अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

कभी बीजेपी पर गरम रहने वाले राज ठाकरे के अचानक क्‍यों बदल गए हैं सुर?

Share

राजनीति में एक कहावत बड़ी मशहूर है। इसमें न कोई स्‍थायी दोस्‍त होता है न दुश्‍मन। महाराष्‍ट्र इस कहावत को जीता हुआ दिख रहा है। कुछ सालों में राज्‍य की सियासत 360 डिग्री घूम गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ जिस शिवसेना की खूब पटती थी, आज वो उससे दूर हो गई है। उसने अपनी विचारधारा से बिल्‍कुल अलग दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली है। वहीं, महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेनाके साथ बीजेपी के रिश्‍ते परवान चढ़ते दिख रहे हैं। यह वही दल है जिसके प्रमुख राज ठाकरे कुछ समय पहले तक खुलकर बीजेपी का विरोध करते थे। पीएम नरेंद्र मोदी पर सभाओं में कीचड़ उछालते थे। महाराष्‍ट्र की सियासत में राज ठाकरे का नाम फिर उछल पड़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण उनका अल्‍टीमेटम है। उन्‍होंने उद्धव सरकार को तीन मई तक की डेडलाइन दी है। इस मियाद में मस्जिदों के सभी लाउडस्‍पीकरों को उतारने की बात कही है। वो पूरी तरह बीजेपी की भाषा बोलते दिख रहे हैं। इसमें योगी की तारीफ है तो उद्धव के लिए जहर। आखिर राज ठाकरे के स्‍टैंड में इस यू-टर्न की क्‍या वजह है?

महाविकास आघाड़ी सरकार का हिस्सा बनने के बाद शिवसेना के तेवर बदल गए हैं। शिवसेना ने यह गठबंधन कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बनाया है। हालांकि, इसके चलते शिवसेना कट्टर हिंदुत्व के स्‍टैंड पर कमजोर दिखाई देने लगी है। मुद्दा लाउडस्‍पीकर से अजान का हो या हनुमान चालीसा का वह खुद को दोराहे पर खड़ा पा रही है। इन मसलों पर उसका रुख अपनी छवि से बिल्‍कुल उलटा रहा है। इसने महाराष्‍ट्र की सियासत में बिसराए जा चुके तेज-तर्रार राज ठाकरे को एंट्री का मौका दे दिया है। मराठी मानुष और कट्टर हिंदुत्‍व के जिन मुद्दों पर शिवसेना की पकड़ ढीली पड़ी है, राज ठाकरे उन्‍हें गोचने के पूरे मूड में हैं। महाराष्‍ट्र सरकार को अल्‍टीमेटम देकर राज ठाकरे ने मौके पर चौका मार दिया है।

राज ठाकरे का क्‍या है प्‍लान?
शिवसेना चाहकर भी कट्टर हिंदुत्‍व को पकड़कर नहीं बढ़ सकती है। यह गठबंधन की मजबूरी है। इसने एनएसएस चीफ के लिए पूरा मैदान खोलकर रख दिया है। बेशक शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने अलग पहचान बनाई, लेकिन यह टिक नहीं पाई। तेज-तर्रार राज ठाकरे लोगों को बाला साहेब ठाकरे की जरूर याद दिलाते हैं। हालांकि, राज्‍य के बदले राजनीतिक समीकरणों में यह धुंधलाती गई। महाराष्‍ट्र विधानसभा में कभी एमएनएस के 13 विधायक थे। आज नौबत यह है कि सिर्फ एक विधायक पार्टी का प्रतिनिधित्‍व कर रहा है। ऐसे कई मसले थे जिन्‍हें उठाकर राज ठाकरे ने सियासत में जगह बनाई। उत्‍तर भारतियों का विरोध भी इनमें से एक था। हालांकि, अब इस मुद्दे को कोई पूछने वाला नहीं है। इस तरह पार्टी पूरी तरह हाशिये पर चली गई है।

