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हिंदुत्ववादियों के जाल में फंस कर उनकी मन्नतें पूरी कर दीं

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मुनेश त्यागी

     नूपुर शर्मा के मोहम्मद साहब के खिलाफ विवादित बयान को लेकर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद, यूपी समेत देश के कई राज्यों में जमकर बवाल किया गया। देश के कई राज्यों में से भी ऐसी खबरें आई हैं जहां पर आगजनी की गई, दुकानों में आग लगाई गई, दंगे किए गए, गाड़ियों में आग लगा दी गई, कई जिलों में कई किलोमीटर का जाम लग गया और लोगों में भगदड़ मच गई।

   आगजनी के बाद पत्थरबाजी में आईजी, डीएम, एसएससी के अलावा कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। कई जगह स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। पंजाब, पश्चिमी बंगाल, यूपी, दिल्ली रांची में यह सब नंगा नाच किया गया। रांची में दो लोगों की मौत हो गई। प्रयागराज में 10 गाड़ियों में आग लगा दी गई, पीएसी का ट्रक भी फूंक दिया गया।

    देश के कई राज्यों से ऐसी घटनाएं घटीं। रांची में नमाज के बाद भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। पुलिस फायरिंग में 2 लोगों की मौत हो गई। हावड़ा और कोलकाता में प्रदर्शन में तोड़फोड़ की गई। कई जगह दुकान दुकानों में लूटपाट की गई और रेल यातायात को ठप किया गया। दिल्ली में नमाज के बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।

    पंजाब में 100 से भी अधिक स्थानों पर प्रदर्शन किया गया। महाराष्ट्र में कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए। हैदराबाद में मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया। जम्मू कश्मीर में स्थिति को काबू में रखने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और कई जगह इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। सहारनपुर और देवबंद में 270 लोगों पर केस किया गया है और 40 लोगों की को गिरफ्तार किया गया है।

    कई जगह पुलिस प्रशासन ने मिलकर अच्छा काम किया और पहले से ही भांपकर जरूरी कदम उठाए। कई मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने शांति बनाए रखें और भाईचारा बनाए रखने की अपील की। मौलाना मसूदुर्रहमान चतुर्वेदी ने कहा कि मोहम्मद साहब गैर मुस्लिम भाइयों के साथ मोहब्बत और बेहतरीन तालुकात बनाए रखने की बात किया करते थे। वे कहा करते थे कि इंसानी बिरादरी आपस में भाईचारे की बुनियाद पर कायम हैं और सारे इंसान आपस में भाई भाई हैं।

    मूल्क के कई राज्यों में इस प्रकार की आपराधिक, हिंसक, पत्थरबाजी और आगजनी की गंभीर स्थिति की जानिब इशारा कर दी हैं। यह भी आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि नमाज के बाद इन सारी घटनाओं को अंजाम दिया गया। यह एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।

    शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना भारत के सभी नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है और कानून के शासन में जनता का यह बुनियादी अधिकार है। इससे मना नहीं किया जा सकता। दुनिया के कई देशों में यह जनता का मौलिक अधिकार है कि जनता प्रदर्शन करके अपनी बात को कहे अपने गुस्से का इजहार करें, मगर प्रदर्शन के नाम पर अपराध, आगजनी, तोड़फोड़, पथराव, हिंसा और हत्या की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसा करना किसी का भी बुनियादी अधिकार नहीं है। हर एक आदमी का कानून के शासन के मुताबिक काम करना निहायत जरूरी है। शांति और व्यवस्था को बिगाड़ना किसी का भी बुनियादी या कानूनी अधिकार नहीं है। कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है।

    मगर यहां पर अहम सवाल यह उठता है कि इन उपद्रवियों की मांग क्या थी और इन मांगों को मनवाने का क्या यही रास्ता था? क्या इसके अलावा कोई कानूनी रास्ता नहीं था? क्या अपनी मांगों को मनवाने के लिए केवल आगजनी, हिंसा, अपराध और पत्थरबाजी का ही रास्ता बचा था?

       हम यहां बहुत गंभीरता के साथ कहना चाहेंगे कि प्रदर्शनकारियों को ऐसा जनविरोधी और कानून विरोधी रास्ता अपनाने का कोई रास्ता अधिकार नहीं था। पथराव करना, हिंसा करना, आगजनी करना किसी का भी कानूनी या संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक अधिकार नहीं हो सकता। यह सब गैर कानूनी और असामाजिक, बर्बर और असभ्य करनामें हैं। इन्हें किसी भी हालत में कबूल या माफ नहीं किया जा सकता। ऐसे अपराधियों के खिलाफ तुरंत ही सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

     धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले बयान को लेकर, संजीदगी और गंभीरता के साथ एक सोची-समझी नीति के साथ आंदोलन किया जाना चाहिए था। देश के तमाम सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की संस्कृति में विचार रखने वाले दलों और तमाम जनवादी, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और वामपंथियों और बुद्धिजीवियों को एकजुट करके, इस सांप्रदायिक हिंदूत्ववादी और मुसलमान विरोधी अभियान और नफरत की राजनीति  का जोरदार विरोध करना चाहिए था और जनता के सामने इन समाज विरोधी, देश विरोधी, कानून और संविधान विरोधी तत्वों की पोल खोलनी चाहिए थी। 

    आपसी “भाईचारा मंच” बनाकर देश, प्रदेश, जिला, शहर, गांव, मोहल्ला और गली के स्तर पर जोरदार ढंग से कार्यवाही करके जनता को इन सांप्रदायिक और साम्राज्यवादी लुटेरों की समर्थक ताकतों के खिलाफ एकजुट करके जनकार्यवाहियों में लगाना था। जनता को गंगा जमुनी तहजीब और साझी संस्कृति के किस्से, कहानियां, गीत संगीत के बारे में पुख्ता और ऐतिहासिक जानकारियां देकर, इन देशविरोधी संप्रदायवादियों का भंडाफोड़ करना था। 

    उन्हें और हम सबको मालूम होना चाहिए कि एक जागृत, संगठित और विचारवान जनता ही, हिंदू मुस्लिम साझी संस्कृति में रची बसी जनता ही, जनवादी, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी विचारों से लैस जनता ही, भारत में हिंदू मुस्लिम भाईचारे को महफूज रख सकती है और यह संगठित, जागृत और विचारवान जनता ही हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक तत्वों द्वारा लुटेरे पूंजीपतियों के मुनाफे बढ़ाने की मुहिम को विफल कर सकती है, उसे मात दे सकती है।

     मगर पथराव, आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ करके इन समाज विरोधी और मुस्लिम विरोधी अपराधियों और असामाजिक तत्वों ने समाज की शांति और कानून व्यवस्था भंग करके, हमारे देश की हिंदुत्ववादी ताकतों की मन्नतें पूरी कर दी, उनको जिंदा रहने व और ज्यादा बढ़-चढ़कर खेलने खिलने का मौका दे दिया है।

     पिछले कई महीने से ये हिंदुत्ववादी साम्प्रदायिक ताकतें यही तो चाह रही थीं कि मुसलमान दंगा करें, आगजनी करें, पत्थरबाजी करें। ऐसा करके ये असामाजिक तत्व जाने अनजाने में इन सांप्रदायिक हिंदुत्ववादियों के जाल और साजिशों में फंस गए हैं। यह सब किया जाना देश हित, सामाज हित और मुसलमानों के हित में नहीं है और भारत के समाज में अमन-चैन और भाईचारे के हित में नहीं है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को सख्ती से रोका जाना चाहिए।

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