबदबा वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र से बीजेपी के केवल 27 विधायक जीत पाए थे। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां की 66 में से 57 सीटें जीती थी। 2018 के चुनाव में मालवा-निमाड़ की कुल 66 में 36 सीटें कांग्रेस, 27 बीजेपी और तीन सीटें निर्दलीयों को मिली थीं।
हालांकि 15 महीने बाद ही कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बगावत करने वाले कांग्रेस के विधायकों में ज्यादातर मालवा-निमाड़ से आने वाले विधायक ही थे। यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेसी के बागी बीजेपी के टिकट पर दोबारा विधायक बने। कईयों को शिवराज सरकार ने सरकार में मंत्री पद से भी नवाजा। अब 2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

कुछ मुस्लिम संगठन बीजेपी से मिलकर सियासी खेल खेलते हैं : दिग्विजय
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बुधवार को आरोप लगाया कि देश के अलग-अलग राज्यों में रामनवमी के त्योहार पर भड़के सांप्रदायिक दंगे पूरी तरह प्रायोजित हैं और इनके पीछे एक पैटर्न (तय स्वरूप) काम कर रहा है। धार्मिक उन्माद को सत्तारूढ़ बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार बताते हुए सिंह ने यह दावा भी किया कि कुछ मुस्लिम संगठन बीजेपी के साथ मिलकर सियासी खेल खेलते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह रामनवमी पर अलग-अलग राज्यों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के पीछे कोई पैटर्न देखते हैं, उन्होंने तुरंत कहा, ‘निश्चित तौर पर एक पैटर्न है और ये घटनाएं पूरी तरह प्रायोजित हैं। कुछ ऐसे मुस्लिम संगठन हैं जो पूरे तरीके से भाजपा के साथ मिलकर खेलते हैं।’

सिंह ने हालांकि कथित मुस्लिम संगठनों के नाम जाहिर नहीं किए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लिए धार्मिक उन्माद सबसे बड़ा हथियार है जिसका हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के लिए राजनीतिक दुरुपयोग किया जाता है। राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा, ‘मुझे इस बात का दु:ख है कि हालिया दंगे-फसाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं, जबकि किसी व्यक्ति की अंगुली में चोट लगने पर भी वह ट्वीट कर देते हैं या बयान दे देते हैं।’

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिया निष्पक्षता का आश्वासन
मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार शाम को मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की और खरगोन सहित राज्य के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा के बाद उनके समुदाय को कथित तौर से निशाना बनाने का मुद्दा उठाया। गृह मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाएगा।

मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं गृह मंत्री मिश्रा ने मौलवियों को आश्वासन दिया कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाएगा लेकिन कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। गृहमंत्री ने शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने में अल्पसंख्यक समुदाय का सहयोग मांगा। गृहमंत्री से बुधवार को मुलाकात के एक दिन पहले मुस्लिम मौलवियों के एक समूह ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुधीर सक्सेना को एक ज्ञापन सौंपा और खरगोन हिंसा के मद्देनजर कथित तौर पर राज्य प्रशासन द्वारा चुनिंदा तौर पर समुदाय के लोगों को निशाना बनाने सहित कई शिकायतें की थी। भोपाल शहर काजी सैयद मुश्ताक अली के नेतृत्व में मुस्लिम मौलवियों ने गृह मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पिछले कुछ समय से बिगड़ रही है।

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