राज ठाकरे को किसी ऐसे मुद्दे की तलाश थी जो उसकी लाइन से मैच करता हो। मस्जिदों से लाउडस्‍पीकर उतारने का मुद्दा उसकी राजनीति के साथ बिल्‍कुल फिट बैठता है। जैसे ही उन्‍हें मौका मिला उन्‍होंने पूरे जोर के साथ इस मसले को उठा दिया। दूसरी बात यह है कि राज ठाकरे को भी एहसास है कि बीजेपी के साथ अगले कुछ साल के लिए शिवसेना के रास्‍ते बंद हैं। हाल में दोनों ने जिस तरह से एक-दूसरे पर हमला किया है, उसने दूरी और बढ़ा दी है। यहां राज ठाकरे के लिए स्‍पष्‍ट गुंजाइश पैदा हो गई है।

इस तरह की खबरें आई थीं कि 21 अप्रैल को नागपुर में एक बड़ी बैठक हुई थी। इसमें बीजेपी और एमएनएस के बीच चुनावी गठजोड़ पर सहमति बनी। इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी नेता शिव प्रकाश शामिल हुए थे। हालांकि, बाद में देवेंद्र फडणवीस ने गठबंधन की कवायद की खबरों को खारिज किया था। वैसे जिस तरह के राज ठाकरे के सुर हैं, उसमें कुछ भी संभव है।

आज राज ठाकरे टपका रहे बीजेपी के लिए शहद…
ताजा स्थितियों में राज ठाकरे की जुबान से बीजेपी के लिए शहद टपक रहा है। वो बीजेपी खास कर उसके फायरब्रांड नेता योगी आदित्‍यनाथ की तारीफ करते थक नहीं रहे हैं। उन्‍होंने हाल में बोला था कि वह धार्मिक स्‍थलों विशेष रूप से मस्जिदों से लाउडस्‍पीकर हटाने को लेकर योगी सरकार को खुले दिल से बधाई देते हैं। दुर्भाग्‍य से महाराष्‍ट्र में हमारे पास कोई योगी नहीं सिर्फ भोगी हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि भोगी शब्‍द का इस्‍तेमाल राज ठाकरे ने हूबहू बीजेपी की तर्ज पर किया। उनसे पहले राज्‍य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्‍नी अमृता ने लिखा था – ‘ऐ ‘भोगी’, कुछ तो सीख हमारे ‘योगी’ से!’ बीते कुछ समय में हर मुद्दे को लेकर राज ठाकरे और बीजेपी के सुर साथ लगे हैं।

कभी भरी सभाओं में उगलते थे जहर…
राज ठाकरे का बीजेपी विरोध कुछ साल से ही ठंडा पड़ा है। कई सालों तक वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने वीडियो चलाकर उन पर हमले करते थे। कुछ साल पहले की ही बात है जब राज ठाकरे ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने देश को गड्ढे में डाल दिया है। अगर मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बन गया तो देश में चुनाव होने ही बंद हो जाएंगे। राज ठाकरे ने लालकृष्‍ण आडवाणी जैसे वरिष्‍ठ नेताओं को किनारे करने के लिए भी पीएम मोदी और अमित शाह पर हमला किया था। उन्‍होंने कहा था कि इन्‍होंने आडवाणी को पार्टी से निकाल फेंका।

गौर करने वाली बात है कि उन्‍होंने 2017 के लोकसभा चुनाव में लोगों से कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले महागठबंधन का समर्थन करने की अपील की थी। तब वो कांग्रेस और एनसीपी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। तभी एक चुनावी रैली में ठाकरे बोले थे कि पीएम मोदी कांग्रेस के पाकिस्तान से रिश्‍तों पर कई बार सवाल उठा चुके हैं। पहली बार एक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भारत का पीएम चुनने में अपनी राय दे रहा है। अब मोदी से पूछें कि भारत और इमरान खान के बीच आखिर चल क्या रहा है? ठाकरे बोले थे कि मोदी में कोई शर्म नहीं बची है। वो शहीदों के नाम पर बीजेपी को वोट देने के लिए कह रहे हैं।

Raj Thackeray, Loudspeaker, Uddhav, Modi andYogi

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें